Thursday, June 25, 2020

अब आप आसानी से कर सकेंगे अपने मनपसंद टीवी चैनल को सब्सक्राइब, TRAI ने लॉन्च किया 'टीवी चैनल सेलेक्टर' ऐप June 25, 2020 at 06:00AM

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने गुरुवार को अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए एक ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप के जरिए ग्राहक टीवी चैनल अपनी मर्जी के मनपसंद चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं। यह ऐप ग्राहकों को अपनी पसंद के चैनलों का चुनाव करने और नापसंद चैनलों को हटाने की सुविधा देती है। बता दें कि पहले ग्राहक इसे अपने ऑपरेटर की मदद से करते थे, लेकिन अब आप अपने पसंदीदा चैनल सिर्फ ऐप के जरिए ही सलेक्ट कर सकेंगे। ट्राई ने अपने इस ऐप का नाम टीवी चैनल सेलेक्टर (TV Channel Selector) रखा है।

चैनल सब्सक्राइब करने में ग्राहकों को हो रही थी दिक्कत

ट्राई ने अपने बयान में कहा कि ब्राॅडकास्ट सर्विस के लिए नई दरें तय करने के बाद यह सामने आया है कि ग्राहकों को उनके सर्विस प्रोवाइडर के वेबपोर्टल या ऐप पर टीवी चैनलों को चुनने या समूह में चैनल चुनने में दिक्कत आ रही है। इसलिए ट्राई ने ऐसा ऐप विकसित करने का निर्णय किया जो सभी डिस्ट्रिब्यूशन प्लेटफाॅर्म आॅपरेटर्स (DPOs) से जानकारियां लेकर एक ही जगह पर उपलब्ध कराएगा।

फिलहाल इस ऐप को DTH और केबल ऑपरेटर जोड़ा गया है

ट्राई ने कहा कि अभी इस ऐप पर बड़े DTH सर्विस प्रोवाइडर, मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (एमएसओ/केबल ऑपरेटर) की जानकारी उपलब्ध है। जल्द ही अन्य सर्विस प्रोवाइडर की जानकारियों को भी इससे जोड़ा जाए। नियामक ने कहा कि ‘टीवी चैनल सेलेक्टर ऐप’ को टीवी उपयोक्ताओं को पारदर्शी और भरोसेमंद व्यवस्था देने के इरादे से विकसित किया गया है।

ऐप पर सभी उपयोक्ताओं की पहचान का वेरिफिकेशन एक बार उपयोग होने वाले पासवर्ड (OTP) से किया जाएगा। यह उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। यदि किसी यूजर ने सर्विस प्रोवाइडर के साथ अपना नंबर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो यह ओटीपी उसके टीवी स्क्रीन पर दिखेगा।

यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर पर उपलब्ध है

ऐप ग्राहक को उसके द्वारा चुने हुए चैनलों की जानकारी मुहैया कराने और चैनलों का चुनाव करने की सुविधा देगी। ग्राहक अपने पंसद के चैनल चुन सकते हैं या नापसंद चैनल को हटा भी सकते हैं। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर पर उपलब्ध है।



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यह ऐप ग्राहकों को अपनी पसंद के चैनलों का चुनाव करने और नापसंद चैनलों को हटाने की सुविधा देती है

रियलमी ने लॉन्च किए 1999 रुपए का Buds Q वायरलेस ईयरबड्स, A4 साइज पेपर से भी हल्का है सिंगल हेडफोन June 25, 2020 at 02:04AM

रियलमी X3 स्मार्टफोन सीरीज के साथ कंपनी ने Buds Q ट्रू वायरलेस ईयरबड्स भी लॉन्च किए। इसकी कीमत 1999 रुपए है। कंपनी का दावा है कि ईयरबड चार्जिग केस के साथ कुल 20 घंटे का प्लेबैक टाइम मिलता है और बेहद हल्के हैं, इसका सिंगल हेडफोन A4 साइज पेपर से भी हल्का है। इसमें तीन कलर ऑप्शन मिलते हैं।
इससे पहले वायरलेस ईयरबड्स सेगमेंट में कंपनी रियलमी बड्स एयर और रियलमी बड्स एयर निओ भी भारत में लॉन्च कर चुकी है। दोनों ही प्रोडक्ट्स एपल एयरपॉड्स जैसी डिजाइन के साथ आते हैं। हालांकि, नया रियलमी बड्स Q एक और भी अधिक कॉम्पैक्ट रूप है जो गैलेक्सी बड्स से मिलता जुलता है।

रियलमी बड्स Q: भारत में कीमत और उपलब्धता

  • रियलमी बड्स Q की कीमत 1999 रुपए है। ईयरबड्स तीन कलर ऑप्शन- ब्लैक, येलो, और व्हाइट में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
  • इन्हें अमेज़न इंडिया और रियलमी डॉट कॉम से खरीदा जा सकेगा।
  • इसकी पहली सेल 1 जुलाई (दोपहर 2pm बजे) से शुरू होगी। आने वाले हफ्तों में ईयरबड्स को ऑफलाइन स्टोर्स के माध्यम से बेचा जाएगा।
  • बता दें कि रियलमी बड्स Q को चीन में पिछले महीने CNY 149 (यानी लगभग 1,600 रुपए) कीमत के साथ लॉन्च किया जा चुका है।

