भारतीय बाजार में चीनी स्मार्टफोन ब्रांड की हिस्सेदारी अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 72 प्रतिशत रह गई। जबकि इससे पहली तिमाही में यह 81 प्रतिशत थी। इसकी बड़ी वजह देश में चीन-विरोधी भावना बढ़ना और कोविड-19 की वजह से आपूर्ति में बाधा होना है। रिसर्च कंपनी काउंटर पॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक देश में स्मार्टफोन बाजार पर ओप्पो, वीवो और रियलमी जैसे चीनी ब्रांड का दबदबा है। लेकिन अप्रैल-जून तिमाही में इनकी बाजार हिस्सेदारी घटी है।
स्मार्टफोन की बिक्री में 51 फीसदी की गिरावट
शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही में देश की स्मार्टफोन बिक्री सालाना आधार पर 51 प्रतिशत घटकर 1.8 करोड़ यूनिट्स से थोड़ी अधिक रही। इसकी बड़ी वजह अप्रैल और मई में कोविड-19 से देशभर में लगा लॉकडाउन रहा।
काउंटर पॉइंट रिसर्च में रिसर्च एनालिस्ट शिल्पी जैन ने कहा कि अप्रैल-जून 2020 में चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स की हिस्सेदारी घटकर 72 प्रतिशत रह गई। जबकि जनवरी-मार्च 2020 में यह 81 प्रतिशत थी।
#BoycottChina मुहिम का असर हुआ
उन्होंने कहा कि इसकी वजह ओप्पो, वीवो और रीयलमी जैसे प्रमुख चीनी स्मार्टफोन ब्रांड की आपूर्ति प्रभावित होना है। साथ ही देश में चीन-विरोधी धारणा के मजबूत होने का असर भी पड़ा है। सरकार ने भी चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। इसमें 50 से ज्यादा चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाना और चीन से आयात होने वाले सामान की सीमा पर अधिक जांच इत्यादि शामिल है।
गौरतलब है कि गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच तनाव के बाद से देश में चीन विरोधी माहौल है। जैन ने कहा कि हालांकि स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च डेवलपमेंट ऑपरेशन, कीमत के हिसाब से बेहतर उत्पाद और मजबूत बिक्री चैनल की वजह से चीनी कंपनियों ने ग्राहकों के सामने कुछ ही विकल्प छोड़े हैं।
रिलायंस जियो का किराना स्टोर प्लेटफार्म जियो मार्ट लॉन्चिंग के दो महीने के भीतर ही देश के ऑनलाइन ग्रॉसरी सेगमेंट में ग्राहकों की पहली पसंद बन गई। कंपनी ने कुछ दिन पहले ही गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर पर जियोमार्ट ऐप लॉन्च किया था और कुछ ही दिनों में जियोमार्टऐप, गूगल प्ले स्टोर से 10 लाख से अधिक बार डाउनलोड हो चुका है।
एपल ऐप स्टोर में दूसरे और गूगल प्ले स्टोर पर तीसरे स्थान पर
ऐप की रैकिंग करने वाली दुनिया की प्रतिष्ठित कंपनी ऐप-एनी के अनुसार, जियोमार्ट ऐप, ओवरऑल शॉपिंग सेगमेंट में भी झंडे गाड़ रहा है। यह इंडियन रैंकिंग में एपल ऐप स्टोर में दूसरे और गूगल प्ले स्टोर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
यहां डेली 2.5 लाख ऑर्डर बुक किए जा रहे हैं
जियोमार्ट पर प्रतिदिन के हिसाब से 2.5 लाख ऑर्डर बुक किए जा रहे हैं। ऑर्डर की यह संख्या ऑनलाइन ग्रॉसरी सेगमेंट में सबसे अधिक है। आर्डर्सकी संख्या में लगातार इजाफा भी हो रहा है। सोडेक्सो कूपन का इस्तेमाल करने वाले ग्राहक, जियोमार्ट पर इसका इस्तेमाल कर भुगतान कर पा रहे हैं। इसका फायदा ग्राहकों के साथ जियोमार्ट, दोनों को मिल रहा है।
पुराना खाता जस का तस बना रहेगा
जियोमार्ट ऐप से पहले कंपनी अपनी वेबसाइट पर ऑर्डर बुक किया करती थी। ऐप के आ जाने के बाद भी ग्राहकों का पुराना खाता जस का तस बना रहेगा। कंपनी ने कुछ ऐसी व्यवस्था की है जिसमें ग्राहक वेबसाइट, एंड्रायड और एपल ios जैसे लगभग सभी प्लेफार्म्स पर अपने लॉग इन एकाउंट का इस्तेमाल कर लॉग इन कर पाएगा। यानी वेबसाइट पर ऑर्डर किए गए आइटम ग्राहक के एंड्रायड मोबाइल फोन पर और मोबाइल फोन से किए गए ऑर्डर वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे।
