Friday, November 20, 2020

फेसबुक से यूजर्स का डेटा मांगने में भारत दूसरे पायदान पर; 2020 की पहली छमाही में भारत ने 35 हजार से ज्यादा रिक्वेस्ट भेजा November 20, 2020 at 03:52AM

फेसबुक ने कहा है कि उसके उपयोगकर्ताओं के डेटा के संबंध में इस साल जनवरी से जून के बीच वैश्विक स्तर पर सरकारी रिक्वेस्ट 23 प्रतिशत बढ़ गए और इस तरह के रिक्वेस्ट के मामले में भारत का स्थान अमेरिका के बाद दूसरा है।

फेसबुक की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान भारत में 57,294 यूजर्स व अकाउंट के लिए कुल 35,560 रिक्वेस्ट किए गए। रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत मामलों में कुछ डेटा पेश किए गए। वर्ष 2020 के पहले छह महीनों में उपयोगकर्ताओं के डेटा के लिए वैश्विक स्तर पर सरकारों के अनुरोध 23 प्रतिशत बढ़कर 1,73,875 हो गए।

पिछले साल यानी 2019 की दूसरी छमाही में ऐसे रिक्वेस्टों की संख्या 1,40,875 थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की पहली छमाही में सबसे अधिक 61,528 रिक्वेस्ट अमेरिका से आए। ये रिक्वेस्ट 1,06,114 उपयोगकर्ताओं या अकाउंट के लिए किए गए थे और 88 प्रतिशत मामलों में कुछ डेटा पेश किए गए।

इस सूची में अमेरिका और भारत के बाद जर्मनी, फ्रांस तथा ब्रिटेन का स्थान है। फेसबुक ने कहा कि वह लागू कानून और अपनी सेवा शर्तों के अनुसार सरकारी अनुरोधों का जवाब देती है। कंपनी ने कहा कि वह मिलने वाले हर अनुरोध की कानूनी पहलुओं के साथ सावधानीपूर्वक समीक्षा करती है।

फेसबुक उपाध्यक्ष और डिप्टी जनरल काउंसिल क्रिस सोनडर्बी ने कहा कि हम सरकारों को लोगों की जानकारी तक सीधी या परोक्ष पहुंच मुहैया नहीं कराते। हमारा मानना है कि इस तरह से जानबूझकर अपनी सेवाओं को कमजोर करने से हमारे उपयोगकर्ताओं की आवश्यक सुरक्षा प्रभावित होगी।

फेसबुक ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान, स्थानीय कानून के आधार पर सामग्री प्रतिबंधित किए जाने के मामले 40 प्रतिशत बढ़ कर 22,120 हो गए हैं जो पहले 15,826 थे । भारत में इस अवधि में 824 सामग्री को प्रतिबंधित किया गया।



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India made over 35,000 requests for user data in H1 2020: Facebook

Apple ने अपने ऐप स्टोर के कमीशन को 30% से घटा कर 15% तक करने का ऐलान किया; नए बदलाव 1 जनवरी 2021 से लागू होंगे November 19, 2020 at 10:36PM

दिग्गज टेक कंपनी एपल (Apple) ने अपने नए डेवलपर प्रोग्राम के तहत एपल एप स्टोर के कमीशन को 15 फीसदी तक घटाने का फैसला किया है। एपल ने बुधवार को कहा कि वह अपने एप स्टोर के कमीशन को एक जनवरी से 30 फीसदी से घटा कर 15 फीसदी तक कर देगा।

कंपनी के मुताबिक, इससे ज्यादातर डेवलपर्स को फायदा होगा। हालांकि, कंपनी के इस नई योजना के दायरे में कितने डेवलपर्स आएंगे। इसके बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।

एपल के इस नई पहल को एप स्टोर स्मॉल बिजनेस प्रोग्राम के नाम से जाना जाएगा। कंपनी के बयान के मुताबिक, यह उन डेवलपर्स पर लागू होगा कि जो कि सालाना तौर पर ऐप से 7.41 करोड़ की कमाई करने करते हैं।