रियलमी बड्स Q: फीचर्स

  • रियलमी बड्स Q को फ्रांसीसी कलाकार जोस लेवी द्वारा डिज़ाइन किया गया है जो कान में आराम से फिट होते हैं।
  • ईयरबड्स का वजन सिर्फ 3.6 ग्राम होता है और ये पीसी + एबीएस पॉलीमर कंपोजिट मटीरियल से बने हैं।
  • चार्जिंग केस सहित इसका कुल वजन 35.3 ग्राम है, सिंगल हेडफोन A4 साइज पेपर से भी हल्का है।
  • ईयरबड्स 40mAh की बैटरी और चार्जिंग केस 400mAh की बैटरी के साथ आता है।
  • कंपनी का दावा है कि ईयरबड्स एक बार चार्ज करने पर 4.5 घंटे का प्लेबैक देते हैं और चार्जिंग केस के साथ कुल 20 घंटे का प्लेबैक प्रदान करता है। यह 8 फिल्में देखने या 400 गाने सुनने के बराबर है।
  • कंपनी का दावा है कि यदि औसत उपयोग प्रति दिन 3 घंटे है, तो रियलमी बड्स Q को केवल सप्ताह में एक बार चार्ज करने की आवश्यकता होती है।
  • चार्जिंग के लिए इसमें माइक्रो-यूएसबी पोर्ट है और बड्स पूरी तरह से चार्ज होने में दो घंटे जबकि चार्जिंग केस फुल चार्ज होने में दो घंटे का समय लेता है।
  • चार्जिंग केस 30W वायर्ड चार्जिंग को सपोर्ट करता है। यह वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट नहीं है।
  • ईयरबड AAC हाई क्वालिटी ऑडियो और इंटेलीजेंट टच कंट्रोल्स को सपोर्ट करता है। साइड में डबल टैप करने से कॉल का जवाब दे सकते हैं और म्यूजिक प्ले या पॉज कर सकेंगे।
  • ट्रिपल टैप करने से अगला गाना चलेगा और एक तरफ दबाने और कॉल करने से कॉल खत्म हो जाएगी। दोनों साइड दबाने और होल्ड करने से गेमिंग मोड में चले जाएगा।
  • रियलमी बड्स Q को वॉटर रेजिस्टेंट के लिए IPX4 रेटिंग दी गई है। चार्जिंग केस को IPX4 रेटिंग नहीं दी गई है।


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रियलमी बड्स Q को फ्रांसीसी कलाकार जोस लेवी द्वारा डिज़ाइन किया गया है, चार्जिंग केस सहित इसका कुल वजन 35.3 ग्राम है

लगज़री एसयूवी सेगमेंट में GLE व GLS का दबदबा June 25, 2020 at 01:22AM

देश के लगज़री बाजार की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली मर्सिडीजबेंजइंडिया ने हाल फिलहाल में अपनी दो एसयूवी GLE व GLS को बाजार में पेश किया है। पुराने मॉडल की तुलना में इन एसयूवी कारों में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जहां एक ओर GLS को 99 लाख रुपये की कीमत में कंपनी ने पेश किया तो वहीं GLE को 73 लाख 70 हजार रुपये की कीमत परलॉन्चकिया है। इस आर्टिकल में हम आपकोबताएंगेकि इन गाड़ियों में क्या है खास। ये आलेख आपको पसंद आएगा अगर शौक रखते हैं लगज़री कारों का।

मर्सिडीजबेंजGLS
GLS को दो वेरिएंट में बाजार में उपलब्‍ध है जिनमें से एक है GLS 400 डी और दूसरी है GLS 450। इसके पहले वाले मॉडल की तुलना में ये ज्‍यादा लंबी व चौड़ी है साथ ही इसका अंदाज भी अलग है। नई GLS एसयूवी मॉड्यूलर हाई आर्किटेक्चर (एमएचएए) परबेस्डहै। इसकी कुल लंबाई 5207मिमी, चौड़ाई 1999मिमी, ऊंचाई 1823मिमीव व्हीलबेस 3135 मिलीमीटर है। अगर पुरानी GLS से इसकी तुलना करें तो ये 77मिमीज्यादा लंबी और 22मिमीज्यादा चौड़ी साथ ही इसके व्हीलबेस में भी 60 मिलीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है।


इंजन व शक्ति
इसके 450 वेरियंट में 3.0-लीटर वाला 6-सिलिंडर पेट्रोल इंजन लगा है जो कि 367 एचपी की शक्ति और 500 एनएम काटॉर्कजेनरेटकरता है। इसके साथ 48 वीमाइल्ड-हाइब्रिड सिस्टम है, जो अतिरिक्त 22 एचपी की शक्ति व 250 एनएम काटॉर्कपैदा करता है। ये गाड़ी महज यह 6.2 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है।
इसके 400 डी वेरिएंटमें मिलता है3-लीटर वाला 6-सिलिंडरडीजलइंजन है जोकि 330 एचपी की शक्ति और 700एनएम काटॉर्कजेनरेटकरता है। ये GLS एसयूवी 6.3 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है। इसके दोनों इंजन 9-स्पीड 4मैटिक ट्रांसमिशन से लैस हैं और ये ऑल-वीलड्राइव सिस्टम के साथ आती है।

फीचर्स
फीचर्स की बात करें तो GLS में आपको इन्फोटेनमेंट सिस्टम और इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर के लिए 12.3-इंच की दो स्क्रीन दी गई है। अन्य लगज़री फीचर्स के तहत इसमें जेस्चर कंट्रोल औरवॉइसकमांड के साथ मर्सेडीज का लेटेस्ट एमबीयूएक्स मल्टीमीडिया सिस्टम, पैनोरमिक सनरूफ, 64-कलर ऐम्बिएंटलाइटिंग, 5-जोन4मैटिकक्लाइमेट कंट्रोल, फ्रंट और रियर में वायरलेस चार्जिंग और रियर सीट एंटरटेनमेंट स्क्रीन्स मिलते हैं। इस GLS में एलईडी हेडलैंप, 21 इंच अलॉयव्हीलव एयर सस्पेंशन दिए गए हैं। इसकेबूटपर एक बटन दिया गया है जिसकेइलेक्ट्रिकलीथर्ड रोकोफोल्डकिया जा सकता है। इसेफोल्डकरके इस एसयूवी में 2400 लीटर का बड़ाबूटस्पेस मिल जाता है। नई GLE में कुल 11यूएसबीपोर्ट दिए गए हैं।