जियोमार्ट की सुविधा 200 शहरों में है
इसी साल मई के आखिरी सप्ताह में जियोमार्ट ने 200 शहरों से अपनी शुरूआत की थी। 90 शहरों में पहली बार ग्राहक ग्रॉसरी की ऑनलाइन शॉपिंग के साथ जुड़े थे। अपने लॉन्च के साथ ही जियोमार्ट प्रतिद्वंद्वियों से दो दो हाथ करने को तैयार है। जियोमार्ट पर अधिकतर उपलब्ध चीजें दूसरी ऐसे ही प्लेटफॉर्म्स से 5% सस्ती हैं। ब्रांडेड सामान की कीमतें भी कुछ कम रखी गई हैं।
जल्द ही अन्य शहरों में भीहोगी इसकी सुविधा
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने हाल ही में एजीएम के दौरान जियोमार्ट की महत्वाकांक्षी विस्तार योजना पर कहा कि जियोमार्ट अब अपनी पहुंच और डिलीवरी क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर देगा। उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं और खरीदारी का अनुभव देने के लिए जियोमार्ट प्रतिबद्ध है। किराना के अलावा हम आने वाले दिनों में इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, फार्मास्युटिकल और हेल्थकेयर के क्षेत्रों को भी कवर करेंगे। आने वाले वर्षों में, हम कई और शहरों में कहीं अधिक ग्राहकों की सेवा करेंगे।
3 करोड़ किराना दुकानदारोंको कारोबार का मौका
फेसबुक के साथ डील की घोषणा करते हुए मुकेश अंबानी ने देश के 12 करोड़ किसानों और 3 करोड़ किराना दुकान मालिकों को जोड़ने की बात कहीथी।
2024 तक 50% बाजार पर होगा कब्जा
वैश्विक ब्रोकर हाउस गोल्डमैन-सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस की फेसबुक के साथ साझेदारी के परिणामस्वरूप कंपनी ऑनलाइन ग्रॉसरी स्पेस में मार्केट लीडर बन सकती है। 2024 तक कंपनी देश के पास 50 प्रतिशत मार्किट हिस्सेदारी होने की संभावना है।
वनप्लस एक बार फिर सुर्खियों में लेकिन इस बार अपने सस्ते स्मार्टफोन वनप्लस नॉर्ड को लेकर नहीं बल्कि नए डेटा लीक मामले को लेकर सुर्खियों में है। कंपनी ने गलती से सैंकड़ों ग्राहकों के ईमेल आईडी को उजागर कर दिया है।
कंपनी ने एक रिसर्च स्टडी के लिए चुनिंदा यूजर्स को बल्क में मेल भेजे। हालांकि, ईमेल भेजने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब कंपनी ने ईमेल को 'BCC' सेक्शन के बजाय 'To' सेक्शन में जोड़ दिया। हालांकि इस गलती के कारण कितने यूजर्स प्रभावित हुए फिलहाल इस बात की पुष्टि तो नहीं हो पाई है लेकिन एंड्रॉयड पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उजागर हुए ईमेल एड्रेस कीसंख्या सैकड़ों में है।
डेटा ब्रीच से हैं कंपनी का पुराना नाता
पिछले महीने के अंत में, वनप्लस को एक और सिक्योरिटी चैलेंज का सामना करना पड़ा जब इसकी आउट-ऑफ-वारंटी रिपेयर और एडवांस्ड एक्सचेंजिग इनवॉयस सिस्टम ने नाम, फोन डिटेल्स, ईमेल एड्रेस, IMEI नंबर और फिजिकल एड्रेस जैसी कस्टमर डिटेल्स उजागर किए थे। हालांकि इस डेटा ब्रीच ने अमेरिकी ग्राहकों को प्रभावित किया। पता चलने के बाद इस खामी में तुरंत सुधार भी कर लिया गया था। इस ब्रीच की तुलना में, नए ब्रीच को मामूली कहा जा सकता है, हालांकि लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं ने वनप्लस के सिक्योरिटी सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है।
2018 में लगभग 40 हजार ग्राहकों की क्रेडिट कार्ड डिटेल्स चोरी हो हुई थी
