देश के सबसे बड़े सोशल चैटिंग ऐप वॉट्सऐप ने एक बार फिर ऐप में नए अपडेट किए हैं। अब इस ऐप में ग्रुप कॉलिंग से जुड़े बदलाव लिए हैं। नए बदलाव के बाद इसमें अलग रिंगटोन सुनाई देगी, जिससे यूजर को इस बात का पता चल जाएगा कि ये ग्रुप कॉल है। इसकी जानकारी वॉट्सऐप से जुड़ी डिटेल शेयर करने वाले ट्विटर यूजर WABetaInfo ने शेयर की है।
@WABetaInfo ने जो ट्वीट किया है उसके मुताबिक, नए अपडेट एंड्रॉयड यूजर्स को बीटा वर्जन 2.20.198.11 पर मिलेंगे। यानी अभी ये चेंजेस सिर्फ एंड्रॉयड यूजर्स को ही मिलेंगे। ग्रुप कॉल रिंगटोन के साथ न्यू स्टीकर्स एनिमेशन भी मिलेंगे।
सिंगल कॉल पर पुरानी रिंगटोन
रिपोर्ट के मुताबिक, वॉट्सऐप में नई रिंगटोन सिर्फ ग्रुप कॉलिंग पर ही सुनाई देगी। यदि कोई यूजर वन-टू-वन कॉलिंग यानी सिंगल कॉल करता है, तब पुरानी रिंगटोन ही बजेगी। कंपनी नए अपडेट को जल्द ही सभी यूजर्स के लिए जारी कर देगी।
नए स्टीकर्स भी आए
कंपनी ने वॉट्सऐप में एक साथ कई नए स्टीकर्स को अपडेट किया है। ये सभी एनिमेटेड स्टीकर्स हैं। इसके लिए यूजर को स्टीकर सेक्शन में जाकर इन्हें डाउनलोड करना होगा।
बदलेगा कॉलिंग स्क्रीन का इंटरफेस
वॉट्सऐप अब कॉलिंग स्क्रीन के लिए भी नया यूजर इंटरफेस रोलआउट कर रहा है। शेयर किए गए स्क्रीनशॉट के मुताबिक, अब कॉलिंग के दौरान दिखने वाले सभी आइकन स्क्रीन में नीचे की तरफ होंगे। इसमें कॉल डिसकनेक्ट करने का आइकन सेंटर में होगा। वहीं, स्क्रीन में दिखने वाले बाकी आइकन जैसे कैमरा स्विच, मैसेज, कैमरा माइक इनेबल/डिसेबल नीचे एक सीधी लाइन में नजर आएंगे।
मारुति सुजुकी विटारा ब्रेजा, हुंडई वेन्यू जैसे सब-कॉम्पैक्ट एसयूवी को चुनौती देने के लिए किआ मोटर्स ने सोनेट को भारतीय बाजार में उतार दिया है। कंपनी ने 25 हजार रुपए में इसकी बुकिंग्स लेना शुरू कर दिया है, और पहले ही दिन इसे 6500 से ज्यादा बुकिंग्स मिल चुकी हैं। अगर सब-कॉम्पैक्ट एसयूवी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और मारुति सुजुकी विटारा ब्रेजा या किआ सोनेट को लेकर कंफ्यूज हैं, तो आइए जानते हैं दोनों में से कौन बेहतर है....
सोनेट VS ब्रेजा: डायमेंशन में कौन बेहतर
सोनेट
ब्रेजा
लंबाई
3995 एमएम
3995 एमएम
चौड़ाई
1790 एमएम
1790 एमएम
ऊंचाई
1647 एमएम
1640 एमएम
बूट स्पेस
392 लीटर
328 लीटर
व्हीलबेस
2500 एमएम
2500 एमएम
टायर्स
15 इंच/16 इंच
16 इंच
ग्राउंड क्लीयरेंस
211 एमएम
198 एमएम
गाड़ी की लंबाई, चौड़ाई, व्हील बेस एक समान हैं। फर्क ऊंचाई का है, सोनेट 7 एमएम ज्यादा ऊंची है और इसी वजह से सोनेट में 392 लीटर का बूट स्पेस मिलता है, जबकि ब्रेजा में सिर्फ 328 लीटर का बूट स्पेस है। ब्रेजा के मुकाबले सोनेट में ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस मिलता है जोकि भारतीय सड़कों के हिसाब से बढ़िया है।
सोनेट VS ब्रेजा: दमदार इंजन किसमें?