मुख्य हाईलाइट्स

7 लोग इसमें आराम से बैठ सकते हैं
ईक्यूबूस्टटेक्नोलॉजी ( GLS 450 4 मैटिक) दी गई है
इसमें आपको मिलते हैं एयरमैटिक सस्पेंशनविदएडीएसप्लस
21 इंच का नए अंदाज वाला अलॉयव्हील
ऑल न्यू मर्सिडीज मी एप इसमें दिया गया है
एमबीयूएक्स
प्री इंस्टालेशन फॉर इंटरटेनमेंट औरकंफर्टफीचर्स
बर्मेस्टरसराउंडसाउंड सिस्टम
वन टचईजीफोल्डदूसरी व तीसरी पंक्ति
शॉफर पैकेज
फ्रंट और वै‌रियस सीट परमेमरीपैकेज
सामने व पीछे वायरलेस चार्जिंग
11यूएसबीपोर्ट
9 एयरबैग
ऑफ रोड एबीएस

मर्सिडीजबेंजGLE
GLE 300 डी की कीमत 73 लाख 70 हजार रुपये से शुरू होती है तो वहीं इसके 400 डीहिप-हॉपवेरिएंट की कीमत 1.25 करोड़ रुपये है। हाल ही मेंलॉन्चहुई GLE चौथी पीढ़ी की एसयूवी है जिसे 2018 के पेरिसमोटरशो मेंग्लोबलीप्रदर्शित किया गया था। इसकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है किलॉन्चहोते ही पहली तिमाही कास्टॉकइस गाड़ी का पूरी तरहसोल्डआउट हो गया। ये एक ऐसी गाड़ी है जिसमें वो फीचर्स दिए गए हैं जो बेहद व्यावहारिक व आपके काम के हैं।

इंजन व शक्ति
GLE 300 डी 4 मैटिक में चार सिलेंडर वाला इंजन लगा है जो कि 245 एचपी की शक्ति व 500 एनएम काटॉर्कपैदा करता है। मर्सिडीजबेंजGLE का बेस मॉडल के महज 7.2 सेकेंड में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है। टॉप वैरिएंट वाली GLE 400 डी 4 मैटिक में 6 सिलेंडर वाला इंजन मिलता है, जो कि 330 एचपी की शक्ति व 700 एनएम काटॉर्कजेनरेटकरता है। टॉप वेरियंट वाली मर्सिडीजबेंजGLE सिर्फ 5.8 सेकेंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड पकड़ लेती है।


फीचर्स पर एक नजर
इसमें मल्टी-बीमएलईडी हेडलैंप, पैनोरोमिक सनरुफ,फोरव्हीलक्लाइमेंट कंट्रोल और वेंटलिटेड सीट जैसे लगज़री फीचर्स दिए गए हैं। इस गाड़ी को एकऑफरोडएसयूवी के अंदाज के साथडिजाइनकिया गया है।

GLE कीखासियत

लांगव्हीलबेस
एयरमैटिक सस्पेंशनविदएडीएस प्‍लस
फ्रंट मेमोरी पैकेज
इलेक्ट्रिकलीअडजस्टेबल रियर सीटें
एक्सप्रेशन इंटीरियर
वायरलेस चार्जिंग प्वाइंट
मल्टीफंक्‍शन स्पोर्ट्स स्टीयरिंगव्हील्स
7 एयरबैग
ऑफ रोड एबीएस



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GLE and GLS dominate the luxury SUV segment

भारत में लॉन्च रियलमी X3 और X3 सुपरजूम स्मार्टफोन; 30 जून को पहली सेल, शुरुआती कीमत 24999 रुपए June 25, 2020 at 12:48AM

रियलमी ने दो स्मार्टफोन X3 और X3 सुपरजूम को भारत में लॉन्च कर दिया है। दोनों स्मार्टफोन 120Hz डिस्प्ले, क्वाड रियर कैमरा और डुअल सेल्फी कैमरा से लैस हैं। दोनों में ही स्नैपड्रैगन 855 प्लस प्रोसेसर और लिक्विड कूलिंग सिस्टम दिया गया है। दोनों मॉडलों में कैमरा का अंतर है। X3 सुपरजूम में पेरिस्कोप स्टाइल लेंस सेटअप मिलता है, जो 5x ऑप्टिकल ज़ूम सपोर्ट करता है जबकि X3 में टेलीफोटो लेंस है जो 2x ऑप्टिकल ज़ूम सपोर्ट करता है।

रियलमी X3 और रियलमी X3 सुपरजूम: भारत में कीमत

  • भारत में रियलमी X3 को दो वैरिएंट में उतारा गया है। इसके 6GB रैम + 128GB स्टोरेज वैरिएंट की कीमत 24,999 रुपए है जबकि 8GB रैम + 128GB स्टोरेज वैरिएंट की कीमत 25,999 रुपए है।
  • रियलमी X3 सुपरजूम को भी दो वैरिएंट में लॉन्च किया गया है। इसके 8GB रैम + 128GB स्टोरेज वैरिएंट की कीमत 27,999 रुपए है जबकि 12GB रैम + 256GB स्टोरेज वैरिएंट की कीमत 32,999 रुपए है।
  • रियलमी X3 और X3 सुपरजूम दोनों दो अलग-अलग कलर ऑप्शन आर्कटिक व्हाइट और ग्लेशियर ब्लू में उपलब्ध होंगे। दोनों की पहली सेल 30 जून को दोपहर 12 बजे (दोपहर) फ्लिपकार्ट और रियलमी डॉट कॉम के माध्यम से होगी।
  • प्री-बुकिंग आज शाम 8 बजे खुलेगी और 27 जून तक चलेगी। आने वाले हफ्तों में स्मार्टफोन ऑफलाइन स्टोर्स के माध्यम से भी बेचे जाएंगे।
  • बता दें कि रियलमी X3 सुपरजूम का पिछले महीने यूरोप में 12GB रैम + 256GB स्टोरेज वैरिएंट को EUR 499 यानी लगभग 42,500 रुपए कीमत के साथ लॉन्च किया गया था।