कंपनी ने 2018 की शुरुआत में पुष्टि की थी कि उसके लगभग 40,000 ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड डिटेल्स चोरी हो गई हैं। कंपनी ने इसकी वजह साइट के पेमेंट पेज पर मौजूद मैलिशियस कोड को बताया गया। उन्होंने कहा था कि यह चोरी दो महीनों के दौरान हुई, जो 2017 के नवंबर में शुरू हुई थी।
कंपनी ने इस दौरान प्रभावित ग्राहकों को अपने बैंक स्टेटमेंट की निगरानी करने की सलाह देते हुए क्रेडिट कार्ड से भुगतान को अस्थायी रूप से डिसेबल कर दिया था। इसके बाद कंपनी ने प्रभावित ग्राहकों को एक साल के लिए मुफ्त क्रेडिट रिपोर्टिंग ऑफर की थी।
नवंबर 2019 में हैकिंग का शिकार हुई थी कंपनी
एक और डेटा ब्रीच पिछले नवंबर में हुई जब वनप्लस हैकिंग की घटना का शिकार हुआ जिसने ग्राहकों के नाम, ईमेल एड्रेस और शिपिंग एड्रेस उजागर किए। हालांकि, इस बार भी कंपनी ने आकर अपने ग्राहकों को बताया था किया कि उनके पेमेंट डेटा और पासवर्ड थर्ड पार्टी द्वारा उजागर या एक्सेस नहीं किए गए हैं।
कोरोनावायरस के कारण जून तिमाही में भारत के स्मार्टफोन शिपमेंट में 51 फीसदी की गिरावट रही है। काउंटरपॉइंट रिसर्च की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से जून अवधि में भारत का स्मार्टफोन शिपमेंट 1.8 करोड़ यूनिट रहा है।
अप्रैल में जीरो शिपमेंट रही थी
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनावायरस महामारी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अप्रैल महीने में शिपमेंट जीरो रही थी। हालांकि, इसके बाद बाजार सामान्य की ओर लौट रहा है। जून 2020 में भारतीय स्मार्टफोन शिपमेंट में वार्षिक आधार पर 0.3 फीसदी की गिरावट रही है। ब्रांड्स की ओर से पुश करने के कारण जून महीने में मांग में इजाफा रहा है।
ग्राहकों ने कॉन्टैक्टलेस खरीदारी को दी तरजीह
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 इंफेक्शन के खतरे को देखते हुए उपभोक्ताओं ने कॉन्टैक्टलेस और ऑनलाइन चैनल के जरिए खरीदारी को तरजीह दी है। स्मार्टफोन ब्रांड्स ने भी इस बदलाव को पहचाना और ऑनलाइन चैनल्स पर ज्यादा से ज्यादा इन्वेंट्री उपलब्ध कराई। इसी साल मार्च तिमाही में स्मार्टफोन वेंडर्स ने 3.1 करोड़ यूनिट शिप्ड की थी, जबकि जून 2019 तिमाही में 3.7 करोड़ यूनिट का शिपमेंट हुआ था।
कोविड-19 के कारण 40 दिन तक रुका रहा उत्पाद
काउंटरपॉइंट के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट प्राचीर सिंह का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण करीब 40 दिनों तक स्मार्टफोन का उत्पादन पूरी तरह से रुका रहा। इसके अलावा देशव्यापी लॉकडाउन के कारण स्मार्टफोन की बिक्री भी ठप रही। सिंह के मुताबिक, लॉकडाउन प्रतिबंधों में छूट के साथ ही बिक्री में तेजी दर्ज की गई थी।
फैक्ट्रियां बंद रहने से सप्लाई भी बाधित रही
सिंह का कहना है कि अप्रैल में फैक्ट्रियों के बंद रहने और मार्च में ऑपरेशन शुरू होने के कारण कुछ निर्माताओं को सप्लाई में भी बाधा का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुछ ब्रांड्स आयात के जरिए असेंबल किए गए हैंडसेट के जरिए अपने उत्पादों की सप्लाई करने में कामयाब रहे। जून तिमाही के कुछ अंतिम सप्ताह में कंपोनेंट के कस्टमपर फंसने के कारण भी सप्लाई चेन बाधित हुई।
टॉप-5 स्मार्टफोन शिपमेंट ब्रांड
ब्रांड
हिस्सेदारी
शाओमी
29 फीसदी
सैमसंग
26 फीसदी
वीवो
17 फीसदी
रियलमी
11 फीसदी
ओप्पो
9 फीसदी
रिपोर्ट की अन्य खास बातें
30 हजार रुपए से ऊपर के कीमत वाले प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट में वनप्लस टॉप पर रहा।
अल्ट्रा प्रीमियम सेगमेंट (45 हजार रुपए से ज्यादा कीमत) में एपल ने बाजी मारी।
