बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। इस मौसम में ज्यादातर लोग फोर-व्हीलर से ट्रैवल करना पसंद करते हैं। वजह है बारिश से बचाव और सेफ्टी। हालांकि, बारिश में ड्राइविंग आम दिनों की तुलना में ज्यादा मुश्किल हो जाती है। अगर पानी बरस रहा है तब विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है। ऐसे में कई लोग ड्राइविंग के दौरान इमरजेंसी इंडिकेटर का इस्तेमाल करते हैं।
लोगों को ऐसा लगता है कि इमरजेंसी इंडिकेटर ऑन करने से उनकी ड्राइविंग सेफ हो रही है, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। यूट्यूबर ऑटो एक्सपर्ट अमित खरे (आस्क कारगुरु) ने भी इसे खतरनाक बताया है।
पहले समझिए इमरजेंसी इंडिकेटर का काम
अमित खरे ने बताया कि इमरजेंसी इंडिकेटर का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है तब आप गाड़ी को हाईवे या सड़क किनारे रोक रहे हैं। या फिर आपकी गाड़ी में खराबी आ गई है। रात के वक्त यदि गाड़ी में खराबी आ जाए, टायर बदल रहे हों तब इन इंडीकेटर्स का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि पीछे और आगे से आने वाली गाड़ियों को अलर्ट मिले। रात के समय इमरजेंसी इंडिकेटर्स स्टॉपर्स का काम करते हैं।
बारिश में इमरजेंसी इंडिकेटर क्यों नहीं ऑन करें?
इसे लेकर ऑटो एक्सपर्ट अमित खरे ने कहा कि कई साल पहले बारिश में इमरजेंसी इंडिकेटर का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है था क्योंकि तब गाड़ी की हेडलाइट इतनी पावरफुल नहीं होती थीं। ऐसे में लो विजिबिलिटी की वजह से चारों इंडिकेटर ऑन कर लिए जाते था, जिससे किसी तरह की दुर्घटना न हो जाए। हालांकि, अब गाड़ियों का लाइट पूरी तरह बदल चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि नए जमाने की गाड़ियों में LED लाइट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनकी रोशनी बहुत पावरफुल होती है। तेज बारिश के दौरान भी ये काफी दूरी से नजर आती हैं। बारिश में ड्राइविंग के दौरान फॉग लाइट भी ऑन कर सकते हैं।
इमरजेंसी इंडिकेटर ऑन करने का सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि गाड़ी मोड़ते वक्त आप इंडिकेटर का इस्तेमाल नहीं कर पाते। ऐसे में पीछे या आगे से आ रही गाड़ी से एक्सीडेंट होने खतरा बन जाता है।
दुनियाभर में एसयूवी और क्रॉसओवर की मांग बढ़ती जा रही है, इसमें भारत भी पीछे नहीं है। हालांकि एक तथ्य यह है कि बाजार में अभी भी हैचबैक का वर्चस्व बरकरार है, जो इसकी ऑफोर्डेबिलिटी और कॉम्पैक्ट साइज के कारण है। इसलिए, वाहन निर्माता समय-समय पर देश में नई हैचबैक लॉन्च कर रहे हैं।
वाहनों की बिक्री में हाल के महीनों में गिरावट देखी गई और अब ग्राहकों को वापस डीलरशिप पर लाने के लिए निर्माता भारी छूट दे रहे हैं। अगर आप इस महीने नई हैचबैक खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो हमने 5 ऐसी हैचबैक की लिस्ट तैयार की है जिनपर इस महीने सबसे ज्यादा डिस्काउंट मिल रहा है....