रियलमी X3 स्मार्टफोन: स्पेसिफिकेशन और फीचर्स

  • डुअल नैनो सिम रियलमी X3 एंड्रॉयड 10 पर रियलमी UI के साथ काम करता है और इसमें 6.6-इंच का FHD+ (1080x2400 पिक्सल) अल्ट्रा स्मूद डिस्प्ले है। डिस्प्ले कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 पैनल द्वारा सुरक्षित है और इसमें 120Hz रिफ्रेश्ड रेट मिलता है।
  • रियलमी X3 में क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 855+ प्रोसेसर है जो एड्रिनो 640 जीपीयू के साथ 8GB LPDDR4x रैम और 128GB UFS 3.0 बूस्ट ऑनबोर्ड स्टोरेज है जिसमें माइक्रोएसडी कार्ड सपोर्ट नहीं मिलेगा।
  • फोटोग्राफी के लिए इसमें चार रियर कैमरा सेटअप है जिसमें 8-मेगापिक्सेल अल्ट्रा-वाइड-एंगल शूटर, 2-मेगापिक्सेल मैक्रो शूटर, 64 मेगापिक्सेल सैमसंग GW1 प्राइमरी सेंसर है और 12-मेगापिक्सल टेलीफोटो लेंस है जो 2x ज़ूम सपोर्ट करता है।
  • सेल्फी और वीडियो चैट के लिए, रियलमी X3 में 8-मेगापिक्सल के अल्ट्रा-वाइड-एंगल लेंस के साथ फ्रंट में 16-मेगापिक्सल का सोनी IMX471 कैमरा सेंसर है।
  • कनेक्टिविटी के लिए इसमें 4G, वाई-फाई 802.11ac, ब्लूटूथ v5.0, जीपीएस / ए-जीपीएस और एक यूएसबी टाइप-सी पोर्ट शामिल हैं। इसमें एक्सीलेरोमीटर, एम्बियंट लाइट सेंसर, गायरोस्कोप, मैग्नेटोमीटर और प्राक्सिमिटी सेंसर शामिल हैं।
  • सिक्योरिटी के लिए फोन में साइड-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर है। इसके अलावा इसमें डॉल्बी एटमॉस और हाई-रेजोल्यूशन ऑडियो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है।
  • रियलमी X3 में 4200mAh की बैटरी दी है जो 30W डार्ट फ्लैश चार्ज फास्ट चार्जिंग तकनीक को सपोर्ट करती है। फोन का डायमेंशन 163.8x75.8x8.9 मिमी है और यह 202 ग्राम वजनी है।

रियलमी X3 सुपरजूम स्मार्टफोन: स्पेसिफिकेशन और फीचर्स

  • रियलमी X3 सुपरजूम में रियलमी X3 के साथ कई समानताएं हैं। फोन में डुअल नैनो सिम सपोर्ट शामिल है और यह टॉप पर रियलमी UI के साथ एंड्रॉयड 10 ओएस पर काम करता है।
  • फोन में 6.6 इंच का FHD+ (1080x2400 पिक्सल रेजोल्यूशन) अल्ट्रा स्मूथ डिस्प्ले है जो आपको रियलमी X3 में भी मिलता है।
  • फोन क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 855+ प्रोसेसर पर काम करता है। इसमें 12GB तक LPDDR4x रैम सपोर्ट मिलता है।
  • फोटोग्राफी के लिए फोन में क्वाड रियर कैमरा सेटअप भी है जिसमें f/1.8 लेंस के साथ 64-मेगापिक्सल सैमसंग GW1 प्राइमरी सेंसर और 8-मेगापिक्सेल अल्ट्रा-वाइड-एंगल शूटर शामिल है। इसके अलावा इसमें f/2.4 अपर्चर के साथ 2-मेगापिक्सेल मैक्रो शूटर भी है।
  • रियलमी X3 सुपरजूम में 8-मेगापिक्सल सेंसर है जिसमें पेरिस्कोप-स्टाइल लेंस सेटअप है जिसमें f/3.4 अपर्चर है और यह 5x ऑप्टिकल ज़ूम सपोर्ट करता है। रियर कैमरा सेटअप एस्ट्रो-फोटोग्राफी के लिए प्रीलोडेड स्टाररी मोड के साथ भी काम करता है।
  • फोन में डुअल सेल्फी कैमरे है, जिसमें 32-मेगापिक्सल का सोनी IMX616 प्राइमरी सेंसर f/2.5 लेंस और अल्ट्रा-वाइड-एंगल f/2.2 लेंस के साथ 8-मेगापिक्सल का सेकेंडरी सेंसर शामिल है।
  • फोन में 128GB UFS 3.0 बूस्ट ऑनबोर्ड स्टोरेज है। कनेक्टिविटी के लिए इसमें में 4G, वाई-फाई 802.11ac, ब्लूटूथ v5.0, जीपीएस / ए-जीपीएस और एक यूएसबी टाइप-सी पोर्ट शामिल हैं।
  • इसमें वही सेंसर ऐरे भी है जो रियलमी X3 में उपलब्ध है। फोन में एक साइड-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर है और यह 4200mAh की बैटरी से लैस है, जो 30W डार्ट फ्लैश चार्ज को सपोर्ट करता है।
  • फोन में डॉल्बी एटमॉस और हाई-रेजोल्यूशन ऑडियो सपोर्ट भी हैं। इसका डायमेंशन और वजन रियलमी X3 जितना ही है।


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रियलमी X3 सुपरजूम में पेरिस्कोप स्टाइल लेंस सेटअप मिलता है, जो 5x ऑप्टिकल ज़ूम सपोर्ट करता है जबकि रियलमी X3 में टेलीफोटो लेंस है जो 2x ऑप्टिकल ज़ूम सपोर्ट करता है