मार्च 2020 की 81 फीसदी के मुकाबले जून 2020 तिमाही में चाइनीज ब्रांड्स की हिस्सेदारी घटकर 72 फीसदी पर आई।
फीचर फोन सेगमेंट में आईटेल टॉप पर
रिपोर्ट के मुताबिक, फीचर फोन सेगमेंट में आईटेल ने बाजी मारते हुए 24 फीसदी बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा जमाया है। इसके बाद लावा (23 फीसदी), सैमसंग (22 फीसदी), नोकिया (9 फीसदी) और कार्बन (5 फीसदी) का नंबर आता है। काउंटरपॉइंट का कहना है कि दूसरी तिमाही में फीचर फोन बाजार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और वार्षिक आधार पर इसमें 68 फीसदी की कमी आई है।
एपल ने भारत में आईफोन 11 बनाना शुरू कर दिया है। द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आईफोन 11 को चेन्नई में फॉक्सकॉन द्वारा बनाया जा रहा है। फॉक्सकॉन एपल की टॉप-3 कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स में एक है, जो इसी प्लांट में आईफोन XR भी बनाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एपल ने धीरे-धीरे प्रोडक्शन बढ़ाने की योजना बनाई है और शायद भविष्य में चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए भारत में बने आईफोन 11 का निर्यात करना शुरू करेगा।
कई कारणों को देखते हुए एपल ने बदली रणनीति
एपल भारत में आईफोन 11 बना रहा है, ये खासकर देश के लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि पहले आई रिपोर्ट्स ने सुझाव दिया है कि क्यूपर्टिनो स्थानीय रूप से नए और अधिक महंगे आईफोन बनाने के लिए बहुत उत्सुक नहीं था। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मार्च में रिपोर्ट में बताया था कि इसके लिए हाई-एंड, ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड मॉडल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त सप्लाई चेन और स्किल्ड लेबर की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया था। इन कारणों ने एपल को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर किया है।
भारत में फोन की असेंबलिंग तक ही सीमित न रहे- भारत सरकार
आईफोन 11 को स्थानीय स्तर पर बनाने का कदम भारत सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम से जुड़ा है, जिसने देश में स्मार्टफोन की डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग (और असेंबली) करने के लिए नया प्रोत्साहन दिया है। मोदी सरकार वास्तव में ब्रांडों को भारत में अपनी पूरी सप्लाई चेन मशीनरी लाने के लिए जोर दे रही है ताकि भारतीय बाजार केवल फोन असेंबलिंग तक ही सीमित न रह जाए। हालांकि अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन अच्छी बात यह है कि कई बड़े ब्रांड्स इसमें रूझान दिखा रहे हैं।
चीन-अमेरिका में बढ़ते तनाव का फायदा भारत को मिला
भारत में अमेरिकी कंपनियों के रूझान की एक वजह चीन-अमेरिका में बढ़ते तनाव को भी माना जा रहा है। चीन चारों ओर से अशांति से घिर चुका है, ऐसे में यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं कि अमेरिकी कंपनी एपल चीन से बाहर अधिक से अधिक मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए काम कर रही है, जिसका फायदा भारत को मिल रहा है। यही कारण है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आईफोन निर्माता कंपनी पेगाट्रॉन भी भारत में लोकल असेंबली स्थापित कर रही है।
एपल को आयात शुल्क में 22% की बचत होगी
