Thursday, April 9, 2020

महामारी से लड़ने में मदद कर रहे IISc और IIT के स्टूडेंट्स; बनाए गोकोरोनागो, CORONTINE और संपर्क-ओ-मीटर जैसे ऐप, बताएगा कहीं संक्रमित या संदिग्धों के साथ यात्रा तो नहीं की April 08, 2020 at 11:02PM

कोरोना से लड़ने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े देश के उच्च संस्थान भी एकजुट होकर काम कर रहे हैं। एक तरफ भारत सरकार ने आरोग्य सेतु जैसे कोरोना ट्रैकिंग ऐप लॉन्च किया वहीं दूसरी ओर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) जैसे संस्थानों ने मिलकर 'गो कोरोना गो' और 'संपर्क-ओ-मीटर' जैसे ऐप्स को तैयार किया है जो कोरोना से बचने में लोगों की मदद करते हैं।

गो कोरोना गो ऐप

गो कोरोना गो ऐप को आईआईएससी ने डेवलप किया है, जो पता लगाता है कि कहीं यूजर ने कोरोना संक्रमितों या संदिग्धों के साथ यात्रा या रास्ता पार तो नहीं किया। ऐप इस काम के लिए स्मार्टफोन के जीपीएस और ब्लूटूथ के अलावा पिछली कन्वर्सेशन को इस्तेमाल करता है। आईआईएससी के फैकल्टी मेंबर तारुण रंभा ने बताया कि ऐप दूर के संपर्कों के लिए संक्रमित होने की संभावना को समझने के लिए बैकएंड में टेम्परेरी नेटवर्क एनालिटिक्स का इस्तेमाल करता है। इससे यह बीमारी फैलने और सबसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों की पहचान करता है। उन्होंने आगे बताया कि ऐप आईसोलेशन और प्रॉक्जिमिटी स्कोर अलर्ट देता है साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ने में भी मदद करता है। इसमें जियो-फेसिंग फीचर भी है जो खासतौर से उन लोगों के लिए जो खुद को क्वारैंटाइन किए हुए हैं। इसके अलावा ये उन लक्षणों के बारे में भी बताता है जिससे संक्रमित होने की संभावना हो सकती है।

संपर्क-ओ-मीटर ऐप
रंभा ने बताया आईआईटी रोपड़ के ए.बी. टेक स्टूडेंट्स ने संपर्क-ओ-मीटर बनाई है। ऐप मैप के जरिए उन जगहों की जानकारी मुहैया कराता है, जहां कोरोना से संक्रमित होने की सबसे ज्यादा संभावना है। यह ऐप कई सारे मापदंड़ों के आधार पर रिस्क स्कोर जारी कर यूजर को एहतियाती उपाय करने के लिए अलर्ट करता है जिसमें सेल्फ आइसोलेट और डॉक्टर से परामर्श लेने शामिल है।

कोरोनटाइन (CORONTINE) ऐप
आईआईटी मुंबई के स्टूडेंट्स ने मिलकर भी कोरोनटाइन ऐप डिजाइन की है। ऐप क्वारैंटाइन जोन छोड़ने पर संदिग्ध व्यक्ति को ट्रैक करने में मदद करेगा, जो कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसे ऐप को ऑथोराइज्ड एजेंसी द्वारा संदिग्ध व्यक्ति के फोन में इंस्टॉल किया जाएगा। ऐप समय समय पर यूजर की जीपीएस लोकेशन की जानकारी सुपरविजन कर रही एजेंसी के सर्वर पर पहुंचाती रहेगी। जैसे ही संदिग्ध जियो फेसिंग किए गए क्वारैंटाइन जोन को छोड़ेगा, यह तुरंत उसे ऑटो डिटेक्ट कर लेगा।

आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने भी ऐसी ऐप तैयार की है, जो ऐसे लोगों को ट्रैक करने में मदद करेगी जो कोविड-19 पॉजीटिव कें संपर्क में आए हैं। यह ब्लूटूथ की मदद से काम करता है। ऐप उन यूजर्स को अलर्ट करेगी जो बीते दिनों में संक्रमितों के नजदीक गए हों।

आईआईटी रुड़की ने भी ऐसी ऐप तैयार किया है। इससे संदिग्धों की निगरानी की जा सकती है साथ ही उनके आसपास जियो-फेसिंग तैयार की जा सकती है। जिसे ही क्वारैंटाइन पर्सन इस जियो फेसिंग को तोड़गा, ऐप तुरंत सिस्टम को अलर्ट कर देगा। जीपीएस के काम न करने की स्थिति में यह एसएमएस के जरिए अलर्ट करता है।



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IISc and IIT students helping to fight with corona, make GoCoronaGo, CORONTINE and Sampark-o-Meter app created, will tell if you travel with the infected

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