यूजर का डेटा लंबे समय तक स्टोर नहीं करेगा गूगल, 18 महीने बाद सर्च हिस्ट्री तो 36 महीने बाद यूट्यूब हिस्ट्री खुद-ब-खुद डिलीट होगी June 25, 2020 at 12:22AM

गूगल अपने यूजर्स का कलेक्ट किया गया डेटा ऑटोमैटिकडिलीट करने के लिएसेटिंग्स में बदलाव कररहा है। यूजर्स ने किस पेज पर विजिट किया, कौन सी वेबसाइट सर्च की और क्या ऐप एक्टिविटी की औरउसका लोकेशन डेटा आदि अपने आप ही 18 महीने के बाद गूगल सर्वर से डिलीट हो जाएगा,जबकि यूट्यूब हिस्ट्री जैसे कि कौन सी क्लिप देखी गई और कितनी देर तक देखी गई आदिजानकारियां 36 महीने बाद डिलीटहो जाएंगी।
फिलहाल यह बदलाव केवल नए अकाउंट पर ही लागू होता है, लेकिन मौजूदा यूजर्स को अपनी सेटिंग्स में बदलाव करने की सुविधा दी जा सकती है। गूगल ने यह घोषणा तब कि जब अन्य टेक्नोलॉजी कंपनियां डेटा कलेक्ट करने और उससे बिजनेस करनेके मामले में कई तरह की जांचों का सामना कर रही हैं।

सर्चिंग निगरानी कोलेकर विवादों में है गूगल

  • वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट को इस हफ्तेके आखिर मेंगूगल के एंटी-कॉम्पीटिटिव बिहेवियर के लिए उसे सजा देने के लिए चर्चा करनी है, गूगल पर आरोप है कि इसने ऑनलाइन सर्च में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया है।
  • मंगलवार को एक जर्मन अदालत ने फेसबुक पर लोकल यूजर्सका डेटा कलेक्शन करने पर रोक लगाई है। चिंता जताई जा रही है कि कंपनी सोशल नेटवर्किंग के बीच अपनी अच्छी पोजीशन का दुरुपयोग कर रही है।

2019 में ऑटो-डिलीट कंट्रोल की शुरुआत

  • गूगल ने मई 2019 में ऑटो-डिलीट कंट्रोल की शुरुआत की ताकि यूजर्सको कंपनी द्वारा उनके बारे में इकट्ठा किए गए लॉग के नियमित काट-छांट के लिए मजबूर किया जा सके, लेकिन उस समय यह एक ऑप्ट-इन ऑप्शन बनाया गया। मतलब कि डेटा स्टोर करने के लिए यूजर की सहमति जरूरी होती है।अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी इकट्ठा किए गए इस डेटाको यूजर्स केलिए विज्ञापन दिखाने और अन्य चीजोंके लिए इस्तेमाल करती हैं।

यूट्यूब रिकॉर्ड को लंबे समय तक रखेगा

  • गूगल के प्रोडक्ट मैनेजर डेविड मोनसे ने कहा- हम जानते हैं कि जानकारी हमारे प्रोडक्ट को बेहतर बनाने में मदद करती है, लेकिन डेटा कम से कम समय तक रखनाहमारीनीतियों में है और गूगल अब अनिश्चित काल तक डेटा नहीं रखेगा।
  • गूगल ने कहा कि वह इंटरनेट एक्टिविटी की तुलना में यूट्यूब रिकॉर्ड को अधिक समय तक रखना चाहता है, क्योंकि इससे यूजर्स के हिसाब से सिफारिशें देने और अन्यकामोंमें मदद मिलेगी, जिसके लिए एक लंबी सर्च हिस्ट्री जरूरी है।
  • उन्होंने आगे बताया कि डेटा के ऑटोमैटिक डिलीट होने की सुविधा सेफोटो, जीमेल और इसकी ड्राइव में स्टोर डेटा डिलीट नहीं होगा, क्योंकि यह विज्ञापन और अन्यकामों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता।
  • कंपनी ने अपने फैसले को सही ठहराया है कि मौजूदा अकाउंट में बदलाव को इस आधार पर लागू नहीं किया जाए कि वह बिना किसी अनुमति के "क्यूरेट" डेटा मिटाकर लोगों को नहीं खोना चाहता है और यह भी बताया कि सभी उपयोगकर्ता ऑटो-वाइप अवधि को तीन महीने के लिए ही निर्धारित कर सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह है कि यह बदलाव कम लोगों को प्रभावित करेगा जितना कि यह हो सकता है।

लॉन्ग टाइम यूजर्स को भी बताए जाएंगे गाइडेड टिप्स

  • लॉन्ग टाइम यूजर्स अन्य तरीकों से प्रभावित होंगे, हालांकि उन्हें नए 'गाइडेड टिप्स' भी दिखाए जाएंगे। उदाहरण के लिए यदि कोई यह जानने के लिए गूगल सर्च का उपयोग करते हैं कि क्या उनका अकाउंट सुरक्षित है, तो एक बॉक्स उनकी सेटिंग्स दिखाएगा और उन्हें इसे एडजस्ट करने का तरीका भी बताएगा।
  • उदाहरण के तौर पर यदि कोई उपयोगकर्ता अपने हैंडसेट की लोकेशन को किसी मित्र के साथ साझा करता है, तो उन्हें बाद में याद दिलाया जाएगा कि परमिशन अभी भी एक्टिव है और पूछा गया कि क्या वे इसे बंद करना चाहते हैं।

हम इनकॉग्निटो मोड को आसान बनाया-गूगल

  • गूगल ने कहा कि उसने अपने ऐप्स में इनकॉग्निटो मोड(यह सेटिंग जो डेटा कलेक्ट नहीं करता) को आसानबना दिया है। यह मोडयूजर्सको अपनी जानकारी छुपाकर सर्चिंग करने की सुविधा देताहै।

