भारत और चीन की सीमा पर भारतीय सैनिकों के साथ हुई बर्बरता के बाद से ही भारतीयों में चीन और चाइनीज सामानों को लेकर गुस्सा है। अब इसकी कीमत चीन को पड रही है। काउंटर पाइंट की नई रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन के मार्केट में लीडर का ताज शाओमी से हटकर सैमसंग को मिल गया है। स्मार्टफोन मार्केट में सैमसंग नंबर वन पायदान पर आ गया है।
चाइना सेंटिमेंट का मिला फायदा?
बता दें कि जून हुई झडप के बाद ही चीन के खिलाफ लोगों में गुस्सा भड़क गया और पूरे देश में एंटी चाइना सेंटिमेंट लगातार मजबूत हो रहा है। सैमसंग समेत अन्य ब्रैंड जो कि चाइनीज नहीं हैं, उन्हें इसका काफी फायदा मिल रहा है।
सैमसंग ने ग्लोबली हुवावे को भी छोड़ा पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक, सैमसंग अब ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट में भी चाइनीज ब्रैंड हुवावे को पछाड़ दिया है। अगस्त 2020 का डाटा के मुताबिक, सैमसंग का ग्लोबल मार्केट शेयर 22 फीसदी पर पहुंच गया। अप्रैल 2020 तक सैमसंग का मार्केट शेयर 20 फीसदी थी। पिछले छह महीने में यह बदलाव आया है। बात अगर हुवावे की करें तो अगस्त 2020 में उसका मार्केट शेयर घटकर 16 फीसदी पर पहुंच गया। अप्रैल 2020 में उसका मार्केट शेयर 21 फीसदी था।
एपल को बड़ा नुकसान
एपल ने मंगलवार को अपना पहला 5G आईफोन लॉन्च कर दिया। इवेंट से ठीक पहले अमेरिकी शेयर बाजार में कंपनी के शेयर 4% तक नीचे गिरे। इससे कंपनी का वैल्यूएशन 81 बिलियन डॉलर (5.94 लाख करोड़ रुपए) कम हो गया। हालांकि, बाजार बंद होने तक शेयर ने हल्की रिकवरी कर ली थी।
गूगल मैप्स पर जल्द ही यूजर्स को बिजी प्लेस के बारे में जानकारी मिलेगी। मैप्स पर अभी रेस्टोरेंट और दूसरे बिजनेसेज कितने व्यस्त हैं, इसकी सुविधा मिलती है। अब आप डायरेक्ट इस बात का पता लगा पाएंगे कि कोई स्पेसिफिक लोकेशन कितनी ज्यादा बिजी है। गूगल ने साफ किया है कि ऐसी जगहों की व्यस्तता की जानकारी सीधे मैप्स पर मिलेगी।
कंपनी के मुताबिक, इस फीचर को जल्द ही ग्लोबल एंड्रॉयड, आईओएस और डेस्कटॉप यूजर्स के लिए जारी किया जाएगा। आने वाले महीनों में यूजर्स लाइव व्यू का भी इस्तेमाल कर पर पाएंगे। ये ऐसा फीचर है जो ऑग्मेंटेड रियलिटी (AR) का उपयोग कर शहर के चारों तरफ रास्ता खोजने में मदद करेगा। इससे रेस्टोरेंट, स्टोर, बिजनेसेज की भी जानकारी मिलेगी।
गूगल ने अनाउंस किया है कि गूगल मैप्स में नए बदलाव सर्च ऑफ 2020 इवेंट के दौरान किए जाएंगे। मैप्स पर बिजीनेस फीचर भी मिलेगा, जिसके चलते यूजर्स अपनी व्यस्तता के बारे में भी जानकारी शेयर कर पाएंगे। इस फीचर की मदद से यूजर्स किसी स्थान पर रहकर ये बता पाएंगे को वो कितने बिजी हैं? कंपनी ने इस फीचर को इससे पहले 2016 में लॉन्च किया था।