आईफोन 11 को स्थानीय रूप से बनाने से एपल को आयात शुल्क में 22% की बचत करने में मदद मिलेगी, लेकिन इसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। केंद्रीय बजट 2020 में आयात शुल्क में किए गए प्रस्तावित परिवर्तनों के बाद एपल ने मार्च में भारत में अपने कुछ आईफोन्स की कीमतें बढ़ा दी थीं और इसके तुरंत बाद स्मार्टफोन और कंपोनेंट्स पर GST बढ़ोतरी के साथ एपल को अपने आईफोन्स की कीमतें फिर से बढ़ानी पड़ी, वो भी लगभग एक महीने में दूसरी बार। वर्तमान में आईफोन 11 के बेस 64 जीबी वैरिएंट की कीमत 68,300 रुपए से शुरू होती है जो टॉप-एंड 256 जीबी वैरिएंट के लिए 84,100 रुपए तक जाती है। आईफोन 11 के 128 जीबी वैरिएंट की कीमत 73,600 रुपए है।
भारत में पिहली तिमाही में आईफोन की बिक्री 78% YoY बढ़ी
कीमतों में बढ़ोतरी और महामारी के डर के बावजूद, काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, एपल ने 2020 की पहली तिमाही में भारत में आईफोन की बिक्री में 78 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष (YoY) वृद्धि देखी। यह स्पष्ट रूप से आईफोन 11 के कारण देखने को मिली है। यह भी एक कारण हो सकता है कि एपल ने इस विशेष आईफोन के लिए लोकल असेंबली को बढ़ावा देने का फैसला किया।
भविष्य में और मॉडल भी भारत में बना सकती है कंपनी
हाल ही में लॉन्च किए गए आईफोन SE 2020 सहित एपल भी कथित तौर पर भारत में और अधिक आईफोन मॉडल बनाना चाह रहा है। इससे पहले भारत में ऑरिजनल आईफोन SE भी बनाया गया था।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई शहरों में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है। ऐसे में लोगों के वाहन कई दिनों तक खड़े रहेंगे। ज्यादा दिन तक एक जगह रहने से वाहनों में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होने लगती है, जिन्हें अनदेखा करना हमारी जेब पर भारी पड़ सकता है। तो फिर लॉकडाउन के दौरान क्या करें कि लॉकडाउन के दौरान भी हमारी गाड़ियां दुरुस्त रहें, यह जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की, जिन्होंने हमें कई महत्वपूर्ण टिप्स बताए.....
1. टायरों में स्टैंडर्ड प्रेशर से ज्यादा हवा भरवाएं
फायदा- टायर पर फ्लैट स्पॉट नहीं आएगा
लॉकडाउन के दौरान कई दिनों तक गाड़ी खड़ी रहेगी, ऐसे स्थिति में बेहतर होगा कि कार के टायर्स में स्टैंडर्ड लिमिट से ज्यादा हवा भरवा लें। इसका फायदा यह होगा कि टायर्स में फ्लैट स्पॉट नहीं आएंगे। हवा कम होने पर यदि गाड़ी लंबे समय तक एक जगह खड़ी रहती है, तो टायर पर दवाब पड़ने के कारण वे सड़क की समतल सतह का आकार ले सकते हैं। जिसका नतीजा यह होगा कि अपको नए टायर लगवाने पड़ेंगे, जो काफी खर्चीला काम है। बेहतर यह होगा कि ज्यादा हवा भरवाएं, ताकि अगर हवा कम भी हो, तो स्टैंडर्ड लिमिट के आसपास आ जाएगा।
2. लंबे समय के लिए खड़ी करने से पहले कार वॉश करा लें
फायदा- कीचड़ निकल जाएगा, जंग नहीं लगेगी
मानसून शुरू हो चुका है, ऐसे में कार के सफर करते हैं, तो नीचे की तरफ जगह-जगह कीचड़ चिपक जाता है। ऐसे में लॉकडाउन के कारण कार खड़ी कर रहे हैं, तो बेहतर होगा कि पहले वॉश करवा लें। इससे फायदा यह होगा कि नीचे की तरफ पार्ट्स पर चिपका कीचड़ पूरी तरह से साफ हो जाएगा, जंग लगने की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी। लीकेज नहीं होगा और पार्ट्स की लाइफ भी बढ़ जाएगी।
3. ध्यान रहें कि कार के अंदर खाने की चीजें न गिरी हो
फायदा-चूहों का डर नहीं रहेगा
पोर्च में कार खड़ी कर रहे हों, तो बेहतर होगा कि पहले केबिन-सीट्स और सतह की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर लें। कई बार बच्चे कार में खाते हैं और चीजें गिरा देते हैं। ऐसे में अगर बिना साफ-सफाई करेंगे, तो कार में चूहे घुस सकते हैं, जो कार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर वायरिंग या सीट्स को नुकसान पहुंचा दिया, तो लंबा खर्च आ सकता है।