कई लोग गूगल के पास रखी जानकारी से असहज हैं

  • ओपन राइट्स ग्रुप के कार्यकारी निदेशक जिम किलॉक ने कहा, बहुत से लोग गूगल में स्टोर अपनी जानकारी से असहज हैं। इसका मतलब है कि लोग कई चीजों को अनदेखा कर सकें। गूगल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर किसी ने इस बारे में एक स्पष्ट संकेत दिया है कि क्या वे चाहते हैं कि उनकी हिस्ट्री कलेक्ट हो बजाय इसके कि उनकी जानकारियां मिटा दी जाए जिसे वे आधे पढ़ चुके हैं।


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फिलहाल यह बदलाव केवल नए अकाउंट के लिए लागू होता है, लेकिन मौजूदा यूजर्स को जल्द ही अपनी सेटिंग्स में बदलाव करने के लिए सुविधा मुहैया कराई जा सकती है

9.12 लाख रु. कीमत का टोयोटा यारिस फ्लीट वैरिएंट लॉन्च, सरकार की ऑनलाइन ई-कॉमर्स साइट GeM पर भी मिलेगी June 24, 2020 at 09:06PM

टोयोटा मोटर ने बुधवार को बताया कि यारिस सेडान अब गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM) पर भी उपलब्ध है। GeM सरकारी संगठनों, विभागों और विभिन्न PSU के लिए डेडिकेटेड गुड्स एंड सर्विसेस ई-कॉमर्स वेबसाइट है। यारिस का फ्लीट वैरिएंट, J(MT) पेट्रोल वैरिएंट पर बेस्ड है, जिसकी कीमत 9.12 लाख रुपए (डिलीवरी चार्ज सहित)। हालांकि, फ्लीट वैरिएंट स्टैंडर्ड J-वैरिएंट की तुलान में लगभग 1.96 लाख रुपए सस्ता है।

फ्लीट वैरिएंट का इंटीरियर और एक्सटीरियर

  • कंपनी के मुताबिक, फ्लीट मार्केट के लिए उपलब्ध यारिस सात एयरबैग, एबीएस, ईबीडी और ब्रेक असिस्ट, रिमोट सेंट्रल लॉकिंग, मैनुअल डे/नाइट इनसाइड रियर व्यू मिरर और रियर पार्किंग सेंसर से लैस है।
  • वहीं, बाहर की तरफ यारिस के इस संस्करण में 15 इंच अलॉय व्हील्स और हलोजन प्रोजेक्टर हेडलाइट्स हैं। फिलहाल यह मुख्य रूप से एक सुपर व्हाइट कलर में उपलब्ध है जबकि रिक्वेस्ट के आधार पर अन्य रंगो में भी इसकी डिवीलरी की जाएगी।
  • अंदर की तरफ फ्लीट-स्पेक यारिस में डुअल-टोन इंटररियर्स मिलता है। इसमें एडजस्टेबल फ्रंट और रियर हेडरेस्ट, फ्रंट और रियर आर्मरेस्ट, पावर एडजस्टेबल विंग मिरर, पावर विंडो, मैनुअल एसी जैसे फीचर्स है और रियर चार्जिंग आउटलेट मिलने की भी उम्मीद हैं। उम्मीद की जा रही है कि इसमें 80kph स्पीड लिमिटर मिल सकता है जो कैब्स नॉर्म्स के लिए जरूरी है।

स्टैंडर्ड-J वैरिएंट जैसे ही मिलेगा इंजन

  • इंजन की बात करे तो यारिस का फ्लीट वैरिएंट स्टैंडर्ड-J वैरिएंट के समान है। इसमें 107hp/140Nm टॉर्क जनरेट करने वाला 1.5-लीटर पेट्रोल इंजन है जो 6-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ आता है। फिलहाल के लिए यारिस में कोई कोई फ़ैक्ट्री-फिटेड CNG पावर्ड वर्जन नहीं है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि टोयोटा भविष्य में इसे पेश कर सकती है।
  • इस फ्लीट स्पेक यारिस को टोयोटा ने इटिओस के रिप्लेसमेंट के तौर पर भी देख रही है। कंपनी ने बी-सेगमेंट सेडान को अप्रैल की शुरुआत में बंद कर दिया गया था जो व्यावसायिक उपयोग के लिए एक लोकप्रिय मॉडल था। यह देखना बाकी है कि यारिस इटियोस की लोकप्रियता से मेल खाएगी या नहीं।


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यह गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM) पर भी उपलब्ध है, GeM सरकारी संगठनों, विभागों और विभिन्न PSU के लिए डेडिकेटेड गुड्स एंड सर्विसेस ई-कॉमर्स वेबसाइट है

AI से मिल रही वैक्सीन बनाने में मदद, फेस रिकॉग्निशन कोरोना मरीज पर नजर रख रहा, रोबोट कर रहे देखभाल और साफ-सफाई June 24, 2020 at 02:28PM

कोरोनावायरस के चलते जब पूरी दुनिया डर के साये में जी रही है, उस वक्त में टेक्नोलॉजी हमारी सबसेबड़ीमददगार बन रही है। टेक्नोलॉजी की बदौलत हम ना सिर्फ कोरोना के खिलाफ तेजी से रिस्पांड कर पा रहे हैं, बल्कि सरकारें भी तकनीक की मदद से लोगों को भरोसा दे रही हैं।

टेक एक्सपर्ट बालेंदु दाधीच का मानना है कि टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी मदद तो यही है। एआई (AI), एनालिटिक्स, क्लाउड, मोबाइल, सोशल प्लेटफॉर्म्स कोरोना से इस लड़ाई में टेक्नोलॉजी के पांच सबसे मजबूत वॉरियर के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