गूगल ने कहा कि वो दुनियाभर में ऐसे स्थानों पर लोगों की लाइव व्यस्तता की जानकारी का विस्तार करने पर काम कर रही है। इस विस्तार में समुद्र तट, पार्क, बाहर क्षेत्र और जरूरी स्थान जैसे ग्रॉसरी स्टोर, गैस स्टेशन, लॉन्ड्रोमैट और फॉर्मेसी शामिल हैं। गूगल के मुताबिक, इसकी मदद से कोविड पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
एंड्रॉइड और आईओएस यूजर्स जल्द ही व्यवसाय के बारे में अधिक जानने के लिए गूगल मैप पर लाइव व्यू सुविधा का उपयोग कर पाएंगे। यदि आप किसी मोहल्ले में घूम रहे हैं और एक दुकान आपका ध्यान आकर्षित करती है, तो आप लाइव व्यू का उपयोग कर यह जान पाएंगे कि यह खुला और कितना व्यस्त है।
मैप में 'कोविड लेयर' फीचर को जोड़ा
गूगल मैप अब लेयर बटन में COVID -19 info फीचर आ गया है। जैसे ही इस फीचर पर जाएंगे ये मैप कोविड की स्थिति के हिसाब से बदल जाएगा। यह क्षेत्र में प्रति 1,00,000 लोगों पर सात दिन के नए मामलों का औसत दिखाएगा और बताएगा कि मामले बढ़ रहे हैं या कम हो रहे हैं। ट्रेडिंग मैप डेटा उन सभी 220 देशों और क्षेत्रों का कंट्री लेवल दिखाएगा, जो गूगल मैप्स सपोर्ट करते हैं। साथ ही इसका राज्य या प्रांत, काउंटी और शहर स्तर पर डेटा उपलब्ध है।
कार खरीदने शोरूम पर जाओ तो एग्जीक्यूटिव एक ही मॉडल में कई तरह के गियरबॉक्स ऑप्शन गिना देते हैं, कि इस कार में मैनुअल तो है ही, एएमटी, आईएमटी और डीसीटी का ऑप्शन भी मिल जाएगा। उसके बाद इनकी खूबियां गिना दी जाती हैं कि आप जाते तो कुछ और खरीदने है लेकिन खरीद कुछ और लाते हैं।
अगर आप भी इस फेस्टिव सीजन कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं और यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आपके लिए कौन सा गियरबॉक्स ऑप्शन सही रहेगा, तो यहां हमने आपको आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है कि इन गियरबॉक्स में क्या अंतर होता है और यूज के हिसाब से कौन सा विकल्प चुनना सही रहेगा।
सबसे पहले बात करते हैं कितने प्रकार के गियरबॉक्स ऑप्शन बाजार में मौजूद हैं...
आसान भाषा में समझिए ये कैसे काम करते हैं और आखिर इनमें क्या अंतर है...
1. मैनुअल (MT): यह मल्टी स्पीड गियरबॉक्स होता है, जिसमें ड्राइवर खुद तय करता है कि किस स्पीड के हिसाब से गियर को कब शिफ्ट करना है। यानी गियर चेंज करने के लिए ड्राइवर को अपने इनपुट देने होते हैं साथ ही गियर लीवर, क्लच, ब्रेक और एक्सेलरेटर सभी ड्राइवर को ही ऑपरेट करना होता है।