सेंसर टावर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 की पहली छमाही में एपल ऐप स्टोर से सालाना तौर पर ग्लोबली 2,43,300 करोड़ रुपए की कमाई की है। यह कमाई ऐप परचेज, सब्सक्रिप्शन और पेड ऐप और गेम से हुई है। यह साल 2019 के 1,95,100 करोड़ रुपये के मुकाबले 27 फीसदी ज्यादा है।


भारतीय मार्केट की बात की जाय तो एपल का भारतीय कारोबार लगातार ग्रोथ कर रहा है। इसका संकेत कंपनी के वित्त वर्ष 2020 के वित्तीय आंकड़ों से मिला है। बिजनेस इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म टॉफलर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 में एपल इंडिया का रेवेन्यू 29% बढ़कर 13,755.8 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

वित्त वर्ष 2019 में एपल इंडिया का रेवेन्यू 10,673.7 करोड़ रुपए था। टॉफलर के मुताबिक, मुनाफा 4 गुना बढ़कर 926.2 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। एक साल पहले समान अवधि में 262.27 करोड़ रुपए का मुनाफा रहा था।

एपल के CEO टिम कुक ने हाल ही में कहा था कि सितंबर तिमाही में कंपनी ने भारत में रिकॉर्ड बनाया है और इस मजबूत स्वागत का श्रेय भारत में ऑनलाइन स्टोर की लॉन्चिंग को जाता है। एपल ने सितंबर में देश में अपना पहला ऑनलाइन स्टोर लॉन्च किया था।



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Apple announced reducing its App Store commission from 30% to 15%; The new changes will come into effect from 1 January 2021

नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन खरीदें या टर्बोचार्ज्ड? जानिए दोनों में से कौन सा बेहतर और भरोसेमंद November 19, 2020 at 05:00PM

जब भी गाड़ी खरीदने जाओ या आमतौर पर यह शब्द सुनने को मिल जाते हैं कि इसमें नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन है या इसमें टर्बोचार्ज्ड इंजन है। ऐसे में थोड़ी कंफ्यूजन की स्थिति बन जाती है कि आखिरी इनमें अंतर क्या है और कौन सा खरीदा जाए।

अगर आपको भी नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन या टर्बोचार्ज्ड इंजन के बीच कंफ्यूज है, तो चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि दोनों में क्या अंतर है और कौन सा ज्यादा भरोसेमंद है।

कैसे काम करता है नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन?

  • सबसे पहले यह समझने जरूरी है कि इंजन काम कैसे करता है। आप लोगों ने सुना होगा कि इंजन में 3 सिलेंडर है तो कुछ में 4 सिलेंडर। बता दें कि सिलेंडर के तीन मेन कंपोनेंट होते हैं- पहला पिस्टन, दूसरा क्रैंक शॉफ्ट और तीसरा कनेक्टिंग रोड। अब सिर्फ सिलेंडर से अकेले गाड़ी नहीं चलती। इसके लिए जरूरत होती है, फ्यूल डिलीवरी सिस्टम, और इसके चार मेन कंपोनेंट होते हैं- इनटेक, वाल्व, फ्यूल इंजेक्टर्स और स्पार्क प्लग।
  • वर्तमान में लगभग सभी इंजन फोर-स्ट्रोक प्रिंसिपल पर काम करते हैं। यानी फोर-स्ट्रोक प्रोसेस में सारा काम होता है, जिससे वाहन चलते हैं। चार स्ट्रोक यानी एक सिलेंडर के अंदर पिस्टन चार बार ऊपर-नीच होता है।
  • पहले स्ट्रोक में सिलेंडर के अंदर नैचुरल गैस आती है और इसी दौरान फ्यूल इंजेक्टर इसमें फ्यूल डालता है, दूसरे स्ट्रोक में पिस्टन, एयर और फ्यूल के मिक्चर को कम्प्रेस करता है और इसी दौरान स्पार्क प्लग अपने काम करता है- इग्निशन होने के कारण एयर-फ्यूल का मिक्सर एक्सपेंड होता है और पिस्टन नीचे जाता है और इस स्ट्रोक को कंबंशन स्ट्रोक कहते हैं। चौथे स्ट्रोक में गैसेस एग्जॉस्ट वाल्व से बाहर निकलकर वातावरण में मिल जाती है। तो यह थी एक नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन की वर्किंग।
  • इसे नैचुरली एस्पिरेटेड इसलिए बोलते हैं क्योंकि पहले स्ट्रोक के दौरान सिलेंडर के अंदर जो एयर आती है, वो नैचुरल प्रोसेस से आती है, उसे किसी तरह से फोर्स नहीं किया जाता।