1. हुंडई ग्रैंड i10
हुंडई ने ग्रैंड i10 के रिप्लेसमेंट के तौर पर पिछले साल ग्रैंड i10 निओस को लॉन्च किया। हालांकि, कंपनी ने आउटगोइंग मॉडल के कुछ वैरिएंट को बरकरार रखने का फैसला किया क्योंकि यह इतने पुराने नहीं है। वर्तमान में हुंडई भारत में पुरानी ग्रैंड आई 10 के केवल दो वैरिएंट बेच रही है जिसमें मैग्ना और स्पोर्ट्ज शामिल हैं। इनकी एक्स-शोरूम कीमत क्रमशः 5.89 लाख रुपए और 5.99 लाख रुपए है।
इस महीने हुंडई ग्रैंड i10 पर 60 हजार रुपए का लाभ दिया जा रहा है, इसमें 40 हजार रुपए का कैश डिस्काउंट, 15 हजार रुपए का एक्सचेंज बोनस और 5 हजाार रुपए का कॉर्पोरेट डिस्काउंट शामिल है। यह वर्तमान में देश में किसी भी हैचबैक पर मिलने वाला सबसे ज्यादा डिस्काउंट है।
2. मारुति सुजुकी सेलेरियो
मारुति सुजुकी भारत में सेलेरियो का एक नेक्स्ट जनरेशन वैरिएंट लॉन्च करने की तैयारी में है। क्योंकि वर्तमान जनरेशन वैरिएंट लगभग 7 सालों से बाजार में बिक रहा है। कंपनी इस महीने सेलेरियो 55 हजार रुपए तक का डिस्काउंट दे रही है।
यह डिस्काउंट पेट्रोल और सीएनजी दोनों वैरिएंट पर दिया जा रहा है, जिसमें 30 हजार रुपए का कैश डिस्काउंट, 20 हजार रुपए का एक्सचेंज बोनस के साथ और 5 हजार रुपए की कॉर्पोरेट डिस्काउंट शामिल है। सेलेरियो की एक्स-शोरूम कीमत 4.41 लाख रुपए से 5.68 लाख रुपए तक है।
3. फॉक्सवैगन पोलो
फॉक्सवैगन पोलो को इस साल की शुरुआत में नए बीएस 6 कंप्लेंट 1.0 लीटर TSI (110 पीएस/175 एनएम) टर्बो-पेट्रोल और 1.0-लीटर MPI (75 पीएस/95 एनएम) पेट्रोल इंजन के साथ लॉन्च किया गया था। वर्तमान में इसकी एक्स-शोरूम कीमत 5.82 रुपए से 9.59 लाख तक है।
इस महीने कंपनी, पोलो 1.0L TSI के साथ 48300 रुपए तक का डिस्काउंट ऑफर कर रही है, जिसमें 13300 रुपए का कैश डिस्काउंट, 20 हजार रुपए का एक्सचेंज बोनस, 10 हजार रुपए का लॉयल्टी बोनस और 5 हजार रुपए की कॉर्पोरेट डिस्काउंट शामिल है।
4. हुंडई सेंट्रो
सेंट्रो हुंडई की पॉपुलर हैचबैक है और बिक्री के मामले में एंट्री-लेवल की यह हैचबैक काफी अच्छा प्रदर्शन करती है। कार को चार अलग-अलग ट्रिम लेवल में मिलते हैं, जिसमें एरा एग्जीक्यूटिव, मैग्ना, स्पोर्ट्ज और एस्टा शामिल है। वर्तमान में कंपनी इसे बेस वैरिएंट एरा पर भारी डिस्काउंट ऑफर कर रही है, जिसमें 15 हजार रुपए कैश डिस्काउंट, 15 हजार रुपए का एक्सचेंज बोनस और 5 हजार रुपए की कॉर्पोरेट डिस्काउंट शामिल है।
दूसरी ओर, अन्य सभी वैरिएंट पर 25 हजार रुपए तक का कैश डिस्काउंट दिया जा रहा है। यानी वर्तमान में सेंट्रो पर 45 हजार रुपए तक के कुल डिस्काउंट दिया जा रहा है। वर्तमान में हुंडई सेंट्रो की एक्स-शोरूम कीमत 4.57 लाख रुपए से 6.25 लाख रुपए तक है।
5. मारुति सुजुकी अल्टो 800
ऑल्टो 800 भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली हैचबैक में से एक है और इसकी लोकप्रियता में गिरावट नहीं आई है। वर्तमान में अल्टो 796 सीसी पेट्रोल इंजन के साथ सीएनजी-पेट्रोल पावरट्रेन में उपलब्ध है। इसकी एक्स-शोरूम कीमत 2.96 लाख से 4.36 लाख रुपए तक है।
कंपनी इस महीने ऑल्टो 800 पर 36,000 रुपए तक का डिस्काउंट ऑफर कर रही है, जिसमें 18 हजार रुपए का कैश डिस्काउंट, 15 हजार रुपए का एक्सचेंज बोनस और 3 हजार रुपए का कॉर्पोरेट डिस्काउंट शामिल है।
नोट- शहर के हिसाब से ऑफर अलग भी हो सकता है, इसलिए नजदीकी डीलर से संपर्क पर ऑफर की जानकारी लें।
होंडा मोटरसाइकिल इंडिया ने भारत में अपनी न्यू बाइक होंडा हॉर्नेट 2.0 लॉन्च कर दी है। इस बाइक में 200cc का इंजन दिया है। साथ ही, इसे स्पोर्टी लुक दिया गया है। बाइक की एक्स-शोरूम कीमत 1,26,345 लाख रुपए है। बाइक की लॉन्चिंग के साथ कंपनी ने इसकी बुकिंग भी शुरू कर दी है। इसकी डिलीवरी सितंबर के पहले सप्ताह में शुरू होगी।