वहीं, टेक गुरु अभिषेक तैलंग एआई, रोबोटिक्स जैसी टेक्नोलॉजी के साथ टेक फ्यूजन के महत्व की भी बात करते हैं। चीन में मरीजों के देखभाल के लिए रोबोट को लगाया गया है जो अस्पतालों के आइसोलेशन वॉर्ड्स में दवाइयां और खाना देने का काम कर रहे हैं। मरीजों के मेडिकल वेस्ट और बेड शीट्स लेने का काम कर रहे हैं।

`लिटिल पीनट्स` नाम का एक रोबोट तो होटलों में क्वारैंटाइन किए गए लोगों तक खाना पहुंचाने का काम कर रहा है। अमेरिका में `विसी` नाम का रोबोट मेडिकल टीम और मरीज के बीच कॉर्डिनेशन का काम कर रहा है। इसी तरह कई चैटबोट्स यात्रियों को लेटेस्ट ट्रेवल प्रोसिजर की जानकारी दे रहे हैं।

कोरोना से लड़ने में टेक्नोलॉजी कैसे कर रही हमारी मदद?

  • आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस-

बालेंदु दाधीच और अभिषेक तैलंग दोनों का ही मानना है कि कोरोना से लड़ने में टेक्नोलॉजी का मुख्य योगदान प्रोसेस को रफ्तार देने में है। इससे स्पीड बढ़ी है रिस्पांस टाइम कम हो गया है। गूगल डीप माइंड ने `अल्फा फोल्ड` सिस्टम बनाया है,जो प्रोटीन के जेनेटिकसीक्वेंस का 3 डी स्ट्रक्चर प्रिडिक्ट करने में सक्षम है।

इस स्ट्रक्चर को समझने से रिसर्च करने वालों को वैक्सीन के लिए कंपोनेंट खोजने में मदद मिल रही है।इसी तरह रिलेवेंट रिसर्च पेपर को एक जगह लाने में एआई बहुत मददगार बन रही हैं। एलन इंस्टीट्यूट और गूगल डीप माइंड ने इस तरह का टूल भी बनाया है जो रिसर्चर को एक-दूसरे का रिजल्ट और डाटा आसानी से शेयर कर रहा है।

यहां क्लाउड कंप्यूटिंग की इंपॉर्टेंट भूमिका है, जो सभी नतीजों को बहुत कम समय में एक-दूसरे को मुहैया करा रहा है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास और वहां के नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट ने बायोलॉजी टेक्नीक की मदद से वायरस के स्पाइक प्रोटीन का 3 डी मैप बनाया है। जिससे वायरस के इंफेक्शन की प्रक्रिया को समझा जा सकता है। यह प्रोटीन ही आदमी के शरीर जाकर उसकी सेल को संक्रमित करने के लिए जिम्मेदार है।

इससे वैक्सीन के कंपोनेंट बनाने में मदद मिल रही है। टेक्नोलॉजी के भविष्य में जबरदस्त परिवर्तन लाने वाली एआई तकनीक में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अलीबाबा, बायजूजैसी कंपनियां भारी इंवेस्ट कर रही हैं।

  • फ्यूजन टेक्नोलॉजी से ब्रीदिंग उपकरण-

अभिषेक तैलंग कहते हैं कि किस तरह से टेक्नोलॉजी फ्यूजन भी कोरोना से लड़ने में हेल्प कर रहा है। मर्सिडीज फॉर्मूला वन और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के इंजीनियरों ने मिलकर फॉर्मूला वन कारों में उपयोग की जाने वाली टेक्नोलॉजी की मदद से वेंटिलेटर जैसा सीपीएपी उपकरण बनाया है, जो सीधे मरीज के फेफडों में ऑक्सीजन की सप्लाई कर सकता है।

यह उपकरण पिछले उपकरणों से 70 फीसदी कम ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर काफी मात्रा में ऑक्सीजन की बचत भी करता है। वेल्स के ग्लेनविली अस्पताल के डॉ. रे थॉमस ने नए तरह का एक वेंटिलेटर बनाया है जो ना सिर्फ मरीजों को ऑक्सीजन देने का काम करता है, बल्कि कमरे से संक्रमित पर्टिकल को हटाकर मरीज को फ्रेश हवा देने का काम भी करता है। इस तरह के इनोवेशन पूरी दुनिया में हो रहे हैं और इनका उपयोग शुरू हो चुका है।

  • कॉन्टैक्टलेस ऑपरेशंस-

सेल्फ ड्राइविंग कार, ड्रोन और रोबोट्स उन सभी जगहों पर मददगार हैं, जहां ह्यूमन कॉन्टैक्ट से बचना है। संक्रमित लोगों या मरीजों को यहां से वहां ले जाने में इस तरह कीकार बहुत मदद कर सकती है। अभिषेक तैलंग बताते हैं कि रोबोट्स मरीजों को खाना देने, उनकी स्वाबऔर अल्ट्रासाउंड टेस्टिंग, अस्पतालों की साफ-सफाई में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा रोबोट जटिल सर्जरी का काम भी कर रहे हैं।

हमारे देश की बात करें तो कई अस्पतालों में रोबोट असिस्टेड सर्जरी हो रही हैं। इसके अलावा ड्रोन की सहायता से फूड डिलीवरी और मेडिसिन को क्वारैन्टाइन किए गए लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। अपोलो कंपनी और चीन की बायजूने इस तरह के काम के लिए `नियोलिक्स` नाम का स्टार्टअप भी बनाया है, जो सेल्फड्राइविंग व्हीकल बनाने का काम करेगा।

चीन की सबसे बड़ी कूरियर कंपनी एसएफ ने तो वुहान के अस्पतालों में मेडिकल सप्लाई के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन का ही इस्तेमाल किया था। इसी तरह अमेरिका की एमआईटी ने एक टेक्नोलॉजी बनाई है जो मरीजों की हेल्थ को वायरलेस सिग्नल की मदद से मॉनिटर कर सकती है। इन सिग्नल को दूर बैठे डॉक्टर को भेजने का काम कर सकती है।