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कैसे काम करता है टर्बोचार्ज्ड इंजन?

  • जैसा कि हमने बताया कि, नैचुरली एस्पिरेटेड में गैस एग्जॉस्ट वाल्व से बाहर निकल जाती है और इसका दूसरा पहलू यह भी है कि नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन में जो एनर्जी प्रोड्यूस होती है, वो काफी मात्रा में बर्बाद हो जाती है।
  • लेकिन टर्बोचार्ज्ड इंजन में इसी एनर्जी को भी टर्बो चार्जर की मदद से दोबारा यूज किया जाता है, जिससे न सिर्फ ज्यादा एयर, सिलेंडर में भरी जा सकती है बल्कि ज्यादा पावर भी प्रोड्यूस होता है, ताकि एनर्जी के लॉस को कम किया जा सके।
  • मोटे तौर पर समझे तो टर्बोचार्ज्ड इंजन में दो ब्लेड्स होती हैं। एक होती है टर्बाइन (जिसकी वजह से इसका नाम टर्बो पड़ा) और दूसरी होती है कम्प्रेशन ब्लेड। दोनों ही ब्लेड आपस में शाफ्ट की मदद से जुड़ी होती हैं।
  • इससे होता यह है कि एग्जॉस्ट गैस (जो बाहर निकल रही होती है) उससे टर्बाइन घूमता है औक चूकिं दोनों ब्लेड आपस में कनेक्ट है, तो इससे कम्प्रेशन ब्लेड भी घूमती है और इससे एयर कम्प्रेस होकर सिलेंडर में वापस आ जाती है। यानी इसमें ज्यादा एफिशिएंटली फ्यूल को इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि पावर की भी कम जरूरत पड़ती क्योंकि इसमें एग्जॉस्ट गैस को ही दोबारा यूज कर लिया जाता है। तो इस तरह काम करता है टर्बोचार्ज्ड इंजन।

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दोनों में क्या फर्क होता है?

  • फर्क यह है कि टर्बोचार्ज्ड इंजन में पहले स्ट्रोक के दौरान जो एयर सिलेंडर में भेजी जाती है वो फोर्स फुली भेजी जाती है। इससे फायदा यह होता है कि इससे छोटे इंजन में भी ज्यादा पावर प्रोड्यूस करवाई जा सकती है।
  • उदाहरण से समझें तो, फोर्ड का ईकोबूस्ट इंजन, छोटा और थ्री सिलेंडर होने के बावजूद ज्यादा पावर आउटपुट प्रोड्यूस (123 बीएचपी) करता है। जबकि होंडा सिटी का 1.5 लीटर का नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन, सिर्फ 117 बीएचपी का पावर जनरेट कर पाता है।
  • यानी टर्बोचार्ज्ड इंजन के जरिए छोटे इंजन में भी ज्यादा पावर आउटपुट जनरेट करवाया जा सकता है और छोटा होने की वजह से इसमें फ्यूल की खपत भी कम होती है।

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दोनों में से भरोसेमंद कौन सा है?