बाइक लॉन्चिंग इवेंट पर होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर, प्रेसिडेंट और सीईओ, अत्सुशी ओगाटा ने कहा, "युवाओं के सपनों को साकार करने के लिए हम होंडा हॉर्नेट 2.0 लेकर आए हैं। एडवांस टेक्नोलॉजी और थ्रिलिंग परफॉर्मेंस के चलते ये भारत में अपना बेंचमार्क सेट करने के लिए तैयार है।"
होंडा हॉर्नेट 2.0 का डिजाइन और फीचर्स
इस बाइक में V आकार के LED हेडलैम्प दिए हैं, जो DRLs के साथ आते हैं। इसमें बड़ा और मसक्यूलर फ्लूट टैंक दिया है, जिससे बाइक की खूबसूरती बढ़ जाती है। बाइक के मैकेनिकल पार्ट्स को ब्लैक शेड दिया है। वहीं, इसमें LED इंडिकेटर्स, LED टेल लाइट जैसे फीचर्स दिए हैं।
बाइक में फुली डिजिटल इंस्ट्रूमेंटल पैनल दिया है, जिसमें स्पीड के साथ टेकोमीटर, फ्लूल इफीसियंसी, ऑटोमीटर, ट्रिप मीटर, सर्विस रिमायंडर जैसी कई डिटेल मिलेंगी। इसमें गियर पोजिशन, बैटरी वोल्डमीटर, इंजन स्टार्ट स्विच जैसी जानकारी भी दिखाई देगी।
होंडा हॉर्नेट 2.0 का स्पेसिफिकेशन
बाइक में 184cc एयर-कूल्ड, सिंगल-सिलेंडर इंजन दिया है। इसका टॉर्क 16.1 Nm है। कंपनी का दावा है कि ये बाइक 0 से 200 मीटर की दूरी को महज 11.25 सेकंड मे पूरी कर लेगी।
ये अपने सेगमेंट की पहली ऐसी बाइक है जिसमें गोल्ड-कलर्ड इन्वर्टेड फॉक्स मोनो-शॉक के साथ दिए हैं। सेफ्टी और स्पीड ब्रेक के लिए इसके फ्रंट और रियर में डिस्क दिया है। इसमें सिंगल चैनल एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) भी दिया है।
होंडा हॉर्नेट 2.0 के कलर ऑप्शन
पर्ल इगनीस ब्लैक
मैट संगरिया रेड मेटैलिक
मैट एक्सिस ग्रे मेटैलिक
मैट मार्वल ब्लू मेटैलिक
भारतीय बाजार में ये बाइक अपने सेगमेंट की उन बाइक को टक्कर दे सकती है जिसमें 180cc से लेकर 200cc तक का इंजन दिया है। इनमें TVS अपाचे RTR 200 4V, बजाज NS200 जैसी बाइक्स शामिल हैं।
चीन का विरोध वहां की कई कंपनियों को भारी पड़ रहा है। खासकर, टिकटॉक के लिए अब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बीच टिकटॉक के चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर (CEO) केविन मेयर ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने ये इस्तीफा अपनी ज्वॉइनिंग के 100 दिन में ही दे दिया।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फाइनेंशियल टाइम्स अखबार के हवाले से कहा है कि केविन मेयर ने ज्वॉइन करने के चार महीने के अंदर ही इस्तीफा सौंप दिया।
वहीं, जनरल मैनेजर वनीसा पपाज को तत्काल प्रभाव से उनकी जगह कंपनी का अंतरिम सीईओ नियुक्त कर दिया है।
केविन मेयर का इस्तीफा
केविन मेयर ने अपने इस्तीफा में कहा, "हाल के सप्ताहों में राजनीतिक वातावरण में तेजी से बदलाव आया है। मैंने इस बात पर कई ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव किए जिसकी जरूरत कॉर्पोरेट संरचनात्मक के लिए होती है। भारी मन से मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि मैंने कंपनी छोड़ने का फैसला किया है।" बता दें कि केविन इसी साल मई में डिज्नी स्ट्रीमिंग के हेड का पद छोड़ने के बाद बायडांस के स्वामित्व वाले ऐप टिकटॉक का दामन थामा था।
ट्रम्प ने दिया था 90 दिनों का वक्त
अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने बाइटडांस के खिलाफ 14 अगस्त को आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि टिकटॉक का अमेरिकी बिजनेस 90 दिनों के अंदर किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचा तो बैन लगा देंगे।
साउथ कोरियाई कंपनी सैमसंग ने भारतीय बाजार में अपने दो नए टैबलैट लॉन्च किए। इनकी शुरुआती कीमत 55999 रुपए है। वहीं चीनी कंपनी वीवो ने भी भारतीय बाजार में तीन रियर कैमरे और 5000 एमएएच बैटरी से लैस Y20 सीरीज लॉन्च की। इलेक्ट्रॉनिक्स इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनी एंकर ने बाजार में नया रोबोट वैक्यूम क्लीनर लॉन्च किया है। तो चलिए एक-एक कर बात करते हैं इन प्रोडक्ट्स के बारे में....