  • फोन से होगी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग-

गूगल ने एपल के साथ मिलकर इस तरह की टेक्नोलॉजी बना ली है जो कोरोना मरीज के बारे में आपको जानकारी देगी। यह API एक जटिल BLB BEACON प्रोटोकॉल सिस्टम पर काम करती है जो डिफॉल्ट सर्विस के रूप में आपके फोन में रहेगी।

अभिषेक तैलंग का कहना है कि एक्सपोजर नोटिफिकेशन` नाम का यह बहुत उपयोगी API (एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस) है, जल्द ही यह टेक्नोलॉजी आइओएस(iOS) और एंड्रोइड(Android) स्मार्ट फोन पर उपलब्ध होगी।

इसमें ब्लूटूथ की मदद से दो फोन कनैक्ट होते हैं। सहमति से डाटा शेयर होता है,जिससे इंफेक्टेड व्यक्ति के बारे में संपर्क में आए व्यक्ति को इंफॉर्मेशन मिल जाती है। हालांकि, अभी यह शुरुआती स्थिति में है, जिसका ट्रायल लगभग 22 देशों में चल रहा है। इनके नतीजे आते ही यह API देशों की पब्लिक हेल्थ एजेंसियां को सौंपी जाएगी, जिसकी मदद से वे संक्रमित व्यक्ति के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम आसानी से कर पाएंगी।

  • सोशल मीडिया से ताकत और जागरूकता-

माइक्रोसॉफ्ट ने एक इंटरएक्टिव मैप बनाया है जो आपको कोरोना के बारे में सही-सही जानकारी देगा। इसी तरह लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक ने डब्ल्यूएचओ के साथ कोरोना के बारे में सही तथ्य और जानकारी देने के लिए हाथ मिलाया है। डब्ल्यूएचओ की लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान यूजर यहां उनसे सवाल भी पूछ सकता है।

बालेन्दु कहते हैं कि भले ही फेक न्यूज का सबसे बड़ा सोर्स सोशल मीडिया हो, लेकिन इसी ने लोगों को अवेयर करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। उन्हें इम्पावर करने में, लोगों के बीच कम्युनिकेशन को बनाकर उन्हें जोड़े रखने में सोशल मीडिया का रोल अहम है। इसके बिना लॉकडाउन में आइसोलेशन की फीलिंग से निपटना मुश्किल हो जाता।

  • ट्रेकिंग के लिए फेशियल रिकॉग्निशन-

मरीजों के लिए फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी बनाई गई है। जो मास्क के बावजूद भी मरीजों के चेहरों को पहचान सकती है। इसी तरह यह टेक्नोलॉजी सीसीटीवी कैमरे के साथ काम करके क्वारैंटाइन किए गए लोगों पर भी नजर रखकर संबंधित एजेंसियों को जानकारी दे सकती है, जो क्वारैंटाइन पीरियड का पालन सही तरीके से नहीं कर रहे हैं।

दूसरे लोगों को इन संक्रमितों के बारे में जानकारी देने का काम कर सकती है।अस्पतालों में सीमित रूप से तो इसका प्रयोग शुरू हो चुका है, एक्सपर्ट्स का मानना है कि जल्द ही यह टेक्नोलॉजी बड़े पैमाने में उपयोगी में आती दिखाई देने लगेगी।

  • टेली मेडिसन से रिमोट एरिया में मदद-

अमेरिका के शिकागो स्थित रश यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर ने एक वर्चुअल मेडिकल लाइन सेटअप की है जो कोरोना पेशेंट्स की जांच में मदद कर रही है। इस टेक्नोलॉजी की सहायता से वहां रिमोट एरिया में रहने वाले मरीजों की जांच में काफी मदद मिल रही है।

  • सरल और यूजफुल डिवाइस का इनोवेशन-

बालेंदु बताते हैं कि कोरोना जैसी बीमारी के खिलाफ सिंपल, लेकिन बहुत उपयोगी डिवाइस चाहिए हैं, जो लोगों को सुरक्षित रखे, इलाज में मदद करें। कई रिसर्च में यह साबित हुआ है कि कोरोनावायरस कई सर्फेसपर घंटों से लेकर कई दिनों तक जिंदा रह सकता है।

विशेषकर स्टील की सतह पर तो वायरस तीन दिन तक जीवित रहता है। दरवाजे के हैंडल सबसे कॉमन जगह हैं, जिसे दिन में कई बात टच किया जाता है। यहां संक्रमण का खतरा भी सबसे ज्यादा होता है। डोर ओपनर्स बहुत छोटा सा इनवेंशन है,जो संक्रमण रोकने में बहुत मददगार है। यह बहुत आसानी से दरवाजे को खोल सकता है। इसे आसानी से सैनिटाइज किया जा सकता है।

लंदन के डिजाइनर स्टीव ब्रुक्स ने इस तरह का एक डोर ओपनर बनाया है, जिसे `हाइजीन हुक` नाम दिया है। यह इतना छोटा है कि इसे जेब में रखा जा सकता है। इसकी सहायता से किसी भी दरवाजे को खोला जा सकता है। इसे आसानी से सैनिटाइज भी किया जा सकता है।

  • यूवी स्टेरेलाइजर वायरलेस चार्जर-

यह डिवाइस आपके मोबाइल, चार्जर, घड़ियों, ईयरफोन आदि की सर्फेससे खतरनाक जर्म्स को हटाने का काम करती हैं। यह डिवाइस मार्केट में आ चुकी है।

वेजीटेबल एंड फूड डिसइंफेक्टेंटः

इस टेक्नोलॉजी की मदद से आप सब्जियों और फलों में खतरनाक पेस्टीसाइड हटा सकते हैं। कुछ कंपनियों ने इस तरह के डिवाइस का प्रोड्क्शन शुरू किया है। यह ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।



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