2. ऑटोमैटिक (AT या टॉर्क कन्वर्टर): इस गियरबॉक्स में मैनुअल इनपुट नहीं देना होता। इसमें सारा काम सेंसर करते हैं। स्पीड और आरपीएम के हिसाब से सेंसर खुद तय करते हैं कि गियर बदलना है या नहीं। इसमें गियर लीवर तो होता है लेकिन उसे आप गियर बदलने के लिए नहीं बल्कि ड्राइव, रिवर्स, न्यूट्रल और पार्किंग मोड में जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इस गियरबॉक्स में न क्लच पेडल न ही इंजन में क्लच होता। इसमें क्लच नहीं होते, इसलिए ये काफी तेजी से काम करता है और सबसे विश्वसनीय भी माना जाता है।
3. ऑटोमैटिक मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT): टेक्निकली यह मैनुअल गियरबॉक्स ही है लेकिन इसमें क्लच ऑपरेशन एक खास AMT यूनिट की मदद से होते हैं। जैसे की हम पहले बता चुके हैं ट्रेडिशनल ऑटोमैटिक गियरबॉक्स (AT) में क्लच नहीं होता, इसके विपरीत ऑटोमैटिक मैनुअल गियरबॉक्स में क्लच पेडल तो नहीं होता लेकिन इंजन के अंदर क्लच जरूर होता है, जिसका ऑपरेशन ऑटोमैटिक होता है, यानी जब गियर चेंज होगा तब क्लच AMT यूनिट की मदद से काम करेगा। इसे किफायती ऑटोमैटिक तकनीक हैं, लेकिन क्लच होने की वजह से ये AT की तुलना में थोड़ी स्लो है।
4. इंटेलीजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (iMT): इस गियरबॉक्स में क्लच ऑपरेशन ऑटोमैटिक होते हैं लेकिन गियर ड्राइवर को मैनुअली ही बदलने पड़ते हैं। AMT की तुलना में ये थोड़ा फास्ट है, क्योंकि AMT गियरबॉक्स में सेंसर तय करते हैं कि कब गियर चेंज करना है और फिर क्लच काम करता है लेकिन iMT में आप खुद गियर चेंज कर रहे होते हैं तो क्लच भी उसी समय पर काम करने लग जाता है, जिसकी वजह ये फास्ट होता है। इसमें भी क्लच पेडल नहीं मिलता।
5. डुअल क्लच ट्रांसमिशन (DCT): जैसे की नाम से समझ आ रहा है इसमें दो क्लच होते हैं लेकिन दोनों ही अलग-अलग ऑटोमैटिक ऑपरेशन करते हैं। एक क्लच ओड नंबर गियर का ध्यान रखता है यानी 1,3,5 और दूसरा ईवन नंबर गियर का ध्यान रखता यानी 2,4,6, यानी इसमें दो क्लच ऑपरेशन होते हैं और यही वजह से है कि यह काफी तेजी से काम करता है। ऑटोमैटिक की दुनिया में इसे सबसे तेज गियरबॉक्स माना जाता है।
6. कंटीन्यूअसली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT): टेक्निकली इसमें गियर्स होते ही नहीं है। मैनुअल गियरबॉक्स में जहां गियर रेशो सेट होते हैं और हर गियर रेशो पर तय परफॉर्मेंस मिलती है लेकिन CVT में गियर रेशो होते ही नहीं है। इसके अंदर स्टेप्स सेट होते हैं। इसमें दो पुली लगी होती हैं, जो आपस में बेल्ट या चेन से कनेक्ट होती हैं। यह स्टेप्स के हिसाब से काम करता है और उसी के हिसाब से स्पीड बढ़ाता जाता है। जापानी सबसे ज्यादा सीवीटी ही यूज करते हैं।
ऐसे तय करें आपके लिए कौन सा गियरबॉक्स काम का है...
