Wednesday, September 2, 2020

बड़ी स्क्रीन...खुले आसमान में कार के अंदर मल्टीप्लेक्स का मजा September 01, 2020 at 11:57PM

बड़ी स्क्रीन..खुला आसमां...ऊपर चांद-तारे...आप अपनी फैमिली या दोस्तों के साथ अपनी कार में हैं...पॉपकॉर्न आपको कार में ही सर्व किए जा रहे हैं....मोबाइल ऐप से आप खाने पीने का ऑर्डर दे रहे हैं....कॉन्टेक्टलेस डिलीवरी सिस्टम और पर्सनल साउंड सिस्टम। यही है ड्राइव इन थिएटर। जो भारत में तो कई सालों से है लेकिन अब कोरोना के बाद तेजी से पॉपुलर हो रहा है। यूएस, जर्मनी, स्पेन, साउथ कोरिया जैसे देशों में भी यह काफी पहले से चल रहा है, और कोरोनावायरस के बाद इसमें तेजी से बूम आया है, क्योंकि अब लोग मल्टीप्लेक्स में जाने से कतरा रहे हैं, लेकिन वे बड़ी स्क्रीन पर मूवी को एंजॉय करना चाहते हैं।

ड्राइव इन थियेटर्स में इस तरह से अपनी कार में बैठे हुए ही मूवी को एंजॉय किया जाता है।

यूएस में 300 से भी ज्यादा ड्राइव इन थिएटर्स

  • यूएस में 300 से भी ज्यादा ड्राइव इन थिएटर्स हैं। वहां लोग फैमिली के साथ जाते हैं। पार्क में घूमते हुए, गाड़ी के बोनट पर बैठकर फैमिली के साथ मस्ती करते हुए मूवी एंजॉय करते हैं। हालांकि कोरोनावायरस के बाद अब ड्राइव इन थिएटर्स में दर्शकों को गाड़ी से बाहर निकलने की परमिशन नहीं दी जा रही।
  • आउटडोर थिएटर्स मल्टीप्लेक्स वाले थिएटर्स से कई मायनों में अलग होते हैं। जैसे, इनकी स्क्रीन मल्टीप्लेक्स की स्क्रीन से ज्यादा बड़ी होती है। ब्लैक बैकग्राउंड होता है। पर्सनल साउंड सिस्टम होता है। कारें इस हिसाब से अरेंज की जाती हैं, ताकि किसी को भी स्क्रीन देखने में प्रॉब्लम न हो। व्हीकल्स को हाइट के हिसाब से ऊपर-नीचे भी कर दिया जाता है। ऐसे में मौजूदा दौर में यह कॉन्सेप्ट काफी पसंद किया जा रहा है।
लोग खाने पीने अपने साथ भी ले जा सकते हैं और बाहर से भी ऑर्डर कर सकते हैं।

टिकट लेने वाले हर दर्शक की स्क्रीनिंग की जाएगी

अंडर द स्टार्स ड्राइवइन मूवीज स्टार्टअप के को-फाउंडर अभिजीत शाह कहते हैं, हमने 2017 में ड्राइव इन थियेटर शुरू किया था। तब यह ड्राइवइन और ओपन एयर का कॉम्बिनेशन था। यानी लोग अपनी गाड़ी से बाहर निकलकर ग्रुप बनाकर ओपन एयर में बैठ सकते थे और मूवी एंजॉय कर सकते थे। लेकिन अब हमने ओपन एयर को बंद करने का डिसीजन लिया है। 21 सितंबर से हम सिर्फ ड्राइव इन थिएटर शुरू करने जा रहे हैं। पहले अधिकतम 20 से 25 कारों को ही एंट्री दी जाएगी। एक कार में दो लोग होते हैं, इस हिसाब से 50 से 60 लोग आ सकेंगे। टिकट लेने वाले हर दर्शक की स्क्रीनिंग की जाएगी, इसके बाद ही उनकी गाड़ी अंदर आ सकती है। शाह के मुताबिक, वो पहले वीकेंड पर ही शो करवाते थे। अब काफी व्यूअर्स की क्वेरीज आ रही हैं, ऐसे में रेग्युलर शो भी करवाए जा सकते हैं।

