Monday, April 6, 2020

ब्रिटिश कंपनी ने इलेक्ट्रिक अवतार में पेश की रॉयल एनफील्ड बुलेट; न वाइब्रेशन, न ऑयल लीक की झंझट, 122 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी April 06, 2020 at 02:13AM

लंबे समय से भारतीय इलेक्ट्रिक बुलेट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन रॉयल एनफील्ड से पहले ब्रिटिश कंपनी इलेक्ट्रिक क्लासिक कार ने बुलेट को इलेक्ट्रिक अवतार में पेश कर दिया है। इसे फोटॉन नाम दिया है। कंपनी ने बुलेट के चेसिस, सस्पेंशन में कई सारे मॉडिफिकेशन कर इसे इलेक्ट्रिक रूप दिया है। लुक्स के मामले में फोटोन बुलेट जैसी ही दिखती है लेकिन इसके इंजन की जगह कंपनी ने बैटरी पैक फिट कर दिया है। इसके अलावा इसमें एलईडी हेडलैंप्स लगा है, जिसके बीचों बीच रिंग शेप एलईडी डीआरएल फिट किया गया है। इसकी कीमत 19 लाख रुपए के लगभग है। यानी यह तीन हार्ले डेविडसन स्ट्रीट 750 मोटरसाइकिल से भी ज्यादा महंगी है।


90 मिनट में होगी फुल चार्ज

  • रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें 2.5 kWh का बड़ा बैटरी पैक लगा है, जो 3D प्रिटेट पैनल से लैस है। बाइक में 13 kW वॉटर कूल्ड इलेक्ट्रिक मोटर लगी है जो रियर व्हील्स को पावर देती है। इसमें 16 हॉर्स पावर की ताकत मिलती है, हालांकि यह बीएस6 इंजन से लैस बुलेट से काफी कम है।
  • परफॉर्मेंस की बात करें तो फोटॉन को 48 किमी. प्रति घंटा से 80 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार तक पहुंचने में सिर्फ 6 सेकंड का समय लगता है। बाइक की टॉप स्पीड 112 किमी. प्रति घंटा है। कंपनी का दावा है कि फुल चार्ज में यह 160 किमी. तक का सफर तय कर सकती है। इसके साथ 7 kW चार्जर मिलता है, जिससे यह 90 मिनट में फुल चार्ज हो जाती है।


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Royal Enfield Bullet Photon price| British company introduced Royal Enfield Bullet Photon in electric avatar; No vibration, no oil leak trouble, top speed 122 kmph

लॉकडाउन की वजह से टीवी देखने के समय में हुई 37 फीसदी की बढ़ोतरी, लेकिन मंदी के डर से कई विज्ञापनदाता पीछे हटे April 06, 2020 at 12:22AM

लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में हैं और ज्यादातर लोग टीवी देखकर अपना समय काट रहे हैं। 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया, जिसकी बाद से ही टीवी व्यूअरशिप में अबतक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन टीवी एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के लिए स्थिति काफी चुनौती भरी साबित हो रही है। एक तरफ व्यूअरशिप में एतिहासिक बढ़ोतरी होने के कारण कंजूमर से जुड़ने का अच्छा मौका है, तो दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से बढ़ते मंदी के खतरे ने कंपनियों का विज्ञापन खर्च में कटौती करने पर मजबूर कर रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एडवरटाइडिंग इंडस्ट्री को इस सीजन 30 से 40 फीसदी बिजनेस का नुक्सान हुआ है। कई एफएमसीजी कंपनियां विज्ञापन देने से पीछे हट रही है और स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रही हैं।

लॉकडाउन के कारण बढ़ा टीवी देखने का समय

  • टेलीविजन मॉनिटरिंग एजेंसी बीएआरसी (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) और मार्केट रिसर्च फर्म नीलसेन की रिपोर्ट के मुताबिक, 21 मार्च से 27 मार्च के बीच टीवी कंजम्पशन टाइम 1.2 ट्रिलियम मिनट के साथ अबतक के सर्वाधिक स्तर पर रहा। यह प्री-कोविड पीरियड यानी 11 से 31 जनवरी की तुलना में 37 फीसदी ज्यादा है।
  • परिणाम स्वरूप 21 से 27 मार्च के औसतन डेली एफसीटी (फ्री कमर्शियल टाइम) भी 6 लाख सेकंड बढ़ गई यानी इसमें 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सबसे ज्यादा एफसीटी की बढ़ोतरी फूड और बेवरेज कैटेगरी में रही, जिसके बाद पर्सनल केयर और हाइजीन प्रोडक्ट का स्थान रहा। (एफसीटी यानी विज्ञापन के लिए चैनल पर खरीदे गए सेकंड्स)
  • चेन्नई बेस्ड आइस मीडिया के डायरेक्टर एम लॉरेंस ने बताया कि टीवी व्यूअरशिप में हुई इस बढ़ोतरी का कारण लॉकडाउन है। ऐसे में लोग टीवी तो देख रहे हैं लेकिन बिना किसी रूचि के। ऐसे में यह एडवरटाइडजिंग इंडस्ट्री के लिए बहुत ज्यादा बेहतर साबित नहीं होगा।
  • पिछले साल की तुलना में हमारे बिजनेस में 70-80 फीसदी की कमी आई है। हमने मार्च में भी गिरावट देखी है और अप्रैल में और ज्यादा गिरावट के संभावना है। हम फूड कैटेगरी के विज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन चैनलों की संख्या में कटौती कर दी है और सिर्फ न्यज चैनल्स पर ही फोक्स कर रहे हैं।