सैमसंग ने दो नए टैबलेट गैलेक्सी टैब S7 और टैब S7+ को लॉन्च किया है। यह दोनों कंपनी के फ्लैगशिप एंड्ऱॉयड टैबलेट्स हैं। भारत में इन्हें तीन कलर ऑप्शन और एक स्टोरेज कॉन्फिगरेशन में बेचा जाएगा। टैब S7 में LTE और वाई-फाई मॉडल्स मिल जाएंगे जबकि टैब S7+ सिर्फ LTE मॉडल में उपलब्ध होगा।
गैलेक्सी S7 की प्री-बुकिंग करने पर ग्राहक 15999 रुपए का कीबोर्ड कवर, सिर्फ 10 हजार रुपए में खरीद सकेंगे, साथ ही HDFC क्रेडिट-डेबिट कार्ड पर अतिरिक्त 5 हजार रुपए का डिस्काउंट मिलेगा। जबकि गैलेक्सी टैब S7+ की प्री-बुकिंग करने पर ग्राहक 17999 रुपए का कीबोर्ड कवर 10 हजार के डिस्काउंट प्राइस में खरीद पाएंगे, इसके अलावा HDFC क्रेडिट-डेबिट कार्ड से खरीदी करने पर अतिरिक्त 6 हजार रुपए का डिस्काउंट मिलेगा।
चीनी कंपनी Y20 सीरीज में दो स्मार्टफोन Y20 और Y20i लॉन्च किए। Y20 की बिक्री 28 अगस्त से शुरू होगी जबकि Y20i को 3 सितंबर से खरीदा जा सकेगा। इन्हें सभी रिटेल पार्टनर, वीवो इंडिया ई-स्टोर और ई-कॉमर्स साइट से खरीदा जा सकेगा।
वैरिएंट वाइस कीमतें
मॉडल
वैरिएंट
कीमत
कलर
वीवो Y20
4GB+64GB
12990 रु.
ओब्सीडियन ब्लैक एंड डॉन व्हाइट
वीवो Y20i
3GB+64GB
11490 रु.
डॉन व्हाइट और नेबुला ब्लू
वीवो Y20 सीरीज: स्पेसिफिकेशन
वीवो Y20
वीवो Y20i
डिस्प्ले
6.51 इंच एचडी प्लस (720x1600 पिक्सल) IPS
सिम
डुअल सिम कनेक्टिविटी
ओएस
एंड्रॉयड 10 बेस्ड फनटच ओएस 10.5
प्रोसेसर
क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 460
रैम/रोम
4GB/64GB
3GB/64GB
रियर कैमरा
13MP+2MP+2MP
फ्रंट कैमरा
8MP
बैटरी
5000 एमएएच विद 18W फास्ट चार्जिंग
3. एंकर ने लॉन्च किया रोबोवैक G10 हाइब्रिड, कीमत 16999 रुपए
एंकर रोबोवैक ने Eufy हाइब्रिड रोबोट वैक्यूम-मोप ने भारत में लॉन्च किया है। इसकी कीमत 16999 रुपए है। यह वाई-फाई कनेक्टिविटी पर काम करता है और गूगल असिस्टेंट और अमेजन एलेक्सा जैसी वॉयस कमांड फीचर्स को सपोर्ट करता है। इसे ऐप से भी कंट्रोल किया जा सकता है। इस वैक्यूम क्लीनर में एडिशिनल मोप फंक्शन भी मिलता है, दोनों एक साथ काम करते हैं। कंपनी का दावा है कि यह भारत में अबतक का सबसे किफायती रोटोबिट वैक्यूम क्लीनर है। यह स्मार्ट डायनामिक नेविगेशन फीचर के साथ आता है और इसे ऐप से कंट्रोल किया जा सकता है। ऐप की मदद से इसे स्टार्ट, स्टॉप और शेड्यूल किया जा सकता है।
रॉयल एनफील्ड भारतीय बाजार में अपनी नई बुलेट लॉन्च करने की तैयारी कर चुकी है। कंपनी की इस नेक्स्ट जनरेशन बुलेट का नाम मीटियर 350 है। रिपोर्ट्स का माने तो कंपनी इन्हें अगले महीने लॉन्च करेगी। हालांकि, लॉन्चिंग से पहले ही इन बुलेट के वैरिएंट, डिटेल और फोटोज लीक हो चुके हैं।