एक टिकट की कीमत लगभग 1200 रुपए

शाह कहते हैं, इस कॉन्सेप्ट में शाम के वक्त ही शो होता है। इन्होंने एक टिकट की कीमत 1200 रुपए रखी है। वहीं कार के अंदर पर्सनल स्पेस पूरी तरह से ऑनर का ही होता है। वह अपने हिसाब से खाना पीना कर सकते हैं, हालांकि कंपनियों की प्री-पैकेज्ड फूड पैकेट्स अवेलेबल करवाने की तैयारी है। ताकि जिसे वहां फूड एंजॉय करना हो, वो कर सके। बेंगलुरू की स्टेपिनऑट मूवी की कृतिका टाटेर के मुताबिक, हमारे पास ड्राइव इन थिएटर के लिए काफी क्वेरीज आ रही हैं। वे कहती हैं हमने ड्राइव इन थिएटर को पूरी तरह से कॉन्टेक्टलेस रखा है। प्रिमाइसिस के अंदर आते ही व्यूअर्स को हमारा मोबाइल ऐप डाउनलोड करना होगा। इसके जरिए वे ऑनलाइन फूड ऑर्डर कर सकेंगे। दूसरी फैसिलिटीज को एंजॉय कर सकेंगे। हम ब्लूटूथ के जरिए स्क्रीन का साउंड कार के सिस्टम से कनेक्ट कर देते हैं। ऐसे में व्यूअर्स को साउंड का मल्टीप्लेक्स जैसा ही एक्सपीरियंस मिलता है। फूड डिलीवरी भी कॉन्टेक्टलेस तरीके से होती है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए मूवी का वैसा ही एक्सपीरियंस मिलता है, जैसा थिएटर में मिलता है।

इसमें सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए फैमिली के साथ मूवी को एंजॉय किया जा सकता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लीडिंग मल्टीप्लेक्स चेन पीवीआर मुंबई में अपना पहला ड्राइव इन थिएटर लॉन्च करने की तैयारी में है। वहीं कार्निवल सिनेमा मुंबई के साथ ही बेंगलुरू, कोच्चि में भी आउटडोर स्क्रीन अगले दो महीने में शुरू कर सकती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं, इंडिया में कई कंपनियां आउटडोर स्क्रीन्स खरीदने के लिए फिल्म स्क्रीन मैन्यूफैक्चर से बातचीत कर रही हैं। हालांकि आउटडोर स्क्रीन से बहुत प्रॉफिट नहीं होता लेकिन मौजूदा दौर में फैमिली को एकसाथ लाने का यही एक तरीका है। वहीं इसमें एक दिन में अधिकतम दो शो ही हो सकते हैं। पहला शो देर शाम से शुरू होता है। दूसरा शो 9 बजे के करीब शुरू होता है, जो 12 बजे तक चलता है।

दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में जल्द शुरू हो सकते हैं ड्राइव इन थिएटर्स

इसमें आमतौर पर 100 से 150 कारों को ही अलाउ किया जाता है। ऐसे में ड्राइव इन थिएटर में जाने वालों को टिकट का ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक, मल्टीप्लेक्स में फूड एंड बेवरेज से भी ऑनर्स की कमाई होती है, लेकिन ड्राइव इन में ये प्रॉफिट बेहद कम हो जाता है। हालांकि यहां भी फूड आयटम अंदर सर्व किए जाएंगे लेकिन मल्टीप्लेक्स की तरह बाहर से कुछ ले जाना बैन नहीं होता। दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंधप्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में जल्द ही ड्राइव इन थिएटर्स शुरू हो सकते हैं। वहीं इसमें जो कंपनियां काम रही हैं, उन्हें करीब दो करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट ड्राइव इन थिएटर को शुरू करने के लिए करना पड़ रहा है।

अहमदाबाद, चेन्नई, गुड़गांव में ड्राइव इन थियेटर पहले से ही रन हो रहे हैं। अहमदाबाद में तो 30 सालों से भी ज्यादा समय से यह चल रहा है। बेंगलुरू में तो 1970-80 के दशक में ड्राइव इन का कॉन्सेप्ट रहा है, लेकिन बाद में जमीन की दिक्कत के चलते इसे बंद कर दिया गया था, जिसे एक बार फिर शुरू किया जा रहा है। बेंगलुरू में दो नए स्टार्टअप कोरोना के बाद इसे शुरू कर चुके हैं। हालांकि अभी काफी लिमिटेड शो किए जा रहे हैं। कुछ जगह रोक भी है, जो 21 सितंबर को हट जाएगी तो वहां भी ड्राइव इन थिएटर शुरू हो जाएंगे। अभी जो ड्राइव इन थिएटर चल रहे हैं, उनमें से अधिकतर में न्यूज रिलीज नहीं बल्कि क्लासिकल मूवीज दिखाई जा रही हैं। इसमें बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों की ही मूवीज शामिल होती हैं। अभिजीत कहते हैं, नई मूवी को रिलीज करने के लिए जो जरूरतें होती हैं, उन्हें अभी ड्राइवइन में कम लोग ही पूरा कर पा रहे हैं, क्योंकि इसमें खर्चा बहुत ज्यादा होता है। इन स्टार्टअप को अब उम्मीद है कि कोरोना के बाद ड्राइव इन थिएटर को लोग बड़ी संख्या में पसंद करेंगे। इन्हें काफी क्वेरीज भी मिल रही हैं।



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कोरोनावायरस ने मल्टीप्लेक्स पर भले ही ताले लगवा दिए हों, लेकिन अब देश में ड्राइव इन थियेटर का कल्चर बढ़ रहा है।

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