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TV viewership in India has been on the peak in Lockdown| TV viewership hits all-time high; but brands pull back on ad spends

महामारी से लड़ने में रोबोट्स की मदद लेगा भारत, यह संक्रमितों तक खाना-दवा पहुंचाएंगे, टेम्परेचर और सैंपल लेने का काम भी करेंगे April 05, 2020 at 09:24PM

कोरोना से लड़ने के लिए चीन समेत दुनियाभर के कई देश रोबोट्स की मदद ले रहे हैं। यह न सिर्फ हॉस्पिटल्स को सैनेटाइज करते हैं बल्कि पीड़ितों कर फूड और मेडिसिन पहुंचाने का काम भी कर रहे हैं। भारत में भी यह वायरस तेजी से फैल रहा है, अबतक 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 130 लोगों की जान मौत हो चुकी है। ऐसे में भारत भी कोरोना को हराने में इन रोबोट्स की मदद लेने की तैयारी कर रहा है, ताकि जल्द से जल्द इस महामारी पर काबू पाया जा सके।

दुनियाभर के हेल्थ वर्कर, शोधकर्ता और सरकारें इस महामारी पर काबू पाने की कोशिश में लगी हैं। कोरोना अबतक 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। अबतक 12 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 69 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग रखने की सलाह दे चुका है। इंसानों के लिए घरों तक जरूरी सामान पहुंचाना और हाई रिस्क एरिया में पीड़ितों का इलाज करना एक बड़ी चुनौती बन गई है, ऐसे में यह रोबोट्स संक्रमितों का बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट करने में काफी मददगार साबित हो रहे हैं।

महामारी को रोकने के लिए चीन के वुहान शहर में होंगशैन स्पोर्ट्स सेंटर में 14 फील्ड हॉस्पिटल स्टॉफ के साथ 14 रोबोट तैनात किए गए। इन रोबोट्स को बीजिंग की रोबोटिक्स कंपनी क्लाउडमाइंड ने बनाया है। यह न सिर्फ साफ-सफाई करते हैं बल्कि पीड़ितों तक दवाईयां पहुंचाते हैं और उनके शरीर का तापमान भी चेक करते हैं।

क्लाउमाइंड कंपनी का रोबोट जो कोरोना से लड़ने में चीन की मदद कर रहा है
क्लाउमाइंड कंपनी का रोबोट जो कोरोना से लड़ने में चीन की मदद कर रहा है

देश के कई हिस्सो में चल रही टेस्टिंग, स्टार्टअप कंपनियां बना रही रोबोट

  • भारत में भी कोरोना से लड़ने के लिए रोबोट्स की मदद लेने की तैयारी चल रही है। जयपुर के सरकारी हॉस्पिटल सवाई मान सिंह में भी ह्यूमनोइड रोबोट को लेकर ट्रायल चल रहा है, जिसमें यह देखा जा रहा है कि यहां एडमिट कोरोना संक्रमितों तक दवाई और खाना पहुंचाने के लिए इन रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। आधिकारियों का कहना है कि इससे हॉस्पिटल स्टाफ को संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा।
  • इसके अलावा केरल की स्टार्टअप कंपनी एसिमोव रोबोटिक्स ने तीन पहियों वाला रोबोट तैयार किया है। कंपनी का कहना है कि यह रोबोट आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के सहायक की तरह काम करेंगे। यह पीड़ितों तक खाना और दवाईयां पहुंचाएंगे जो अबतक नर्स और डॉक्टर कर रहे हैं थे, जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • हालांकि, इंसानों की जगह रोबोट्स की मदद लेना लोगों को नौकरी के प्रति असुरक्षित महसूस करवा सकता है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि रोबोट के इस्तेमाल से न सिर्फ मेडिकल स्टॉफ को थोड़ा आराम मिलेगा बल्कि उनके संक्रमित होने के खतरे को भी कम किया जा सकेगा।
  • साइंस रोबोटिक्स जर्नल में पब्लिश हु्ए एक लेख के मुताबिक, रोबोट्स न सिर्फ जगहों को संक्रमण रहित करने का काम कर रहे हैं, बल्कि पब्लिक एरिया में जाकर लोगों का टेम्परेचर चेक करने का भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा क्वारैंटाइन व्यक्ति को अकेलापन महसूस ने हो इसके लिए उन्हें सोशल सपोर्ट भी दे रहे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह टेस्टिंग के लिए लोगों के नाक और गले का सैंपल भी कलेक्ट काम भी कर रहे हैं।


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Robots to Fight Coronavirus| India will take helps robots to fight Corona, it will deliver food and medicine to the infected person, take temperature and sanitise hospitals
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