1. मैनुअल (MT)
इस गियरबॉक्स पर तब जाना चाहिए जब आपको सबसे विश्वसनीय सिस्टम चाहिए हो, क्योंकि जब से कारें बनाना शुरू हुई हैं तब से हमारे पास यही गियरबॉक्स है। इसमें पूरा सिस्टम ड्राइवर के कंट्रोल में होता है। यह भी कहा जाता है कि जितनी कम मैकेनिकल चीजें होंगी, वो सिस्टम उतना ही भरोसेमंद होगा क्योंकि उसमें उतने ही कम सेंसर्स और पार्ट्स लगे होंगे। ज्यादा सेंसर होंगे तो मेंटनेंस कॉस्ट भी बढ़ेगा। मैनुअल ट्रांसमिशन में सेंसर्स नहीं होते, सारे काम खुद ही करने पड़ते हैं, ऐसे में यह ज्यादा भरोसेमंद है। यह उन लोगों को लेना चाहिए जो सबसे ज्यादा माइलेज और सबसे ज्यादा विश्वसनीय गियरबॉक्स चाहते हों। यह सबसे सस्ता भी है।
2. ऑटोमैटिक (AT या टॉर्क कन्वर्टर)
शहर की ट्रैफिक भरी सड़कों पर सफर करना हो या हाईवे पर, अगर आप सुविधा के साथ एक भरोसेमंद गियरबॉक्स चाहते हैं तो आप ऑटोमैटिक (टॉर्क कन्वर्टर) को चुन सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको माइलेज से थोड़ा कॉम्प्रोमाइज करने के लिए भी तैयार रहना होगा। यह ऐसे लोगों के लिए बढ़िया विकल्प है, जो गियर और क्लच के झंझट में नहीं पड़ना चाहते बल्कि एक सुविधाजनक ड्राइव करना चाहते हैं। वैसे, ऑटोमैटिक की दुनिया में AT या टॉर्क कन्वर्टर सबसे विश्वसनीय गियरबॉक्स है।
3. ऑटोमैटिक मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT)
यह उन लोगों के लिए ठीक है, जिन्हें लगता है कि ट्रेडिशनल ऑटोमैटिक (टॉर्क कन्वर्टर) ज्यादा माइलेज नहीं देता है। AMT में आपको थोड़ा ज्यादा माइलेज मिल जाता है। AMT एक्चुअल में मैनुअल गियरबॉक्स ही होता है लेकिन इसके कुछ ऑपरेशन ऑटोमैटिकली करने के लिए इसमें एक किट लगा दी जाती है, इसलिए इसमें माइलेज मैनुअल के आसपास ही मिलता है। ऐसे में यह उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प बन जाता है, जिन्हें माइलेज के साथ-साथ ऑटोमैटिक की सुविधा भी चाहिए, हालांकि इसमें स्मूदनेस नहीं मिलेगी क्योंकि गियर शिफ्ट थोड़े जर्की होते हैं। अगर आपकी गाड़ी में ऑटो होल्ड फंक्शन नहीं है तो चढ़ाई पर चलते समय आपको सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि रोल बैक होने की संभावना बनी रहती है क्योंकि क्लच और गियर के बीच तालमेल बैठने में थोड़ा समय लगता है। फुली ऑटोमैटिक में इस तरह की समस्या नहीं आती क्योंकि उसमें क्लच होता ही नहीं है। घाट या पहाड़ी इलाके में रह रहे हैं तो AMT ना ही चुने तो बेहतर है।
4. इंटेलीजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (iMT)
यह उन लोगों के लिए बेहतर ही जिन्हें गियर चेंज करने में तो नहीं लेकिन क्लच ऑपरेट करने में काफी परेशानी होती है, खासतौर से नए ड्राइवर्स के साथ ऐसा अक्सर होता है। सबसे पहले ये वेन्यू में देखने को मिला था। टेक्निकली यह मैनुअल ट्रांसमिशन ही है लेकिन कंपनी ने इसे इंटेलीजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन नाम दिया है हालांकि इसमें सिर्फ क्लच ही ऑटोमैटिकली ऑपरेट होता है। यह एएमटी से ज्यादा स्मूद है, क्योंकि गियर आपके हाथ में है। एएमटी की तुलना में इसे बेहतर माना जा सकता है साथ ही यह कॉस्ट इफेक्टिव भी है क्योंकि इसमें सिर्फ क्लच ही है, जो सेंसर के जरिए काम करता है।