सोनेट में तीन इंजन ऑप्शन मिलेंगे।
पहला: 1.2 लीटर पेट्रोल इंजन, जो 83 पीएस और 114 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। यह 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ आएगा।
दूसरा: 1.5 लीटर टर्बो डीजल इंजन, जो 100 पीएस और 240 एनएम का टॉर्क जनरेट करेगा। यह 6 स्पीड मैनुअल और 6 स्पीड टॉर्क कन्वर्टर आटोमैटिक के साथ आएगा।
तीसरा: 1.0 लीटर टर्बो-पेट्रोल इंजन, जो 120 पीएस र 171 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। यह 6 स्पीड iMT और 7 स्पीड DCT गियरबॉक्स के साथ आएगा।
मारुति सुजुकी ब्रेजा में सिर्फ एक इंजन ऑप्शन मिलेगा
पहला: इसमें 1.5 लीटर पेट्रोल इंजन है, जो 105 पीएस का पावर और 138 एनएम का टॉर्क जनरेट करेगा। यह 5 स्पीड मैनुअल और 4 स्पीड आटोमैटिक गियरबॉक्स के साथ आएगा।
नोट- इसका 1.3 लीटर फिएट-सोर्स्ड डीजल इंजन डिस्कंटीन्यू कर दिया गया है।
सोनेट VS ब्रेजा: किसमें कितने वैरिएंट मिलेंगे
सेल्टॉस के तर्ज पर किआ सोनेट भी दो लाइन में उपलब्ध है। पहली- द टेक लाइन और दूसरी GT लाइन।
टेक लाइन में 5 ट्रिम लेवल है जबकि GT लाइन में सिर्फ एक ट्रिम लेवल है।
विटारा ब्रेजा में LXi (MT), VXi(MT/AT), ZXi(MT/AT), ZXi(MT/MT Dual Tone/AT/ AT Dual Tone) में उपलब्ध है।
इस सप्ताह की शुरुआत मोटोरोला के नए स्मार्टफोन के साथ हुई है। कंपनी ने अपना लो बजट मोटो G9 स्मार्टफोन भारतीय बाजार में लॉन्च कर दिया है। मोटो ने अपने नए स्मार्टफोन में बजट का भी ध्यान रखा है। अभी अमेरिकन कंपनी रही मोटोरोला का स्वामित्व अब चीनी कंपनी लेनोवो के पास है।
मोटो के इस स्मार्टफोन में ग्राहकों को कुछ नया मिलेगा या नहीं, और कीमत के हिसाब से ये स्मार्टफोन कितना पावरफुल है। इन सभी बातों को इसके फर्स्ट ओपिनियन से जानते हैं...
मोटो G9 की कीमत
सबसे पहले बात स्मार्टफोन की कीमत की करते हैं। कंपनी ने इस फोन को सिंगल वैरिएंट में लॉन्च किया है, जिसकी कीमत 11,499 रुपए है। इसे फॉरेस्ट ग्रीन और सैफायर ब्लू कलर में खरीद पाएंगे। यानी ग्राहकों को इन्हीं में से किसी एक कलर को चुनना होगा। यदि इनमें से कोई कलर पसंद नहीं आता है, तब फोन पर अपना पसंदीदा कवर लगा सकते हैं।
फोन में बेस्ट पार्ट क्या?
