भारत सरकार ने 59 चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा दिया। इनमें टिक टॉक, यूसी ब्राउजर, हेलो और शेयर-इट जैसे ऐप्स शामिल हैं। ऐसे में इन ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे यूजर्स के पास अब क्या विकल्प बचे हैं? उनके डाटा का क्या होगा? क्या चाइनीज ऐप्स के विकल्प के तौर पर दूसरे ऐप्स मौजूद हैं? यदि हैं तो वे कौन से ऐप्स हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो हर किसी के जेहन में चल रहे हैं। इनके जवाब हम एक्सपर्ट्स के जरिए दे रहे हैं।
सरकार ने जिन 59 ऐप्स पर बैन लगाया हैं, उनमें सबसे ज्यादा 18 ऐप्स यूटीलिटी कैटेगरी के हैं। 8 ऐप्स वीडियो शेयरिंग हैं। 6 सोशल मीडिया ऐप्स हैं।
खुद ही यूज बंद कर देना चाहिए
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के लाेकलाइजेशन डायरेक्टर और टेक एक्सपर्ट बालेन्दु शर्मा दाधीच कहते कि यूजर्स के पासबहुत सारे विकल्प हैं। इन सभी 59 ऐप्स के विकल्पगूगल प्ले स्टोरऔर iOS प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हैं। लेकिन सबसे पहले आपको एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर इन्हें खुद ही यूज करना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि अब ये ऐपगैरकानूनी हो चुके हैं।
- चीन के 59 ऐप्स और उनके विकल्प-
सरकार का आदेशकैसे लागू होगा?
- दाधीच के मुताबिकसरकार गूगल को प्ले स्टोर और एपल को अपने iOS प्लेटफार्म्स से इन ऐप्स को हटाने का निर्देश दे देगी। इसके बाद इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड(आईएसपी) को इन ऐप्स का डाटा ऐक्सस न करने देने और टेलीकॉम कंपनियों को इन्हें नेटवर्क नहीं मुहैया कराने का आदेश दे देगी। फिर यह ऐप्स काम करना पूरी तरह बंद कर देंगे।
ऐप्सका ऐक्सेस कैसे बंद होगा ?
- यूजर्स को जो कंपनियां इंटरनेट नेटवर्क देती हैं। जैसे- एयरटेल, जियो, बीएसएनल आदि। ये यूजर्स को दो तरीके से इंटरनेट नेटवर्क देती हैं। एक मोबाइल नेटवर्क के जरिए। दूसरा ब्रॉडबैंड कनेक्शन के जरिए।
- इन कंपनियों के नेटवर्क को यूजर्स को देने का काम इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड(आईएसपी) करते हैं। इन्हीं के जरिए पूरी दुनिया का डाटा आता है। यानी दुनिया के किसी भी देश से जो भी डाटा भारत आएगा, वो आईएसपी के जरिए ही आएगा। इसी तरह जो डाटा भारत से विदेश जाएगा, वो भी आईएसपी के जरिए ही जाएगा।
- सरकार के निर्देश के बाद किसी भी वेबसाइट या ऐप को बैन करने के लिए इंटरनेट कंपनियों को बस एक फिल्टर लगाना होता है। उसके बाद यूजर्स इस पर मौजूद कोई भी डाटा एक्सेस नहीं कर पाते हैं।
लोगों के पसर्नल डाटा का क्या होगा?
- चाइनीज ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे यूजर्स को अपने जरूरी डाटा और डॉक्यूमेंट्स काे जल्द ही अपने मोबाइल परडाउनलोड कर लेना चाहिए। क्योंकि अब एक से दो दिन में यह पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। और कोई चांस नहीं है।
- सभी ऐपकंपनियों के सर्वर चीन में हैं।यदि तकनीकी तौर पर येकंपनियां लोगों के डाटा डिलीट नहीं करती हैं, तो उनका डाटा डिलीट नहीं होगा। लेकिन इसके बावजूद यूजर्स अपने डाटा एक्सेस नहीं कर पाएंगे। यानी वे अपने वीडियो, फोटो, फाइल्स आदि को आगे देख नहीं पाएंगे।
क्या ऐपभी डिलीट हो जाएंगे?