5. डुअल क्लच ट्रांसमिशन (DCT)
यदि आप ऑटोमैटिक गाड़ी चलाना चाहते हैं लेकिन साथ में परफॉर्मेंस भी चाहिए है, तो आपके लिए डीसीटी गियरबॉक्स एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि यह काफी तेजी से काम करता है। उदाहरण से समझें तो ऑटोमैटिक में जैसे ही आप एक्सेलरेटर पेडल दबाते हैं सेंसर क्लच और गियर्स को कमांड देने में कुछ सेकंड का समय लेता है लेकिन डीसीटी में यह समय न के बराबर होता है और इसलिए स्पीड बढ़ाते ही तेजी से गियर बदलते हैं और स्पीड कम करते हैं तेजी से गियर डाउन होते हैं। जैसे की हम बता चुके हैं इसमें दो क्लच होते हैं और इसलिए ये सबसे फास्ट ऑटोमैटिक गियरबॉक्स भी है। यह उन लोगों के अच्छा ऑप्शन हैं जिन्हें स्पोर्टी परफॉर्मेंस चाहिए।
6. कंटीन्यूअसली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT)
एक्सपर्ट के मुताबिक, इसका कंस्ट्रक्शन जितना कॉम्प्लीकेटेड है, चलाने के हिसाब से यह उतना ही आसान है, साथ ही भरोसेमंद भी है। हालांकि, डीसीटी जैसी तेजी तो नहीं मिलेगी लेकिन ऑटोमैटिक की पूरी सुविधा मिलेगी जाएगी। अगर आप सोच रहे हैं कि एक्सेलरेटर पेडल दबाते ही तेजी से स्पीड मिले, तो इस सिस्टम में ऐसा नहीं होगा क्योंकि यह कोई गियर रेशो सेट नहीं है। यह उन लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन है, जो परफॉर्मेंस नहीं बल्कि ज्यादा माइलेज चाहते हैं क्योंकि इसमें ऑटोमैटिक (टॉर्क कन्वर्टर) और डीसीटी की तुलना में ज्यादा माइलेज मिल जाता है।
क्या बजट के हिसाब से तय करना ठीक रहेगा कि मैनुअल लें या ऑटोमैटिक?
कुछ लोगों के मन में धारणा है कि 15 लाख से ज्यादा का बजट है तो ऑटोमैटिक गाड़ी ही लेना चाहिए। एक्सपर्ट ने बताया, ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह अपनी-अपनी प्रायोरिटी है। हालांकि, ग्राहक इस बात से तय कर सकते हैं कि वे क्या काम करते हैं, कहां रहते हैं और कितनी गाड़ी चलाते हैं।
मान लीजिए कि आप मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रहते हैं, जहां रोजाना ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है, तब तो सुविधा के लिए ऑटोमैटिक टेक्नोलॉजी पर जाने के सेंस बनता है। अब इसमें कौन सी ऑटोमैटिक कार उनके बजट से मैच करती है ये वो डिसाइड कर सकते हैं।
हालांकि, अगर कम कार चलाते हैं तो ऑटोमैटिक तकनीक में पैसा लगाने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि जितने ज्यादा सेंसर उतना ज्यादा मेंटनेंस कॉस्ट। कम चलाना है तो मैनुअल से बेहतर कुछ नहीं है।
नोट- सभी पॉइंट ऑटो एक्सपर्ट विकास योगी से बातचीत के आधार पर।
वॉट्सऐप हमेशा यूजर्स की सुविधा के हिसाब से नए-नए फीचर्स का अपडेट करती रहती है। ऐसे में अब कंपनी नया इन-ऐप सपोर्ट फीचर पेश कर दिया है। इसकी मदद से वॉट्सऐप में आने वाले बग या दूसरी प्रॉब्लम की रिपोर्ट डायरेक्ट कंपनी को कर पाएंगे। कंपनी बीटा वर्जन पर इस फीचर की टेस्टिंग कर रही है, जिसके बाद इसका अपडेट सभी यूजर्स को दिया जाएगा।