लीक्स के मुताबिक, रॉयल एनफील्ड की इस बुलेट को 3 वैरिएंट और 7 कलर्स में लॉन्च किया जाएगा। मीटियर 350 को थंडरबर्ड और थंडरबर्ड X350 का रिप्लेसमेंट माना जा रहा है। इन दोनों बुलेट को BS4 इंजन की चलते बंद कर दिया गया है।
ऐसी होगी नई मीटिरयर 350
फोटो के मुताबिक, मीटियर 350 को नए प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है। इसमें नया BS6 एयर-कूल्ड इंजन मिलेगा। Rushlane द्वारा शेयर किए गए ब्रॉशर के मुताबिक, रॉयल एनफील्ड मीटियर 350 को फायरबॉल, स्टेलर और सुपरनोवा के 3 वैरिएंट्स में लॉन्च किया जाएगा। बुलेट फायरबॉल यलो, फायरबॉल रेड, स्टेलर रेड मैटेलिक, स्टेलर ब्लैक मैट, स्टेलर ब्लू मैटेलिक, सुपरनोवा ब्राउन डुअल-टोन और सुपरनोवा ब्लू डुअल-टोन के 7 कलर्स में आएगी।
फायरबॉल बुलेट का एंट्री-लेवल और सुपरनोवा टॉप वैरिएंट होगा। बाइक के सभी वैरिएंट में कुछ अलग फीचर्स दिए गए हैं। जैसे, फायरबॉल वैरिएंट ट्रिपर नेविगेटर, ब्लैक कंपोनेंट्स, सिंगल कलर टैंक, डीकैल के साथ ग्राफिक्स, कलर्ड रिम टेप और ब्लैक इंजन के साथ आ सकता है। वहीं, स्टेलर वैरिएंट बॉडी कलर्ड कंपोनेंट्स, प्रीमियम बैज, क्रोम एग्जस्ट सिस्टम, क्रोम हैंडलबार, क्रोम EFI कवर और बैकरेस्ट के साथ आएगा।
सुपरनोवा वैरिएंट प्रीमियम डुअल-टोन कलर, प्रीमियम सीट फिनिश, विंडस्क्रीन और क्रोम इंडीकेटर्स के साथ आ सकता है। ट्रिपर नेविगेटर एक सेमी-डिजिटल डुअल-पॉड इंस्ट्रूमेंट कंसोल है, जो कि रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकल में पहली बार ब्लूटूथ कनेक्टिविटी लेकर आया है। यह फीचर सभी वैरिएंट के लिए स्टैंडर्ड के रूप में दिया गया है।
मीटियर 350 बुलेट में नया UCE 350 इंजन दिया गया है। इसके परफॉर्मेंस स्पेसिफिकेशंस में काफी चेंज देखने को मिल सकता है। रॉयल एनफील्ड मीटियर 350 में 5 स्पीड ट्रांसमिशन मिल सकता है। अभी इसकी कीमत को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
महामारी के कारण लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ज्यादा खुद के वाहन को प्राथमिकता दे रहे हैं। कुछ लोग नया वाहन खरीद रहे हैं, तो कुछ का रुझान सेकंड हैंड वाहनों की तरफ है। लेकिन हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें ऑनलाइन सेकंड-हैंड वाहन खरीदने के चक्कर में ग्राहक धोखाधड़ी का शिकार हो गए, हालांकि कई बार लोकल मार्केट से सेकंड हैंड वाहन खरीदते समय भी ग्राहकों को ठग लिया जाता है। अगर आप भी सेकंड हैंड कार खरीदने का सोच रहे हैं, तो इस रिपोर्ट में पढ़ें कि खरीदारी करते समय आप कैसे सुरक्षित रहे सकते हैं...