- ऐपनहीं डिलीट होंगे, उन्हें आपको खुद डिलीट करना होगा। बस आप सर्वर तक नहीं पहुंच पाएंगे। यानी उन ऐपपर मौजूद आप अपने फोटो, वीडियो और अन्य फाइलें नहीं देख पाएंगे।
क्या जिनके मोबाइल में पहले से ऐपहैं, वे इन्हें यूज कर पाएंगे?
- बिल्कुल नहीं। ये पूरी तरह से बैन हो गए हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपने पहले डाउनलोड किया है या अब डाउनलोड किया है। अब कोई भी नागरिक भारत में इन ऐप्स को इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
चीनी ऐप्स किस तरह की प्राइवेसी को तोड़ रहे थे?
- चीन ऐप्स असुरक्षित थे। क्योंकि जब किसी ऐप को इंस्टॉल करते हैं, तो आप यह मंजूरी दे चुके होते हैं कि वो आपकी फोटो को, वीडियो को, संदेशों को, फाइलों को, डाटा को ऐक्सेस कर सकता है। इसके बाद वह आपके डाटा का क्या करता है, यह उस कंपनी पर निर्भर करता है।
- कुछ संस्थान बाकयदा अनुमति लेते हैं कि वे आपके डाटा का इस्तेमाल कर सकते हैं, कुछ संस्थान इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं लेते हैं। लेकिन कई कंपनियां बिना अनुमति के भी डाटा चोरी करती हैं।
- फिलहाल, भारत-चीन के बीच जो परिस्थिति है, उसमें चीनी कंपनियां हमारे डाटा का कुछ भी कर सकती हैं। चीन का पुराना रिकॉर्ड भी इस मामले में विश्वसनीय नहीं है। साइबर हमलों में भी वो माहिर हैं। इसलिए सरकार ने सोच समझकर फैसला किया है। क्योंकि इन ऐप्स का इस्तेमाल सरकार और सेना से जुड़े लोग भी करते हैं।
प्रोत्साहन मिले तो भारत में भी बन सकते हैं ऐसे ऐप
दाधीच कहते हैं कि चीन वैसे भी कोई सॉफ्टवेयर पॉवर नहीं है, वह बस हॉर्डवेयर का पॉवर है। अपने देश में भी ऐसे नए ऐप्स बन सकते हैं। बस थोड़ा आर्थिक प्रोत्साहन की जरूरत है। अभी हमारे यहां स्टार्टअप्स को बहुत संघर्ष करना पड़ता है। हमारे बहुत से सॉफ्टवेयर डेवलपर विदेशी कंपनियों के लिए काम करते हैं।
भारत में पहले से ही विदेशी ऐप मौजूद, इसलिए भी नहीं बनते
इसके अलावा हमारे यहां पहले से ही बहुत बड़ी संख्या मेंविदेशी ऐप्स मौजूद हैं, जो पाॅपुलर भीहैं, इसलिए भी देशी स्टार्टअप्स ऐसे ऐप्स नहीं बनाते हैं। जबकि चीन में अधिकतर विदेशी ऐप्स बैन हैं। इसके चलते वहां लोकल ऐप्स ज्यादा बनते हैं। वहां सरकार प्रोत्साहन भी ज्यादा देती है। लेकिन हमारे ऐप्स भी दुनिया में पाॅपुलर हो सकते हैं, बस थोड़ा नयापन लाना होगा। हमारे देश के कई ऐप्स बहुत पॉपुलर भी हैं, जैसे पेटीएम, शेयर चैट, फ्लिपकार्ट आदि।
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