नई दिल्ली. साल 2020 में इंवेस्टमेंट ऐप, ऑनलाइन फाइनेंशियल डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम और आने वाली क्रिप्टोकरेंसी सायबर हमले में मुख्य टार्गेट होंगी। ये ज्यादातर हमले पैसे के लिए होंगे। पहले से ज्यादा खतरनाक और ताकतवर मोबाइल बैंकिंग मालवेयर डेवलप किए जा रहे हैं। लीक सोर्स कोड के आधार पर यह दावा किया गया है। सायबर सिक्योरिटी फर्म कैस्पर्सकी ने फाइनेंशियल सेक्टर में बढ़ते खतरे के परिदृश्य में यह अनुमान व्यक्त किया है। फाइनेंशियल सायबर हमले को सबसे खतरनाक खतरों में से एक माना जाता है। इसका प्रभाव पीड़ित के लिए सीधे वित्तीय नुकसान के रूप में होता है। साल 2019 ने इस इंडस्ट्री में कुछ महत्वपूर्ण विकास देखें है। यह भी देखा कि साइबर अटैक कैसे काम करते हैं। इन घटनाओं ने कैस्पर्सकी शोधकर्ताओं को 2020 के लिए वित्तीय खतरे के सन्दर्भ में कई महत्वपूर्ण संभावित खतरों को दिखाया है।
फिनटेक सेक्टर को सबसे ज्यादा और लगातार सायबर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। मोबाइल इन्वेस्टमेंट ऐप पूरी दुनिया में यूजर्स के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुए हैं। लिहाजा 2020 में सायबर अपराधियों के निशाने पर सबसे ज्यादा यही होंगे। इसका प्रमुख कारण है इन ऐप द्वारा बेस्ट सिक्योरिटी प्रैक्टिस को न अपनाना, जैसे मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन या ऐप कनेक्शन के प्रोटेक्शन। इस तरह के ऐप्लीकेशन के यूजर सायबर अपराधियों के सबसे आसान शिकार होते हैं। एक और नई चीज मोबाइल बैंकिंग के सोर्स कोड का पब्लिकली लीक होना चिंता पैदा करती है। संस्था ने अपने रिसर्च और अंडरग्राउंड फोरम के मॉनिटरिंग से पता लगाया है। बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच और बैंकों के खिलाफ रैंसमवेयर अटैक दूसरा सबसे बड़ा खतरा है। इसके तुरंत समाधान की जरूरत है। साल 2020 में कैस्पर्सकी के एक्सपर्ट को अनुमान है कि साल 2020 में क्रिमिनल टू क्रिमिनल सेल ऑफ नेटवर्क के विशेषज्ञ ग्रुप की गतिविधियां काफी बढ़ेगीं। इसका मुख्य क्षेत्र अफ्रिका, एशिया और इस्टर्न यूरोप होगा। इनके मुख्य टारगेट छोटे बैंक होंगे। भारत जैसे विकासशील देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम मेन टारगेट
आने वाले समय में ज्यादातर सायबर क्रिमिनल ग्रुप्स ऑनलाइन पेमेंट प्रोसेसिंग सिस्टम को टारगेट करेंगे। कुछ दिनों से ऑनलाइन स्टोर्स से पेमेंट कार्ड डेटा चुराने का तरीका अटैकर्स के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ है। रिसर्चरों ने ऐसे 10 ग्रुपों के बारे में पता लगाया है जो इस तरह के हमलों में शामिल हैं। सबसे खतरनाक हमले ई-कॉमर्स सेवा देने वाली वाली कंपनियों पर होंगे, क्योंकि इनका हजारों कंपनियों से समझौता होगा।
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