दिग्गज टेक कंपनी गूगल जल्द ही प्ले-स्टोर की इन-ऐप परचेज से जुड़ी गाइडलाइन में बदलाव करने वाली है, जिसका सीधा असर डवलपर्स पर होगा। दरअसल, अब डवलपर्स को इस पर टैक्स देना होगा। इसके साथ ही प्ले स्टोर के जरिए डिजिटल सामग्री बेचने वाले ऐप को गूगल प्ले बिलिंग प्रणाली का इस्तेमाल करना होगा।
सर्च इंजन गूगल ने मंगलवार को कहा कि वह चुनिंदा ऐप के लिए बिलिंग सिस्टम लागू करेगी। शुल्क के रूप में इन-ऐप खरीदारी का एक प्रतिशत भुगतान करना होगा। यानी कि अब डेवलपर्स को ऐप की परचेज पर कंपनी को 30 प्रतिशत कमीशन देनी होगी।
नए बिलिंग सिस्टम को अपनाना होगा
गूगल बिलिंग प्रणाली ऐप के जरिए किए गए भुगतान पर 30 प्रतिशत शुल्क लेता है। हालांकि, यदि डेवलपर अपनी वेबसाइट के जरिए भुगतान लेता है, तो उसे प्ले बिलिंग की जरूरत नहीं होगी। कोचिकर ने कहा कि लगभग 97 प्रतिशत डेवलपर्स इस नीति को समझते हैं और इसका पालन करते हैं, हालांकि उन्होंने उन लोगों के नाम नहीं लिए जिन्होंने इसका पालन नहीं किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो डेवलपर्स नई दिशानिर्देश पालन नहीं करेंगे, तो उन्हें थोड़ा समय दिया जाएगा।
इन-ऐप परचेज के जरिए अरबों डॉलर्स में कमाती है कंपनियां
बता दें कि एपल और गूगल दोनों ही कंपनियां इन-ऐप परचेज के जरिए अरबों डॉलर्स कमाती हैं। लेकिन एपल की नीति गूगल की तुलना में ज्यादा सख्त है। एपल डवलपर्स को बाहरी वेबसाइट के जरिए मोबाइल ऐप की सब्सक्रिप्शन बेचने की अनुमति नहीं देता है।
पेटीएम को ब्लॉक करके विवादों में घिरी
गूगल के निदेशक (कारोबार विकास, गेम और एप्लिकेशंस) पूर्णिमा कोचिकर ने वर्चुअल कांफ्रेंस में कहा कि आज हम प्ले बिलिंग नीति को स्पष्ट कर रहे हैं, जो लंबे समय से चली आ रही है और हाल की घटनाओं से हमने महसूस किया है कि नीतियों को स्पष्ट करना और उन्हें समान रूप से लागू करना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक डेवलपर जो गूगल प्ले के जरिए अपनी डिजिटल सामग्री को बेचता है, उन्हें प्ले बिलिंग का इस्तेमाल करना होगा।' बता दें कि गूगल हाल ही में कुछ घंटों के लिए पेटीएम को ब्लॉक करके विवादों में आ गई थी।
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