1. मैकेनिक पर जरूरत से ज्यादा भरोसा न करें
कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि सेकंड हैंड कार खरीदने जा रहे हों, तो गाड़ी चेक करने के लिए खुद का मैकेनिक लेकर जाना चाहिए। लोग ऐसा करते भी हैं और यहीं से शुरू हो जाती है हमारी परेशानियां। यूज्ड कार डीलर सूर्या यादव ने हमें बताया कि अक्सर लोग सेकंड हैंड कार पसंद करने आते हैं तो अपना मैकेनिक साथ लेकर आते हैं। उसके बाद मैकेनिक के बोलने पर ग्राहक आंख बंद करके कार खरीद भी लेता है। यही उनकी सबसे बड़ी गलती होती है कि वह मैकेनिक पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर लेते हैं।
उन्होंने बताया कि मैकेनिक और डीलरों का एक दूसरे से आए दिन काम पड़ता रहता है क्योंकि दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं जबकि ग्राहक का मैकेनिक से कभी कभार ही काम पड़ता है। ऐसे में कोई भी मैकेनिक हो, सभी का कमीशन बंधा होता है, फिर चाहें ग्राहक उसे अपने साथ ही क्यों ना लाया हो। अगर कार बिकती है तो दो से तीन हजार रुपए का कमीशन मैकेनिक का तय हो जाता है, और ग्राहक को इस बात का पता भी नहीं चलता कि वह ठगा जा चुका है। इसलिए मैकेनिक पर जरूरत से ज्यादा विश्वास न करें क्योंकि वो अपने कमीशन के चक्कर में आपसे झूठ बोलने से पहले जरा भी नहीं सोचेगा, ताकि डीलर से उसका काम चलता रहें।
2. डीलर के कार कलेक्शन को देखकर इम्प्रेस न हों
अक्सर लोग यूज्ड कार डीलर्स का कार कलेक्शन देखकर इम्प्रेस हो जाते हैं और मन में ये धारणा बना लेते हैं कि इसके पास ज्यादा गाड़ियां हैं तो यह अच्छा डीलर होगा। लेकिन यहीं पर ग्राहक फिर धोखा खा जाता है। क्योंकि ऐसे डीलर सभी प्रकार की गाड़ियां ले लेते हैं, फिर चाहें वो अच्छी हो या उनमें कोई खराबी हो।
उसके बाद डीलर गाड़ियों का रंग-रोगन करवा कर या उनमें थोड़ा काम करवाकर उन्हें बेचने के लिए डिस्प्ले में लगा देता है। गाड़ी में यदि कोई प्रॉब्लम भी होती है तो मैकेनिक इतनी सफाई से लिपा-पोती करते हैं कि आम इंसान का समझ पाना नामुमकिन हो जाता है और ग्राहक बड़े स्टॉक के दिखावे में आकर उन पर विश्वास करके गाड़ी खरीद लेता है। इस समस्या से बचने के लिए ऐसे डीलर के पास जाएं, जिसके पास लिमिटेड स्टॉक हो लेकिन अच्छा स्टॉक हो।
3. जरूरत से ज्यादा डिस्काउंट मिल रहा है, तो कुछ गड़बड़ हो सकती है
कई बार डीलर एक्सीडेंटल गाड़ी ले लेते हैं और उसमें काम करवा कर उसका अच्छी तरह से रंग-रोगन कर उसे बेचने के लिए खड़ी कर देते हैं। गाड़ी को जल्द से जल्द निकालने के चक्कर में डीलर ग्राहकों का 30 से 40 हजार या उससे ज्यादा का भी डिस्काउंट दे देते हैं और ग्राहक सोचता है कि मैंने पैसे कम करवा लिए या यह मेरे बजट में आ रही है और फिर धोखा खा जाता है।
अगर डीलर बड़ा डिस्काउंट दे रहा है और गाड़ी की तारीफों के पुल बंध रहा है तो थोड़ा सतर्क हो जाने की जरूरत है, क्योंकि अगर चीज अच्छी होगी तो कोई भी उसकी कीमत से कॉम्प्रोमाइज नहीं करेगा लेकिन अगर कुछ गड़बड़ होगी तो ज्यादा से ज्यादा डिस्काउंट देकर गाड़ी निकालने की हर संभव कोशिश करेगा। इसलिए अगर जरूरत से ज्यादा डिस्काउंट मिले तो लालच में न आएं बल्कि सोचें कि डीलर अचानक से इतना बड़ा डिस्काउंट क्यों दे रहा है।
4. ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन को प्राथमिकता दें