इस स्मार्टफोन की कीमत को देखते हुए 3 पार्ट इसे बेहतर बना रहे हैं। जिनमें पहला है इसका कैमरा, दूसरा एक्सपेंडबल स्टोरेज और तीसरा बैटरी।
सबसे पहले बात करते हैं कैमरा की। फोन में 48 मेगापिक्सल का ट्रिपल रियर कैमरा मिलेगा। इस कैमरा को गूगल पिक्सल फोन की तरह एक बॉक्स के अंदर फिक्स किया गया है। फर्क है तो बस पोजीशन का। फोन में 48 मेगापिक्सल लेंस के साथ 2-2 मेगापिक्सल के लेंस दिए हैं। यानी इमेज की क्वालिटी को सिर्फ 48 मेगापिक्सल ही बेहतर बनाएगा। अन्य दो लेंस बोकेह, डेप्थ सेंसर, मैक्रो फोटोग्राफी में मदद करेंगे।
फोन से फोटो क्वाविटी कैसी होगी, इस बारे में पता तो तब चलेगा जब फोन का रिव्यू किया जाएगा। हां, आपको ऑटो स्माइल कैप्चर, HDR, फेस ब्यूटी के साथ मैनुअल मोड जरूर मिलेंगे।
अब बात करतें है फोन के दूसरे बेस्ट पार्ट यानी एक्सपेंडबल स्टोरेज की। आपको इस फोन में 64GB का स्टोरेज मिलेगा, लेकिन आपको इतना स्टोरेज कम लगता है, तब चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि फोन मेमोरी को 512GB तक मेमोरी कार्ड की मदद से बढ़ाया जा सकता है।
फोन में 5,000mAh की बैटरी मिलेगी, जो इसका तीसरा बेस्ट पार्ट भी है। इतना ही नहीं, ये बैटरी 20 वॉट की चार्जिंग को सपोर्ट करेगी। यानी कम समय की चार्जिंग में ये स्मार्टफोन ज्यादा बैकअप देगा।
मोटो G9 के अन्य फीचर्स
फोन में 6.5-इंच की एचडी प्लस मैक्स विजन डिस्प्ले स्क्रीन मिलेगी। बॉडी में स्क्रीन का रेशियो 87 प्रतिशत रहेगा। फोन में क्वालकॉम स्नैपड्रैगन ऑक्टा-कोर 662 प्रोसेसर मिलेगा। यूं तो मार्केट में अब ज्यादा स्पीड वाले प्रोसेसर आ रहे हैं, लेकिन कीमत को देखते हुए प्रोसेसर ठीक नजर आ रहा है। इसमें सेल्फी के लिए 8 मेगापिक्सल कैमरा लेंस दिया है। फोन में 4GB रैम दी है।
कनेक्टिविटी के लिए इसमें 4G VoLTE, वाई-फाई, ब्लूटूथ 5.0, एनएफसी, एफएम रेडियो, USB Type-C पोर्ट, 3.5mm हेडफोन जैक जैसे ऑप्शन दिए हैं। वहीं, एक्सेलेरोमीटर, एंबियंट लाइट, जायरोस्कोप, प्रॉक्सिमिटी सेंसर और सार सेंसर भी दिया है। सिक्योरिटी के लिए रियर-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर मिलेगा।
इस फोन की पहली फ्लैश सेल 31 अगस्त को दोपहर 12 बजे से फ्लिपकार्ट पर होगी। फीचर्स और स्पेसिफिकेशन को देखते हुए इसका फर्स्ट ओपिनियन बेहतर है।
इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाने वाली कंपनी ओकिनावा ने भारतीय ऑटो बाजार में नया स्कूटर ओकिनावा R30 लॉन्च कर दिया है। ये लो स्पीड कैटेगरी स्कूटर है। इसकी एक्स-शोरूम कीमत 58,992 रुपए है। कंपनी ने लॉन्चिंग के साथ इस स्कूटर की प्री-बुकिंग शुरू कर दी है। इसके लिए ग्राहकों को 2000 रुपए की टोकन मनी देनी होगी।
