आज कल कारों के डैशबोर्ड पर ढेर सारी वॉर्निंग लाइट्स देखने को मिल जाती है। कार की सेहत से इनका गहरा नाता होता है क्योंकि ये लाइट्स हमें गाड़ी की सेहत के बारे में संकेत देती है।
कई लोगों को इन लाइट्स के बारे में जानकारी नहीं होती और वो मामले की गंभीरता को न समझते हुए उस अनदेखा कर ड्राइव पर निकल जाते हैं और यह लापरवाही पड़ जाती है भारी।
आमतौर पर डैशबोर्ड पर तीन तरह की लाइट्स देखने को मिल जाती है...
- ग्रीन: कार में जब भी कोई सेंसर एक्टिवेट होता है, जो ग्रीन लाइट जलती है। इस कंडीशन में गाड़ी चलाई जा सकती है।
- ऑरेंज: इस कलर की कोई भी लाइट जल रही हो (टायर प्रेशर को छोड़कर), तो भी गाड़ी चलाई जा सकती है।
- रेड: रेड लाइट में भी कुछ लाइट्स आने पर गाड़ी चलाई जा सकती है, जैसे एयरबैग और ब्रेक्स की लाइट। लेकिन कुछ लाइट्स आने पर यदि गाड़ी चलाई जाए, तो इंजन को नुकसान पहुंच सकता है।
आज हम आपको ऐसी तीन लाइट्स के बारे में बता रहे हैं, जिनके जलने पर आपको गाड़ी बिल्कुल भी नहीं चलानी है, क्योंकि यह इंजन सीज कर सकती है। चलिए शुरू करते हैं...
1. इंजन-ऑयल प्रेशर
- यह लाइट दो तरह की होती है, येलो और रेड। अगर येलो लाइट ऑन हो तो समझ जाइए कि इंजन में ऑयल का लेवल कम है। इस स्थिति में गाड़ी चलाई जा सकती है, यह तब जलती है जब ऑयल मिनिमम लेवल पर आ जाता है। इस कंडीशन में जल्द से जल्द ऑयल टॉप-अप करवा लें।
- रेड लाइट लगातार जले, तो इस कंडीशन में गाड़ी चलाना खतरनाक हो सकता है। इसलिए जब भी रेड लाइट आपके डैशबोर्ड पर दिखाई दे तो तुरंत गाड़ी बंद करे दें। क्योंकि अगर गाड़ी 15 मिनट तक भी चलती रही तो इंजन सीज हो सकता है। छोटी सी लापरवाही आपका बड़ा नुकसान कर सकती है।
- इस कंडीशन में ऑयल लेवल चेक करें, यदि पर्याप्त ऑयल होने पर भी रेड लाइट लगातार जल रही है, तो गाड़ी बंद करके टोइंग व्हीकल की मदद से गाड़ी वर्कशॉप तक पहुंचाए।
- अगर लाइट ब्लिंक कर रही है, और RPM बढ़ाने पर बंद हो जा रही है, तो इस कंडीशन में गाड़ी चला कर वर्कशॉप/घर तक लेकर जा सकते हैं लेकिन लगातार जले तो गाड़ी बंद कर देना ही समझदारी है।
2. कूलेंट टेंपरेचर
- इसमें तीन तरह की लाइट होती है-ग्रीन,येलो और रेड। ग्रीन यानी कूलिंग सिस्टम ओके है और इंजन कूल है, इसमें कंडीशन में भी गाड़ी चला सकते हैं। येलो यानी कूलेंट का लेवल कम है, इसे जल्द-से-जल्द टॉपअप कराने की जरूरत है, हालांकि इसे कंडीशन में भी गाड़ी चलाई जा सकती है।
- लेकिन यदि लाइट रेड जले, तो इस कंडीशन में गाड़ी चलाना भारी पड़ सकता है। रेड लाइट जलने पर यदि गाड़ी चला रहे, तो 15 मिनट के अंदर इंजन सीज हो सकता है या हेड गैस किट फट सकती है।
- इस कंडीशन में गाड़ी खड़ी कर आधे घंटे इंतजार करने के बाद सावधानी से कूलेंट का ढक्कन खोलें और कूलेंट टॉप-अप करें, उसके नीचे चेक करें कि कही लीकेज तो नहीं है। अगर है तो तुरंत मैकेनिक से सलाह लें। इसलिए कूलेंट टेंपरेचर की रेड लाइट लगातार जले, तो बिल्कुल भी हल्के में न लें।
नोट- ऊपर बताई गईं इन दो लाइट्स (इंजन-ऑयल प्रेशर और कूलेंट टेंपरेचर) के जलने पर यदि लापरवाही की जाए तो निश्चित रूप से गाड़ी के इंजन को नुकसान पहुंच सकता है।
3. बैटरी
- यह बैटरी-चार्जर अलर्ट लाइट होती है। अगर यह लाइट जले तो इंजन तो सीज नहीं होगा लेकिन आपको किसी भी जगह हैंग (अटक) जरूर हो सकते हैं।
- चलती गाड़ी में यदि यह लाइट दिखे, तो गाड़ी बंद न करें, चलने दें और ऐसे किसी स्थिर जगह जैसे ढाबा या वर्कशॉप पर पहुंचकर ही बंद करें, जहां सुरक्षित तरीके से रात भर गाड़ी खड़ी रह सके।
- इस लाइट के आने का मतलब है कि बैटरी चार्ज नहीं हो रही है और कार के अंदर लगे लगभग सभी सर्किट और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट में बैटरी से ही पावर पहुंचाती है।
- रेड लाइट आने का मतलब है कि बैटरी चार्ज नहीं हो रही है और जितनी पावर बैटरी में बची है उससे ज्यादा से ज्यादा 20 किमी. तक ही चला जा सकता है और इसके बाद आपका इंजन बंद हो जाएगा, इसलिए जल्द से जल्द किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की कोशिश करें। हो सके कि घर से निकलने से पहले ही चेक कर लें और यदि ये लाइट जलती दिखाई दे तो गाड़ी न चलाएं।
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