फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने नवंबर में हुए व्हीकल रजिस्ट्रेशन के आंकड़े जारी कर दिए हैं। नवंबर में 18.28 लाख यूनिट की सेल्स हुई है, जो साल दर साल की तुलना में 19.29% कम है। नवंबर 2019 में 22.65 लाख यूनिट का सेलिंग हुई थी। कोविड महामारी से अब तक ऑटो इंडस्ट्री उबर नहीं पाई है। इस साल फरवरी एकमात्र ऐसा महीना रहा जब साल दर साल के आधार पर ऑटो सेल्स में 2.60 फीसदी की बढ़ोतरी रही थी।
कोविड-19 महामारी के चलते ऑटो सेल्स के इतिहास में पहला ऐसा मौका भी आया जब मार्च में एक भी गाड़ी नहीं बिकी। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) हर महीने देश में ऑटो सेल्स की लिस्ट जारी करता है। हालांकि, इस साल मार्च और अप्रैल में व्हीकल रजिस्ट्रेशन की डेटा जारी नहीं किया गया।
ऑटो एक्सपो 2020 का आयोजन फरवरी में किया गया था। ये साल का अब तक का इकलौता ऑटो इवेंट भी रहा है, क्योंकि इसके बाद कोरोनावायरस ने देश को अपनी चपेट में ले लिया। इस वायरस से ऑटो इंडस्ट्री भी पूरी तरह हिल गई। कोविड-19 से पहले और बाद में ऑटो इंडस्ट्री की हालत की हम पूरी डिटेल दे रहे हैं।
पहले देखिए इस साल के हर महीने कैसी रही ऑटो सेल्स?
इन आंकड़ों से साफ है कि साल की शुरुआत साल दर साल के आंकड़ों के लिहाज से गिरावट के साथ हुई थी। हालांकि, फरवरी में सेल्स में बढ़ोतरी नजर आई, लेकिन इसके बाद कोरानावायरस ने ऑटो सेल्स को जमीं पर ला दिया। मार्च में जहां एक भी गाड़ी नहीं बिकी, तो मई में ये गिरावट साल दर साल के आधार पर 88% से ज्यादा रही। इसके बाद सेल्स के आंकड़ों में बढ़ोतरी तो हुई, लेकिन साल दर साल में गिरावट ही रही।
कोरोनावायरस ने यूं तो देश की ऑटो इंडस्ट्री पर गहरा प्रहार किया है, लेकिन ट्रैक्टर की बिक्री ने सेल्स के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस साल अब तक ट्रैक्टर की बिक्री में 30% से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली है। सिर्फ मई महीने में ट्रैक्टर की बिक्री साल दर साल के आधार पर कम रही। सितंबर महीने में साल दर साल के आधार पर ट्रैक्टर की सेल्स 80% से भी ज्यादा रही। पिछले साल की तुलना में इस साल खेती अच्छी रही। वहीं, लॉकडाउन के दौरान खाद्य पदार्थों और अनाज की मांग बढ़ने से इसका फायदा किसानों को हुआ।
इन राज्यों में बढ़ी ट्रैक्टर की मांग
कोरोनावायरस और लॉकडाउन के बीच देश के लगभग सभी राज्यों में ट्रैक्टर की बिक्री जमकर हुई, लेकिन जिन राज्यों में इसकी मांग सबस ज्यादा रही उनमें बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश शामिल हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश में हर महीने औसत 12,177 ट्रैक्टर बिके।
नोट: ट्रैक्टर रजिस्ट्रेशन के आंकड़े जून से सितंबर तक के हैं। फाडा ने अक्टूबर और नवंबर में शहरों के आंकड़े जारी नहीं किए।
छोटे राज्यों में थ्री-व्हीलर की मांग बढ़ी
कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन का असर थ्री-व्हीलर की बिक्री पर भी हुआ है। छोटे राज्य जैसे त्रिपुरा और मिजोरम में मई से इस सेगमेंट में कुई गुना तेजी देखने को मिली। जबकि, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, तमिलनाडु़ और महाराष्ट्र में राज्यों में साल-दर-साल के आधार पर बड़ी गिरावट दर्ज हुई। इन राज्यों में सबसे ज्यादा थ्री-व्हीलर बिकते हैं।
टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर सेगमेंट में गिरावट
फरवरी के बाद से टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर सेगमेंट की बिक्री में पिछले 3 महीनों से तेजी देखने को मिली है। हालांकि, बीते साल की तुलना में ये दोनों सेगमेंट काफी पीछे हैं। सितंबर में 9.81% की बढ़त के साथ प्राइवेट व्हीकल के 1,95,665 यूनिट सेल हुए। सितंबर 2019 में 1,78,189 यूनिट सेल हुई थी। ये एकमात्र ऐसा महीना है जब फोर-व्हीलर के प्राइवेट व्हीकल सेगमेंट में बढ़त रही।
फरवरी महीने में टू-व्हीलर और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में बढ़त देखने को मिली थी, लेकिन इसके बाद पूरी साल इन आंकड़ों में गिरावट रही है। हालांकि, नवंबर महीने में प्राइवेट व्हीकल सेगमेंट में साल दर साल के आंकड़ों के आधार पर 4.17 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है।
फेस्टिव सीजन भी राहत नहीं दे पाया
साल भर मंदी से जूझने वाले ऑटो सेगमेंट को फेस्टिव सीजन से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन यहां भी राहत नहीं मिली। देश में 42 दिन तक चलने वाले फेस्टिव सीजन में साल दर साल के आधार पर 4.74 फीसदी की गिरावट रही। हालांकि, इस दौरान प्राइवेट व्हीकल और ट्रैक्टर सेगमेंट में बढ़त रही। टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में बड़ी गिरावट रही।
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