मोबाइल की तरह चार्ज कर पाएंगे बैटरी
इस स्कूटर की टॉप स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा है, जिसके चलते इसे लो स्पीड कैटेगरी में जगह दी गई है। इसमें 1.25 किलोवाट की लिथियम-आयन बैटरी दी है। इस बैटरी को निकालकर चार्ज किया जा सकता है। खास बात है कि इस बैटरी को घर के नॉर्मल प्लग के साथ चार्ज किया जा सकेगा। कंपनी का दावा है कि 4 से 5 घंटे में फुल चार्ज हो जाएगी। वहीं, फुल चार्ज होने के बाद इसकी रेंज 60 किलोमीटर तक है। यानी 2 से 2.30 घंटे की चार्जिंग में आप इस स्कूटर से 30 किलोमीटर का सफर तय कर पाएंगे।
1km का खर्च 1.50 रुपए
1.25 किलोवाट कैपेसिटी वाली बैटरी की चार्जिंग में 1 घंटे में 1 यूनिट खर्च होती है, तब 4 से 5 घंटे की चार्जिंग में अधिकतम 5 यूनिट खर्च होंगी। यदि एक यूनिट की कीमत 7 से 8 रुपए है, तब 5 यूनिट में अधिकतम 40 रुपए खर्च होंगे। यानी 40 रुपए के खर्च में आप 60 किलोमीटर का सफर करेंगे। इस हिसाब से 1 किमी का खर्च 1.50 रुपए हो जाता है।
कंपनी का कहना है कि इस स्कूटर के साथ मिलने वाला चार्जर ऑटो कट फंक्शन के साथ आता है। वहीं, बैटरी पर कंपनी 3 साल की वारंटी दे रही है। वहीं, स्कूटर में इस्तेमाल की गई 250 वॉट BLDC इलेक्ट्रिक मोटर पर कंपनी 3 साल या 30 हजार किलोमीटर की वारंटी दे रही है।
ओकिनावा R30 इ-स्कूटर के फीचर्स
इस स्कूटर में स्टाइलिश हेडलैम्प के साथ बॉडी कलर फ्लोर मैट, अलॉय व्हील्स, डिजिटल इंस्ट्रूमेंट डिस्प्ले जैसे फीचर्स मिलेंगे। इस स्कूटर को 5 कलर वैरिएंट पर्ल व्हाइट, ग्लॉसी व्हाइट, ग्लॉसी रेड, मैटेलिक ऑरेंज, सी ग्रीन और सनराइज यलो में खरीद पाएंगे।
सेफ्टी के लिए इसमें ड्रम ब्रेक के साथ ई-एबीएस (इलेक्ट्रॉनिक असिस्टेड ब्रेकिंग सिस्टम) दिया है। इस स्कूटर की अधिकतम लोडिंग कैपेसिटी 150 किलोग्राम है। इसमें सीट की हाइट 735mm है, जिससे राइडिंग पोजिशन बेहतर होती है। स्कूटर का ग्राउंड क्लियरेंस 160mm है।
नए बीएस 6 एमिशन नॉर्म्स लागू होने के बाद कई कार निर्माता कंपनी अपने डीजल इंजन मॉडल का प्रोडक्शन ही बंद कर दिया है, क्योंकि नए नियमों का पालन करने के लिए डीजल इंजन को अपग्रेड करना एक बहुत ही महंगा मामला था, और इससे कार के इंजन में काफी ज्यादा मार्जिन में वृद्धि हो रही थी। बावजूद इसके बाजार में कई डीजल कारें मौदूज है, जो न सिर्फ नए एमिशन नॉर्म्स को फोलो करती हैं, बल्कि सबसे अधिक फ्यूल एफिशिएंट कारों की लिस्ट में भी शुमार है। बढ़ते ईंधन की कीमत को देखते हुए अगर अधिक माइलेज वाली कार खरीदने का सोच रही हैं, तो हमने ऐसी 10 कारों की लिस्ट तैयार की है, जिसमें अच्छा खासा माइलेज मिल जाएगा...