4. कोशिश करें कि पोर्च या गैराज में ही कार खड़ी करें
फायदा- दाग-धब्बे नहीं पड़ेंगे
कई लोग गाड़ी पेड़ के नीचे खड़ी कर देते हैं। अक्सर देखने में आता है कि पेड़ कि तरल पदार्थ टकपता है, जो अगर बॉडी पर जम जाता है तो छूटता नहीं है। समय रहते अगर इसे साफ न किया जाए तो हमेशा के लिए दाग बन जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि गाड़ी गैराज या पोर्च में ही खड़ी करें।
5. ओरिजनल बॉडी कवर ही इस्तेमाल करें
फायदा- कार का कलर डैमेज नहीं होगा
बारिश के मौसम में हमेशा ओरिजनल बॉडी कवर ही इस्तेमाल करें। क्योंकि कई लोग थोड़े पैसे बचाने के चक्कर में लोकल बॉडी कवर खरीद लाते हैं। जो बारिश में मॉइश्चर के कारण बॉडी से चिपक जाता है और कलर छोड़ता है, जिससे कार का कलर डैमेज हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि ऑरिजनल कवर ही इस्तेमाल करें।
6. हफ्ते में दो-तीन बार 10-15 मिनट के लिए स्टार्ट करें
फायदा- बैटरी का चार्जिंग रोटेशन मेनटेन रहेगा
लंबे समय तक अगर गाड़ी खड़ी है तो बैटरी डिस्चार्ज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि हफ्ते में दो या तीन बार कार को कम से कम 10-15 मिनट के लिए स्टार्ट करके छोड़ दें। इससे फायदा यह होगा कि बैटरी का चार्जिंग रोटेशन बना रहेगा और लॉकडाउन खत्म होने के बाद कार स्टार्ट होने में परेशान नहीं करेगी।
7 . स्लोप पर खड़ी है तो हैंड ब्रेक न लगाएं
फायदा- ब्रेक सीज नहीं होंगे
अगर स्लोप पर गाड़ी खड़ी कर रहे हैं, तो हैंड ब्रेक्स का इस्तेमाल न करें इस बात का विशेष ध्यान रखे। हमेशा स्टॉपर का इस्तेमाल करें। इसकी वजह यह है कि यह मौसम मॉइश्चर वाला है, ऐसे में अगर हम हैंड ब्रैक्स लगाकर गाड़ी लंबे समय के लिए खड़ी कर देते हैं, तो मॉइश्चर के कारण पीछे के ब्रेक लाइनर या ब्रेक-शू का ड्रम में चिपकने की गुंजाइश बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए स्टॉपर का इस्तेमाल करना सही होगा।
8. कांच को कम-से-कम आधा इंच नीचे कर दें
फायदा- हवा का सर्कुलेशन बना रहेगा
जिनके पास गैराज या पोर्च की व्यवस्था नहीं है और अगर कार बाहर धूप में खड़ी है, तो कम से कम आधे इंच कांच नीचे कर दे, इससे हवा का सर्कुलेशन बना रहा और अंदर हीट नहीं बनेगी। जिनकी गाड़ी में रेन-वाइजर लगा है, वो थोड़ा ज्यादा भी खोल सकते हैं, क्योंकि रेन वाइजर बारिश का पानी अंदर नहीं जाने देगा।
9. विंडशील्ड और वाइपर के बीच पेपर लगा दें
फायदा- विंडशील्ड में क्रैक नहीं पड़ेंगे
मानसून में कभी तेज बारिश होती है तो कभी तेज धूप निकल आती है। ऐसे में अगर कार बाहर खड़ी है और बॉडी कवर नहीं डाल रहे हैं तो वाइपर का आर्म उठा दें या तो वाइपर और ग्लास के बीच में पेपर/कार्डबोर्ड लगा दें। इसकी वजह यह है कि बारिश में तो कांच ठंडा रहता है लेकिन तेज धूप में विंडशील्ड काफी गर्म हो जाता है, ऐसे में वाइपर ब्लेड लगातार विंडशील्ड के संपर्क में रहेगी तो उसमें क्रैक होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए वाइपर ब्लेड को पेपर से लपेट दें या ऊपर उठा दें।
10. ऑयल लेवल चेक करके निकाले
फायदा-लीकेज हुआ तो पकड़ में आ जाएगा
कार खड़ी करने से पहले कार के सारे ऑयल लेवल चेक कर लें। वहीं लॉकडाउन के दौरान यह भी ध्यान देते रहें कि कही कोई लीकेज तो नहीं। लीकेज होने के स्थिति से सर्विस सेंटर से संपर्क करें।
सभी टिप्स मारुति सुजुकी के सर्विस मैनेजर मोहम्मद अहमद से बातचीत के आधार पर....