वॉट्सऐप के फीचर की जानकारी शेयर करने वाली वेबसाइट WABetaInfo की रिपोर्ट के मुताबिक, ये फीचर एंड्रॉयड यूजर्स को 2.20.201.5 और 2.20.202.7 बीटा वर्जन में आ गया है। यह सुविधा 'कॉन्टैक्ट अस' पेज के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। यहां यूजर्स अपनी शिकायत टेक्स्ट फॉर्म में टाइप करके भेज पाएंगे।
इस सेटिंग को करना होगा फॉलो
यूजर्स को अपनी शिकायत भेजने के लिए Settings => Help => Contact us में जाना होगा। यहां पर यूजर को अपनी शिकायत टाइप करने और प्रॉब्लम से जुड़े फोटो अटैच करने का ऑप्शन मिलेगा। पूरी जानकारी देने के बाद उसे सेंड कर देना है। हालांकि, टेक्स्ट मैसेज, मीडिया फाइल्स और स्टेटस अपडेट इस इन-ऐप सपोर्ट के जरिए प्रदान किए जाने वाले लॉग में शामिल नहीं होंगे।
वॉट्सऐप की सपोर्ट टीम यूजर से समस्या को सुलझाने में सक्षम होगी तो वह वॉट्सऐप सपोर्ट चैट के माध्यम से सीधे शिकायतकर्ता के साथ बात करेगी। रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता और सपोर्ट टीम में बातचीत खत्म होने के बाद चैट अपने आप बंद हो जाएगी।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने सितंबर महीने की पैसेंजर व्हीकल रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, पैसेंजर व्हीकल होलसेल में 26.45 फीसदी बढ़कर 2.72 लाख यूनिट्स पर पहुंच गई। जबकि, सितंबर 2019 में ये आंकड़ा 2.15 लाख यूनिट्स का था। यानी साल दर साल के आंकड़ों के आधार पर बीते महीने 56 हजार से ज्यादा यूनिट बिकी।
टू-व्हीलर की बिक्री 11.64% बढ़ी
सियाम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर महीने में टू-व्हीलर की बिक्री 11.64 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18.49 लाख यूनिट रही। जबकि सितंबर 2019 में ये आंकड़ा 16.56 लाख यूनिट का था। यानी साल दर साल के आंकड़ों के आधार पर 1.92 लाख यूनिट की बिक्री ज्यादा रही।
मोटरसाइकिल की ब्रिक्री 12.24 लाख यूनिट रही, जो सितंबर 2019 में 10.43 लाख यूनिट थी। यानी मोटरसाइकिल सेगमेंट में 17.3% की बढ़त देखने को मिली। वहीं, स्कूटर सेगमेंट में बीते महीने साल दर साल के आधार पर मामूली बढ़त देखने को मिली। बीते महीने स्कूटर की 5.56 लाख यूनिट बिकी, सितंबर 2019 में ये आंकड़ा 5.55 लाख यूनिट का था।
जुलाई-सितंबर तिमाही में बिक्री बढ़ी
जुलाई-सितंबर 2020 की तिमाही में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री 17.02 प्रतिशत बढ़कर 7.26 लाख यूनिट रही, जो पिछले फाइनेंशियल ईयर की समान अवधि में 6.20 लाख यूनिट थी। सितंबर तिमाही के दौरान टू-व्हीलर की बिक्री इस फाइनेंशियल ईयर में 46.90 लाख यूनिट रही, जो पिछले फाइनेंशियल ईयर की समान अवधि में 46.82 लाख यूनिट थी।
कमर्शियल व्हीकल की बिक्री 20.13% घटी
हालांकि, जुलाई-सितंबर 2019 में कमर्शियल व्हीकल की बिक्री 1.67 लाख यूनिट थी, जो समान अवधि में 20.13% घटकर 1.33 लाख यूनिट पर पहुंच गई। दूसरी तिमाही के दौरान व्हीकल की बिक्री में मामूली गिरावट के साथ 55.96 लाख यूनिट रही, जो पिछले फाइनेंशियल ईयर की समान अवधि में 56.51 लाख यूनिट थी।