टॉप 10 की लिस्ट में मारुति सुजुकी की सिर्फ एक कार
पहले जहां सबसे अधिक फ्यूल एफिशिएंट कारों की सूची में मारुति सुजुकी का वर्चस्व था, वहीं नए एमिशन नॉर्म्स लागू होने जाने के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब लिस्ट में सबसे ऊपर हुंडई की कॉम्पैक्ट सेडान ऑरा का नाम है, जो भारतीय बाजार की सबसे अधिक फ्यूल एफिशिएंट डीजल कार बताई जा रही है, इसमें 1.2 लीटर डीजल इंजन जो 75 पीएस का पावर और 190 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। कंपनी का दावा है कि इसमें 25.4 kmpl का माइलेज मिलेगा।
दूसरा स्थान पर टाटा अल्ट्रोज़ है, जिसमें 1.5 लीटर डीजल इंजन है जो 90 पीएस/200 एनएम का पावर जनरेट करता है, कंपनी का दावा है कि इसमें 25.11 kmpl का माइलेज मिलेगा। तीसरा और चौथा स्थान पर भी हुंडई की कारों ने अपनी जगह बनाई। तीसरे स्थान पर 25.1 kmpl माइलेज के साथ ग्रैंड आई 10 निओस और चौथे पर 25 kmpl माइलेज के साथ वरना का स्थान आता है। ग्रैंड आई 10 निओस में 1.2 लीटर (75 पीएस/90 एनएम) डीजल इंजन और वरना में 1.5 लीटर डीजल (115 PS/250 Nm) इंजन मिलता है।
होंडा अमेज़ 1.5L लीटर डीजल (100 पीएस/200 एनएम) इंजन के साथ पांचवें स्थान पर है, जिसमें 24.7 kmpl का माइलेज मिलता है, जबकि छठे स्थान पर संयुक्त रूप से फोर्ड फिगो और एस्पायर 1.5L लीटर डीजल इंजन (100 पीएस/215एनएम) हैं, जिसमें 24.4 kmpl का माइलेज मिलता है।
टॉप 10 की लिस्ट में सिर्फ एकमात्र मारुति सुजुकी डिजायर है, इसमें 90 पीएस/113 एनएम पर रेटेड 1.2 लीटर माइल्ड-हाइब्रिड पेट्रोल इंजन मिलता है। यह इस लिस्ट में एकमात्र पेट्रोल-पावर्ड कार है, जिसमें 24.12 kmpl का माइलेज मिलता है।
24 kmpl माइलेज के साथ होंडा सिटी 1.5 लीटर डीजल (100 पीएस/200 एनएम) के साथ आठवें स्थान पर, 23.8 kmpl माइलेज के साथ फोर्ड फ्रीस्टाइल 1.5 लीटर डीजल (100 पीएस/215 एनएम) से साथ नौवें और 23.3 kmpl माइलेज के साथ हुंडई वेन्यू 1.5 लीटर डीजल (100 पीएस/240 एनएम) के साथ दसवें स्थान पर है।
एपल और वर्डप्रेस के बीच चल रहा विवाद आखिरकार एपल की माफी के बाद थम गया है। दुनिया की टॉप कपंनियों में शुमार एपल ने अपने एप स्टोर पर वर्डप्रेस को लेकर चल रहे विवाद में माफी मांग ली। कंपनी ने एक बयान में कहा कि हमारे और वर्डप्रेस के बीच चल रही समस्या अब हल हो गई है।
एपल ने कहा, वर्डप्रेस के साथ चल रही समस्या का समाधान हो गया है। डेवलपर ने एप से अपनी सर्विस पेमेंट ऑप्शन को हटा दिया है, इसलिए यह अब एक फ्री स्टैंड-अलोन एप है और इसमें इन एप ने खरीदारी की पेशकश नहीं है। हमने डेवलपर से कहा है कि हमारी तरफ से शुरू हुई किसी भी परेशानी के लिए क्षमा चाहते हैं।
एपल और वर्डप्रेस के बीच विवाद की वजह
दरअसल, एपल एप स्टोर पर वर्डप्रेस का एप फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। जिस पर यूजर फ्री वेबसाइट बना सकते हैं। कंपनी ने जब एप का नया अपडेट जारी किया तब एपल ने इसकी एबिलिटी नहीं दी। जिसके बाद वर्डप्रेस के फाउंडिंग डेवलपर मैट मुलेनवेग ने एपल पर एप का अपडेट नहीं देने का आरोप लगाया था। मैट ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने ये लिखा कि iOS पर वर्डप्रेस एप में कुछ समय से अपडेट क्यों नहीं दिए जा रहे थे।
मैट मुलेनवेग का ट्वीट
मैट ने लिखा, "अपडेट न देने की वजह ये है कि हमें एपल एप स्टोर की तरफ से लॉक कर दिया गया है। अपडेट और बग फिग्स देने के लिए हमें .com प्लान्स इन एप परचेज का सपोर्ट देने को कहा गया है। द वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक iOS पर वर्डप्रेस का एप है फ्री मौजूद है, इसके लिए यूजर्स को पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती।
बता दें कि एपल अपने एप स्टोर पर किसी भी पेड एप की खरीदारी पर 30 फीसदी रेवेन्यू कमाती हैं। ऐसे में जब किसी फ्री एप्स में वे सारी सुविधाएं मिलती हैं जो किसी पेड एप में मिल रही हैं, तब जाहिर तौर पर कंपनी को रेवेन्यू नुकसान होता है।
एपल ने वर्डप्रेस को गलत बताया था
एपल ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि वर्डप्रेस एप में अपनी प्रीमियम सर्विसेज का विज्ञापन कर रहा था। भले ही यूजर्स एप में उन सेवाओं को खरीद नहीं सकते थे। ऐसे में जब एपल वर्डप्रेस के iOS अपडेट को ब्लॉक करने के लिए आगे बढ़ा, तब तक मुलेनवेग ने पेमेंट ऑप्शन को हटा दिया। जिसके बाद दोनों के वीच का विवाद शुरू हुआ।
क्या है वर्डप्रेस?