  • जाहिर तौर से नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन ज्यादा भरोसेमंद होगा, क्योंकि इसमें जो एयर आ रही है, वो नैचुरल तरीके से आ रही है, किसी प्रकार का अलग से डिवाइस इसमें नहीं जोड़ा गया है, यानी तुलनात्मक रूप से इंजन को कम नुकसान होगा।
  • जबकि, टर्बोचार्ज्ड इंजन में फोर्स फुली एयर भेजी जा रही है, इससे न सिर्फ इंजन की वियर-एंड-टियर बढ़ जाती है और इसी वजह से न सिर्फ इसका मेंटनेंस कॉस्ट बढ़ जाता है बल्कि इंजन की लाइफ भी थोड़ी कम हो सकती है। इसलिए टर्बोचार्ज्ड इंजन पावर भले ही ज्यादा पावर देते हो लेकिन कहीं न कहीं इसकी लाइफ कम सकती है।


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Naturally Aspirated Engine Vs Turbocharged engine, Know Which Is Better And Reliable

लॉन्ग राइंडिंग पर जा रहे तब जरूर पहने ये सेफ्टी सूट, धूल और मौसम के साथ चोट लगने से भी बचाएगा November 19, 2020 at 04:32PM

सर्दी के मौसम में आप लॉन्ग राइडिंग पर जा रहे हैं, तब सेफ्टी का पूरा ध्यान रखें। यानी बाइक का सर्विसिंग के साथ आपको भी रोड सेफ्टी से जुड़ी एक्सेसरीज भी साथ रखना चाहिए। रेसिंग सूट या जैकेट सेफ्टी एक्सेसरीज का सबसे जरूरी हिस्सा है। आपने अक्सर देखा होगा कि जो लोग बाइक से लंबी यात्रा करते हैं वे अक्सर इन्ही सूट को पहनते हैं।

इन सूट को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि ये आपकी राइडिंग को आसान और सेफ बना देते हैं। ये पूरी तरह कम्फर्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में ये ठंडी हवाओं से भी सुरक्षा देते हैं। आइए जानते हैं इन सूट के बारे में...

क्या है बाइकिंग रेसिंग सूट?
इन सूट को ऐसे बाइकर्स के लिए डिजाइन किया जाता है जो रेसिंग और लॉन्ग राइडिंग के शौकीन होते हैं। इन सूट में सेल्फी एलिमेंट का इस्तेमाल किया जाता है। यानी कभी गलती से भी आप राइडिंग के दौरान गिर जाएं या फिर एक्सीडेंट हो जाए, तब आपको चोट लगने से बचाया जा सके। ये आपकी पूरी बॉडी को अच्छी तरह कवर कर लेते हैं। हालांकि, आपके सूट के साथ हेलमेट पहनना भी जरूरी है।

  • इस सूट में बैंड होने वाली जगहों पर सॉफ्ट प्लास्टिक मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है।
  • आपकी कोहनी, घुटने, कंधे, पीठ वाले हिस्से को ज्यादा प्रोजेक्ट किया जाता है।
  • सूट पर छोटे-छोटे हिस्सों में हवादार जाली का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि अंदर गर्मी न लगे।
  • कई सूट वाटरप्रूफ, डस्टप्रूफ मटेरियल के साथ आते हैं जिससे आपकी राइडिंग चलती रहे।
  • सूट के साथ राइडिंग ग्लव्स पहनना भी जरूरी है, इसमें हार्ड प्लास्टिक होत है जो फिंगर को सेफ रखती है।

बाइकिंग सूट की कीमत
इन सूट की ऑनलाइन कीमत 800 से 900 रुपए के बीच शुरू हो जाती है। हालांकि, ये प्राइस सिर्फ अपर या जैकेट के लिए होती है। पूरी सूट की मिनिमम प्राइस 1500 रुपए के करीब होती है। इसके बाद अच्छी क्वालिटी और ब्रांड के हिसाब से इनकी कीमत 30 हजार रुपए तक पहुंच जाती है। इन्हें ऑफलाइन भी खरीदा जा सकता है।



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Biking Jackets; Choosing a Right Weather Motorcycle Riding Jacket For Rain, Summers and Winters
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