अक्टूबर और नवंबर महीने में भारत के वैक्सीन निर्माताओं और अस्पतालों के खिलाफ साइबर अटैक के मामलों में वृद्धि हुई है। नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक साइबर पीस फाउंडेशन की लेटेस्ट रिसर्च के मुताबिक, 1 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच करीब 80 लाख साइबर अटैक दर्ज किए गए थे। ये विशेष रूप से भारत के हेल्थकेयर सेक्टर पर आधारित 'थ्रेट इंटेलिजेंस सेंसर' नेटवर्क से जुड़े थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, थ्रेट इंटेलिजेंस सेंसर नेटवर्क पर अक्टूबर में कुल 54,34,825 और नवंबर में अब तक कुल 16,43,169 साइबर अटैक की घटनाओं की पहचान की गई है।
पुराने विंडोज सर्वर पर अटैक किया
रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अटैक ऐसे सिस्टम पर सबसे ज्यादा किए गए हैं जो अनियंत्रित इंटरनेट सिस्टम का सामना कर रहे हैं। रिसर्च से पता चला कि इंटरनेट-फेसिंग सिस्टम में रिमोट डेस्कटॉप प्रोटोकॉल (RDP) अनेबल होता है। पुराने विंडोज सर्वर प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा अटैक हुए हैं।
फाउंडेशन ने कहा, "इस संकट के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर पर कई रैंसमवेयर हमले हुए हैं, जो अप्रैल 2020 में शुरू हो गए थे।" रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के दौरान सबसे आम रैंसमवेयर जैसे 'नेटवाल्कर रैंसमवेयर', 'पोनीफिनल रैंसमवेयर', 'माजे रैंसमवेयर' या अन्य का इस्तेमाल किया गया।
माइक्रोसॉफ्ट ने साइबर अटैक का पता लगाया था
इसी महीने सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने कोविड-19 वैक्सीन बनाने वाली भारत समेत अन्य देशों की 7 प्रमुख कंपनियों को निशाना बनाने वाले साइबर हमलों का पता लगाया था। इसमें कनाडा, फ्रांस, भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका की प्रमुख फार्मास्युटिकल कंपनियां और वैक्सीन रिसर्चर्स शामिल थे। यह हमला रूस और उत्तर कोरिया से किया गया था। हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट ने वैक्सीन निर्माताओं के नामों का खुलासा नहीं किया था।
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, जिन कंपनियों को निशाना बनाया गया था, उनमें अधिकांश वैक्सीन निर्माता ऐसे हैं जिनके वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। कस्टमर सिक्योरिटी एंड ट्रस्ट के कॉपोंर्रेट वाइस प्रेसिडेंट टॉम बर्ट ने एक बयान में कहा, एक क्लीनिकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन क्लीनिकल ट्रायल कर रहा है और एक कोविड-19 वैक्सीन टेस्ट विकसित कर चुका है।
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