वर्डप्रेस कंटेंट मैनेजमेंट को लेकर दुनियाभर में पॉपुलर है। इस प्लेटफॉर्म पर फ्री वेबसाइट बनाने का ऑप्शन मिलता है। यहां पर यूजर्स फ्री में अपनी वेबसाइट डिजाइन कर सकते हैं। एपल एप स्टोर के साथ गूगल प्ले स्टोर पर भी इस एप को फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं।
हाल ही में इपिक से भी हुआ था विवाद
इसी महीने एपल का अमेरिकन गेमिंग कंपनी एपिक गेम्स से भी विवाद हो चुका है। एपल ने अपने एप स्टोर से एपिक के पॉपुलर एक्शन गेम फोर्टनाइट को हटा दिया था। कंपनी का कहना था कि गेम को इस वजह से हटाया क्योंकि एपिक गेम्स कंपनी को बायपास करते हुए यूजर्स के डायरेक्ट पेमेंट प्लान लॉन्च किया था। एपिक और एपल के पूरी विवाद को जानने यहां क्लिक करें...
हर व्यक्ति को अपनी गाड़ी से खास लगाव होता है, कोई भी अपनी गाड़ी पर एक भी स्क्रैच नहीं देखना चाहता। लेकिन कुछ शरारती तत्व जानबूझकर गाड़ी पर अपनी कलाकारी दिखा जाते हैं, कोई चाबी तो कोई नुकीली चीज से स्क्रैच लगा जाता है तो कई बार रश ड्राइविंग करने वाले बाइकर्स गाड़ी में स्क्रैच मार कर निकल जाते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी गाड़ी के कलर को चिंतित हैं और सालों साल नए जैसा रखना चाहते हैं ताकि उसके खूबसूरती बरकरार रहे तो उसपर पीपीएफ यानी पेंट प्रोटेक्शन फिल्म लगवा सकते हैं। इसके फायदे और नुकसान जानने के लिए हमने एक्सपर्ट राहुल श्योरान से बात की, जिन्होंने हमारे साथ पीपीएफ कोटिंग के बारे अहम जानकारियां साझा कीं...
क्या होती है PPF, क्यों लगवानी चाहिए?
पीपीएफ का मतलब पेंट प्रोटेक्शन फिल्म है। एक्सपर्ट ने बताया कि जिन लोगों को अपनी कार से प्यार है या जिन्हें धूप में कार का कलर फेड हो जाने की चिंता है, तो उनके लिए पीपीएफ सबसे बेस्ट उपाय है। इसकी थिकनेस सिरेमिक कोटिंग से कहीं ज्यादा होती है।
ब्रांड-टू-ब्रांड इसकी थिकनेस 180 माइक्रॉन से 300 माइक्रॉन तक होती है जबकि सिरेमिक की थिकनेस इसकी एक-तिहाई होती है। साथ ही सिरेमिक कोटिंग लिक्विड होती है, ऐसे में बार-बार कार वॉश करने से निकल सकती है जबकि पीपीएफ प्लास्टिक लेयर है तो इसे कार वॉशिंग से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसे लगवाने से गाड़ी में स्क्रैच लगने की टेंशन ही खत्म हो जाती है साथ ही सालों साल कार के कलर की चमक भी बरकरार रहती है।
इसे नई गाड़ी में ही कराए या पुरानी में भी करा सकते हैं?