इस समय ऑनलाइन ठगी के रोजाना कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें जालसाज डीलरों की ही गाड़ी अपने नाम से ऑनलाइन प्लेटफार्म पर डाल देते हैं वो भी बेहद कम कीमत पर, खुद की पहचान आर्मी वाले के तौर पर बता कर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं।
इसलिए ऑनलाइन प्लेटफार्म के चक्कर में ना पड़े और किसी पर भी आंख बंद करके विश्वास न करें नहीं तो महंगा पड़ सकता है। बेहतर होगा कि गाड़ी फिजिकली देख कर खरीदें ताकि तसल्ली से देखा-परखा जा सके। इससे फायदा ये होगा कि गाड़ी और गाड़ी मालिक दोनों आपके सामने होंगे और आप बेहतर तरीके से निर्णय ले पाएंगे।
5. गाड़ी देखकर उत्साहित न हो, बल्कि उसे चलाकर देखें
अक्सर देखने में आता है कि कुछ लोग गाड़ी देखकर उत्साहित हो जाते हैं और आपके इसी उतावलेपन को डीलर भांप लेता है फायदा उठाता है। वो कार की सारी खूबियां गिनाएगा अच्छी-अच्छी चीजें दिखाएगा, एसी चालू कर देगा, स्पीकर्स का साउंड सुना देगा, गाड़ी की चमक-दमक से रूबरू कराएगा और हम उसे सही मान लेते हैं। वो यह भी दिलासा देगा कि 'बेफिक्र रहें! गाड़ी में कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी'।
बेवजह उत्साहित होने की बजाए अपने विवेक से काम लें। गाड़ी की अच्छी तरह के पड़ताल करें। अगर आप अनुभवी नहीं भी हैं तो भी गाड़ी स्टार्ट कर केबिन में बैठकर या बाहर निकलकर उसके अनियमित साउंड और वाइब्रेशन का पता लगा सकते हैं। अगर कोई अनियमित साउंड या वाइब्रेशन होता है, तो डीलर से इसकी पूछे। हालांकि पुरानी गाड़ी में थोड़ा बहुत काम निकलता है, जो थोड़े बहुत खर्च में ठीक कराया जा सकता है, बस इंजन में प्रॉब्लम नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा गाड़ी का कम से कम 2 से 3 किमी. का ट्रायल जरूर लें, ताकि इसके इंजन, गियरबॉक्स को अच्छी तरह से चेक किया जा सके। कम से कम 1 से 2 किमी. गाड़ी चला लेने के बाद गाड़ी स्टार्ट रहने दें और बोनट खोल कर ऑयल डिप बाहर निकालें। अगर उस जगह से स्मोक आ रहा है या ऑयल के छींटे आ रहे हैं तो एक बार कंपनी में जरूर कंसल्ट कर लें, क्योंकि यह प्रॉब्लम तब आती है, जब इंजन सही तरह से काम नहीं कर रहा होता। कोशिश करें कि सर्टिफाइड कार ही खरीदें।
6. गाड़ी एक्सीडेंटल तो नहीं है, ऐसे चेक कर सकते हैं
पहला: गाड़ी एक्सीडेंटल तो नहीं एक आम आदमी के लिए इसका पता लगाना मुशिकल है लेकिन एक्सपर्ट ने बताया कि डूम, पिलर और चेसिस से इसका पता लगाया जा सकता है। गाड़ी के चेसिस को नीचे की तरफ से चारों और से देखें कि कहीं कोई प्ले या बेंड तो नहीं, अगर कहीं प्ले या बेंड दिखाई पड़ता है, तो कुछ गड़बड़ हो सकती है। दूसरा: बोनट खोलकर इंजन के पीछे वाला हिस्सा जहां सस्पेंशन दिखाई देते हैं वहां देखें। यहां आपको डूम दिख जाएंगे, जिसके ऊपर सस्पेंशन टिका होता है। एक्सीडेंट होने पर सबसे पहले यही हिस्सा क्षतिग्रस्त होता है। इस पर कंपनी की पेस्टिंग होती है। एक्सीडेंट होने पर यदि एक बार पेस्टिंग निकल जाए, तो फिर इसे दोबारा नहीं बनाया जा सकता। कंपनी सिर्फ नई गाड़ियों पर पेस्टिंग करके देती है, पुरानी गाड़ी पर दोबारा पेस्टिंग नहीं करती। तो डूम की पेस्टिंग देख कर आप गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगा सकते हैं। तीसरा: इसके अलावा पिलर्स से भी काफी हद तक गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है। जैसे ही दरवाजे खोलेंगे तो वहां पिलर्स पर लगी रबर को हटा कर देखें, यहां