आज से गूगल पिक्सल 4a और सैमसंग गैलेक्सी F41 स्मार्टफोन की बिक्री भारतीय बाजार में शुरू हो गई है। इन दोनों स्मार्टफोन को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट से खरीदा जा सकता है। फ्लिपकार्ट पर आज से बिग बिलियन डेज सेल शुरू हुई है, ऐसे में इन दोनों स्मार्टफोन को सस्ते में खरीदने का मौका मिल रहा है।
स्मार्टफोन
MRP
ऑफर प्राइस
गूगल पिक्सल 4a
31,999 रुपए
29,999 रुपए
गैलेक्सी F41 (64GB)
19,999 रुपए
15,499 रुपए
गैलेक्सी F41 (128GB)
20,999 रुपए
16,499 रुपए
गूगल पिक्सल 4a को अभी खरीदने पर 2000 रुपए का और सैमसंग गैलेक्सी F41 पर 4500 रुपए का फायदा मिल रहा है। वहीं, गूगल पिक्सल 4a पर 16,400 रुपए तक और गैलेक्सी F41 पर 15,900 रुपए तक एक्सचेंज बेनीफिट भी मिल रहा है। SBI ग्राहकों को 10% का इंस्टेंट डिस्काउंट भी मिलेगा।
गूगल पिक्सल 4a के स्पेसिफिकेशन और फीचर्स
गूगल पिक्सल 4a में 443ppi की पिक्सल डेंसिटी के साथ 5.81 इंच का फुल-एचडी प्लस (1080x2340 पिक्सल) OLED डिस्प्ले है। ऑलवेज-ऑन डिस्प्ले में एचडीआर सपोर्ट भी है। फोन ऑक्टा-कोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 730G प्रोसेसर है, जिसे 6GB LPDDR4x रैम के साथ जोड़ा गया है।
पिक्सल 4a में बैक साइड में 12 मेगापिक्सल कैमरा सेंसर है, साथ में एक f/1.7 लेंस और एक एलईडी फ्लैश मॉड्यूल के साथ आता है। रियर कैमरा डुअल एक्सपोज़र कंट्रोल, पोर्ट्रेट मोड, टॉप शॉट, नाइट सूइट के साथ एस्ट्रोफोटोग्राफी क्षमताओं और फ्यूज्ड वीडियो स्टेबलाइजेशन के साथ एचडीआर प्लस को सपोर्ट करता है। सामान्य झटके के प्रभाव को कम करने के लिए इसमें ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजेशन (OIS) भी है। सेल्फी के लिए, फोन में फ्रंट में 8-मेगापिक्सल का कैमरा सेंसर है, जिसमें f/2.0 लेंस है।
फोन में 128GB ऑनबोर्ड स्टोरेज है जो माइक्रोएसडी कार्ड के माध्यम से बढ़ाया नहीं जा सकता। कनेक्टिविटी के लिए इसमें 4G VoLTE, वाई-फाई 802.11ac, ब्लूटूथ v5.0, जीपीएस / ए-जीपीएस, एनएफसी, यूएसबी टाइप-सी और 3.5 एमएम हेडफोन जैक शामिल हैं।
फोन पर सेंसर में एक्सीलेरोमीटर, एम्बिएंट लाइट सेंसर, बैरोमीटर, जाइरोस्कोप, मैग्नेटोमीटर और एक प्रॉक्सिमिटी सेंसर शामिल हैं। पीछे की तरफ एक फिंगरप्रिंट सेंसर भी है। हालांकि, नए मॉडल में मोशन सेंसिंग और जेश्चर कंट्रोल को सक्षम करने के लिए Pixel 4 में मिलने वाली सोली (Soli) चिप नहीं है।
पिक्सल 4a में 3140mAh की बैटरी दी है जो 18W फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है। बॉक्स में USB टाइप- C एडॉप्टर साथ आएगा है, जो USB PD 2.0 (पावर डिलीवरी) के साथ काम करता है। नॉइस सपरेशन सपोर्ट के साथ स्टीरियो स्पीकर और दो माइक्रोफोन भी हैं। फोन का डायमेंशन 144x69.4x8.2 एमएम है और ये सिर्फ 143 ग्राम वजनी है।