जरूरी नहीं कि नई गाड़ी है तो उसके कलर को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। भारत में तापमान दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में चाहे गाड़ी नई हो या पुरानी, कलर फेड होने का खतरा हमेशा बना रहता है, खासतौर से उन्हें जिनकी गाड़ी का कलर डार्क है। वहीं कुछ ब्रांड्स की गाड़ियों में अच्छी क्वालिटी का कलर नहीं देते, जो कुछ समय बाद फीके पड़ने लगते हैं।
पीपीएफ हर एक गाड़ी मालिक को करवाना चाहिए, जो अपनी को प्यार करते हैं, उसे इन्वेस्टमेंट समझते हैं, क्योंकि 10-12 लाख खर्च करने के बाद सभी चाहते है कि उनकी गाड़ी सुरक्षित रहे। देखा जाए तो पीपीएफ लगवाने का खर्च प्रति पैनल उतना है पड़ता है, जितना प्रति पैनल पेंट करवाना पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, कार के दरवाजे पर स्क्रैच पड़ने पर अगर आप शोरूम से री-पेंट करवाते हैं तो उतना ही खर्च आएगा, जितना उसके पीपीएफ लगवाने में आता है। लेकिन पीपीएफ लगवाने के बाद बार-बार पेंट करवाने का झंझट खत्म हो जाता है। अगर उसके बाद कोई स्क्रैच पड़ता भी है तो पीपीएफ उस झेल जाएगा और ओरिजनल पेंट को सेफ रखेगा। खास बात यह है कि डार्क कलर पर पीपीएफ लगवाई जाएं तो यह उसकी शाइनिंग दो से तीन गुना तक बढ़ा देती है।
कैसे लगाई जाती है पीपीएफ, कितना समय लगता है?
पीपीएफ लगवाने में लगभग 2 से 3 दिन का समय लगता है। क्योंकि गाड़ी के डोर-हैंडल्स, साइड मिरर्स, क्लेडिंग, बैज जैसी चीजों को पहले निकाला जाता है। कई गाड़ियों में हेडलाइट-टेललाइट्स पर भी पीपीएफ किया जाता है लेकिन कई गाड़ियों की हेडलाइट्स-टेललाइट्स काफी जिग-जैग होती है, ऐसे में उन पर फिल्म नहीं लग पाती। वैसे डोर हैंडल्स पर कभी भी पीपीएफ नहीं लगाया जाता। कुछ लोग जल्दी के चक्कर में गाड़ी के पार्ट्स खोलने से कतराते हैं, ऐसे में प्रॉपर फिनिशिंग नहीं आ पाती।
यह है पीपीएस की पूरी प्रोसेस...
1. डीप क्लीनिंग (Deep Cleaning)
किसी भी गाड़ी पर पीपीएफ करने से पहले उसे अच्छी तरह से कम से कम एक से दो बार वॉश किया जाता है। सुनिश्चित किया जाता है कि गाड़ी पर किसी भी तरह की गंदगी न हो। खास तौर से कोने पर जहां गंदगी लगने की सबसे ज्यादा संभावना होती है।
2. क्लेइंग (Claying)
वॉश करने के बाद कार क्लेइंग प्रोसेस से गुजरती है। इस प्रक्रिया में खास तरह कि चिकनी मिट्टी को लुब्रिकेंट के जरिए कार की बॉडी पर रगड़ा जाता है, जिससे बारीक से बारीक गंदगी निक जाए, इससे सरफेस और ज्यादा साफ हो जाता है। इसे क्ले ग्लव्स पहन कर किया जाता है।
3. कम्पाउंडिंग (Compunding)
वॉशिंग और क्लेइंग के बाद सरफेस की कंपाउंडिंग होती है। इसके सरफेस पर पड़े स्वेलमार्क्स और हेयर लाइन स्क्रैच हटाए जाते हैं। स्वेलमार्क खासतौर से गाड़ी को कपड़े से साफ करने के दौरान पड़ते हैं, जो राउंड शेप में होते हैं, ये ज्यादातर ब्लैक और रेड कलर की गाड़ियों में ज्यादा दिखाई देते हैं। इन्हें क्लियर करने के लिए कंपाउंडिंग की जाती है। स्क्रैच के हिसाब से अलग अलग ग्रेड के कंपाउंड यूज किए जाते हैं। कम्पाउंडिंग डुअल एक्शन पॉलिशर से की जाती है, इसकी मोटर 4-वे यानी अप-डाउन और लेफ्ट-राइट तरीके से काम करती है।