बहुत सारे डॉट नजर आएंगे, अगर इन डॉट में कहीं से क्रेक या जॉइंट दिखाई दें, तो भी गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है। चौथा: गाड़ी को बिल्कुल समतल जगह पर खड़ी कर लें। हैचबैक गाड़ी है तो कार से 6 से 7 फीट और अगर एसयूवी है तो 9 से 10 फीट दूर जाकर सेंटर में खड़े हो जाएं और गाड़ी की बनावट को ध्यान से देखें, इसे प्रोसेस गाड़ी के बैक साइड से भी करना है। अगर आपको दोनों तरफ से गाड़ी की बनावट में कोई अंतर दिख रहा है (यानी कुछ झुका या उठा हुआ दिख रहा है) तो इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंटल हो सकती है। इसकी पुष्टि करने के लिए जिस तरफ से डाउट हो, उस तरफ की रबर खोलकर पिलर्स की पेस्टिंग चेक कर सकते हैं। क्योंकि एक बार पेस्टिंग बिगड़ जाने पर उसे दोबारा उसी फिनिशिंग से बनाना मुश्किल है।
7. जब तक पूरे पेपर्स न मिलें, गाड़ी न खरीदें
डीलर्स के पास गाड़ियां कई जगहों से आती है। ज्यादातर शोरूम से एक्सचेंज कराई गई गाड़ी होती है, तो कुछ सीधे ग्राहकों ही बेचने के लिए दे जाते हैं। सेकंड हैंड गाड़ी खरीदें तो इन डॉक्यूमेंट्स पर ध्यान दें...
रजिस्ट्रेशन कार्ड (RC): यह गाड़ी का सबसे जरूरी दस्तावेज है या कह सकते हैं इस पर गाड़ी की पूरी कुंडली होती है। गाड़ी कब बनी, कब रजिस्टर्ड हुई, मॉडल नंबर, चेसिस नंबर, कलर, बॉडी टाइप सब कुछ इस कार्ड पर होता है। सेकंड हैड गाड़ी खरीदते वक्त सबसे पहले उसका रजिस्ट्रेशन कार्ड चेक करें। कार्ड पर देखें कि गाड़ी पर कोई लोन तो नहीं है। इस बात की जानकारी कार्ड के सबसे निचले हिस्से में दी होती है, गाड़ी जिस बैंक से फाइनेंस होती है उसका नाम नीचे ही लिखा होता है। अगर RC पर बैंक का नाम लिखा है, तो सबसे पहले कार बेचने वाले से बैंक की NOC जरूर ले लें वरना गाड़ी ट्रांसफर कराने में दिक्कत आएगी। गाड़ी फाइनेंस है या नहीं इसकी जानकारी आप RTO के साइट पर जाकर Hypothicated ऑप्शन पर क्लिक करके भी देख सकते हैं।
संबंधित थाने में जाकर क्राइम रिपोर्ट निकवाएं: RTO पर आपको एड्रेस मिल जाएगा, तो भविष्य में किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए सबसे पहले संबंधित थाने में जाकर गाड़ी की क्राइम रिपोर्ट निकलवाएं। यह पुलिस हेडक्वाटर (PHQ) से भी निकलवाई जा सकती है। इससे ये पता चलेगा कि कहीं आपके द्वारा खरीदी जा रही गाड़ी किसी तरह के क्राइम में इस्तेमाल तो नहीं हुई या उस पर किसी तरह का केस तो नहीं है। साथ ही संबंधित क्षेत्र के RTO से गाड़ी के ऊपर किसी प्रकार के चालान होने ना होने की जानकारी भी ली जा सकती है, वरना यह आपके लिए सरदर्द बन सकता है।
सेल लेटर की अहमियत समझें: गाड़ी बेच रहे हों या खरीद रहें हों ऐसे में सेल लेटर काफी अहम दस्तावेज है। गाड़ी बेच रहें हों तो RTO में जाकर सेल लेटर पर साइन करना ना भूलें ताकि भविष्य में गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो आप जिम्मेदार नहीं होंगे, जिसे गाड़ी बेची है उसके साथ एक एग्रीमेंट भी कराया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार गाड़ी खरीदते समय भी सेल लेटर की अहमियत को समझें और डीलर (या जिससे भी कार खरीद रहे हों) से सेल लेटर जरूर मांगे, जिस पर RTO की सील और साइन लगे होते हैं, ताकि गाड़ी अपने नाम कराने में कोई दिक्कत न हो।
नोट- सभी पॉइंट्स यूज्ड कार डीलर सूर्या यादव (रिलाएबल कार जोन, भोपाल) से बातचीत के आधार पर