फोन ने नए गूगल असिस्टेंट को प्रीलोड किया है जो तेजी से टेक्स्ट मैसेज भेजने और ऐप्स को तेजी से कंट्रोल करने की अनुमति देता है। इसमें रिकॉर्डर ऐप जिसमें अंग्रेजी में रियल-टाइम ट्रांसक्रिप्शन सपोर्ट मिलता है। पिक्सल 4a में लाइव कैप्शन सपोर्ट भी मिलता है। गूगल पिक्सल 4a एंड्रॉइड 10 ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है
सैमसंग गैलेक्सी F41 के स्पेसिफिकेशन और फीचर्स
इस स्मार्टफोन में 6.4-इंच फुल HD+ सुपर एमोलेड इनफिनिटी U डिस्प्ले स्क्रीन दी है। फोन में एक्सीनोस 9611 प्रोसेसर के साथ 6GB LPDDR4x रैम मिलेगा। फोन का ऑनबोर्ड 128GB तक है। जिसे मेमोरी कार्ड की मदद से 512GB तक बढ़ाया जा सकता है।
गैलेक्सी F41 में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप किया गया है, जिसमें प्राइमरी लेंस 64 मेगापिक्सल (स्नैपर), 8 मेगापिक्सल अल्ट्रा-वाइड एंगल सेंसर और 5 मेगापिक्सल लाइव फोकस सेंसर दिया है। सेल्फी के लिए इसमें 32 मेगापिक्सल शूटर लेंस दिया है।
फोन में 6000mAh की बैटरी दी है, जो 15 वॉट की फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है। फोन के बैक पैनल पर सिक्योरिटी के लिए फिंगरप्रिंट सेंसर दिया है। कंपनी का यह फोन यूथ फोकस्ड है।
ये 4G LTE, Wi-Fi 802.11ac, ब्लूटूथ 5.0, GPS, USB Type-C पोर्ट और 3.5mm ऑडियो जैक जैसी कनेक्टिविटी ऑप्शन के साथ आता है। फोन तीन कलर- ऑप्शन फ्यूजन ग्रीन, फ्यूजन ब्लू और फ्यूजन ब्लैक में उपलब्ध होगा।
भारतीय बाजार में अब हाईटेक कार आ रही हैं। इन्हें ऐप की मदद से ऑपरेट किया जा सकता है। साथ ही, इनमें कई सिक्योरिटी फीचर भी मिलते हैं। इसके बाद भी कार चोरी की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में कार की सेफ्टी बढ़ाना ज्यादा जरूरी हो जाता है। हम यहां कार की सेफ्टी से जुड़े ऐसे लॉक के बारे में बता रहे हैं जो कार को कई गुना तक सेफ कर देता है।
गियर लॉक का इस्तेमाल करें
कार को सेल्फी से जुड़े बाजार में कई तरह के लॉक आते है, लेकिन गियर लॉक कार को ज्यादा सेफ बनाता है। इस लॉक की खास बता होती है कि काफी छोटा और सस्ता होता है। वहीं, इसका इस्तेमाल करना भी काफी आसान होता है। ये मैनुअल और आटोमैटिक दोनों तरह के गियर बॉक्स में काम करता है। वहीं, हैचबैक से लेकर सेडान और एसयूवी तक में इसे यूज कर सकते हैं। ये इतने मजबूत होते हैं कि इन्हें आसानी से न तो तोड़ा जा सकता है और न ही काटा।
ऐसे करता है कार सेफ्टी
इस लॉक की पूरी किट होती है, जिसे गियर बॉक्स पर फिट किया जाता है। किट में एक हेंडल दिया होता है, जिसे गियर में फंसाकर किट के साथ लॉक कर दिया जाता है। यानी अगर कोई चोर आपकी कार का गेट लॉक तोड़कर अंदर आ जाता है और कार स्टार्ट भी कर लेता है तब वो गियर नहीं डाल पाएगा। यानी कार आगे नहीं बढ़ेगी।
300 रुपए में से शुरू हो जाती कीमत
कार के गियर लॉक की ऑनलाइन प्राइस सिर्फ 299 रुपए से शुरू हो जाती है। वहीं, क्वालिटी के हिसाब से इनकी कीमत 3000 रुपए तक पहुंच जाती है। ऑफलाइन मार्केट से भी इसे इतनी ही कीमत में खरीद सकते हैं। इन दिनों फेस्टिवल सेल शुरू होने वाली है, ऐसे में आप इस तरह के लॉक पर एडिशनल डिस्काउंट पा सकते हैं।