4. आईपीए (IPA)
अंत में सरफेस को पूरी तरह से साफ करने के लिए आईपीए किया जाता है। इसके लिए आइसोप्रोपाइल अल्कोहल यूज किया जाता है, जो कम्पाउंडिंग के दौरान सतह पर छूटी पॉलिश को पूरी तरह से साफ करता है, ताकि पीपीएफ अच्छी तरह से सरफेस पर चिपके।
5. पीपीएफ प्रोसेस शुरू
आईपीए के बाद पीपीएफ प्रोसेस शुरू हो जाती है। पीपीएस गाड़ी पर लगने से पहले पूरे पीपीएफ पर एक सोपी (Soapy) सॉल्यूशन का छिड़काव किया जाता है और वहीं सॉल्यूशन गाड़ी की बॉडी पर भी स्प्रे किया जाता है। इसके बाद पीपीएफ को सरफेस पर लगाकर, स्क्वीजी (squeeze) की मदद से पानी बाहर निकाला जाता है। यह पूरी प्रोसेस कांच पर फिल्म चढ़ाने जैसी होती है। यह पूरी प्रक्रिया बंद कमरे में की जाती है, जहां डस्ट लगने की संभावना न के बराबर होती है। जिस जगह पर पीपीएफ नहीं हो पाती, उस जगह ग्राहकों को सिरेमिक कोटिंग करना की सलाह दी जाती है, ताकि प्रोटेक्शन मिल सके। इसे पूरी प्रोसेस में तीन दिन तक का समय लगता है जो गाड़ी के साइज पर निर्भर करता है, क्योंकि पीपीएफ लगने के बाद उसे सूखने के लिए भी पर्याप्त समय देना होता है खासतौर से सर्दियों के मौसम में।
पीपीएफ कराने में कितना खर्च आता है?
बाजार में पीपीएफ (पेंट प्रोटेक्शन फिल्म) दो तरह की आती है। पहली ग्लोस, जिसमें सेल्फ हीलिंग और नॉन सेल्फ हीलिंग का ऑप्शन मिलता है। दूसरी मैट, इसमें भी सेल्फ हीलिंग और नॉन सेल्फ हीलिंग का ऑप्शन मिलता है। मैट उन लोगों के लिए बढ़िया है, जो अपनी कार का कलर चेंज कर उसे नया लुक देना चाहते हैं।
फिलहाल पीपीएफ की मैन्युफैक्चरिंग भारत में नहीं हो रही है, इसलिए इन्हें अलग-अलग देशों से एक्सपोर्ट कराया जाता है। पीपीएफ की कीमत ब्रांड के हिसाब से अलग अलग है। ब्रांड पीपीएफ के साथ बाकायदा आपको बिल, लोट नंबर और वारंटी कार्ड तक मिलता है।
ब्रांडेड सेल्फ हीलिंग पीपीएफ की बात की जाए तो इसकी लागत (क्रेटा साइज कार के लिए) 65 हजार से 1.35 लाख तक होती है, जो कार के साइज और पीपीएफ के ब्रांड पर निर्भर करती है। नॉन सेल्फ हीलिंग पीपीएफ की लागत 35 हजार से 50 हजार रुपए तक जाती है। हालांकि, बाजार में कई चीनी ब्रांड भी उपलब्ध है, जिन पर कोई वारंटी नहीं मिलती है।
नोट- नॉन-ब्रांडेड पीपीएफ पर कुछ समय बाद पीला पड़ने लगते हैं, यह पीलापन खासतौर से व्हाइट कारों पर जल्दी नजर आने लगता है। ऐसे में हमेशा ब्रांडेड पीपीएफ लगवाएं और दुकानदार से बिल, लोट नंबर और वारंटी कार्ड जरूर मांगे, ताकि किसी भी परेशानी से बचा जा सके। ब्रांडेड पीपीएफ में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं आती। ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से अलग अलग पार्ट पर भी पीपीएफ लगवा सकता है।
नोट- सभी पॉइंट राहुल श्योरान (WRAPAHOLOX, द्वारका, नई दिल्ली) से बातचीत के आधार पर।