भारी बारिश से कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। डैम फुल हो गए हैं तो नदी नाले उफान पर है। पानी की निकासी की सही व्यवस्था न होने के कारण कई इलाकों में पानी भर गया है, जिससे लोगों के वाहन डूब गए हैं। अगर आप भी इन्हीं हालात से गुजर रहे हैं या आपकी गाड़ी में भी पानी भर गया है तो आपको सबसे पहले क्या करना और क्या नहीं करना है, यह जानने के लिए हमने ऑटो एक्सपर्ट और कुछ इंश्योरेंस एजेंट्स से बात की....
अगर गाड़ी का इंजन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस है तो....
- इंश्योरेंस एजेंट ने बताया कि अगर आपकी गाड़ी का इंजन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस हैं और गाड़ी डूब गई है, तो टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है। बस गाड़ी में चाबी न लगाएं न ही उसे स्टार्ट करने की कोशिश करें।
- अगर आपने गलती से भी गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की तो आपके सामने एक दूसरी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। क्योंकि अगर आपने इग्निशन ऑन किया तो कचड़ा इंजन के अंदर जा सकता है और इस स्थिति में आपको क्लेम नहीं मिलेगा। ऐसे स्थिति में जब सर्वेयर इंजन का मुआयना करेगा और इंजन में उसे किसी प्रकार का कचड़ा दिखा या ये पता लगा कि गाड़ी का इग्निशन ऑन किया गया था, तो वो क्लेम रिजेक्ट कर देगा। क्योंकि इग्निशन ऑन करने पर ही इंजन के अंदर कचड़ा जाता है। इसलिए बेहतर होगा किया गाड़ी किसी रिकवरी व्हीकल या टोइंग व्हीकल से सीधे सर्विस सेंटर लें जाएं या सर्विस सेंटर वालों से संपर्क कर उन्हें ले जाने के लिए कहें।
अगर इंश्योरेंस न हो तो...
- एक्सपर्ट ने बताया कि अगर बात करें गाड़ी पूरी तरह से डूब गई है, आपकी गाड़ी का फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस नहीं था सिर्फ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस था। तो इस कंडीशन में भी गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश नहीं करनी है, वरना ये कोशिश आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है। क्योंकि डूब जाने के बाद सबसे ज्यादा असर गाड़ी के इंजन और इलेक्ट्रिकल्स पर पड़ता है। ऐसे में कार स्टार्ट करने की कोशिश काम और खराब कर सकती है।
- मुमकिन हो तो सबसे पहले गाड़ी की बैटरी अलग कर दें। क्योंकि बंद गाड़ी में इंजन को नुकसान पहुंचने की गुंजाइश कम हो जाती है। बैटरी हटाने से इलेक्ट्रिकल्स सिस्टम काम नहीं करेंगे और शॉर्ट सर्किट होने की चांस भी कम हो जाएगा।
- चूंकि गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं है तो सारा खर्चा आपको ही उठाना है, ऐसे में गाड़ी को टोइंग व्हीकल की मदद से अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर ले जाएं, लेकिन एक ही सर्विस सेंटर पर जाकर डिसीजन न लें, कम से कम दो सर्विस सेंटर पर जाकर ओपिनियन लें या किसी भरोसमंद मैकेनिक से भी दिखवाएं और तब कोई डिजीसन लें। उदाहरण के तौर पर कोई बीमार पड़ता है, तो डॉक्टर को दिखाता है और डाउट लगने पर दूसरे डॉक्टर से भी सलाह लेता है। यही बात गाड़ियों के मामले में भी लागू होती है। हो सकता है कि एक एजेंसी बहुत ज्यादा डैमेज होने की बात कहकर आप को 70 हजार का खर्च बता दे, वहीं दूसरा 40-50 हजार में काम कर दें। इस स्थिति में आपका वाहन टो कराने का खर्चा व्यर्थ नहीं जाएगा।
- एक्सपर्ट ने बताया कि इंजन में एक प्रकार की सीलिंग होती है, जिससे पानी इंजन के अंदर नहीं जाता या चले भी जाता है तो बेहद कम, सर्विसिंग के दौरान इसे बाहर निकाला जा सकता है और ज्यादा नुकसान नहीं होगा। लेकिन इग्निशन ऑन करने पर एयर फिल्टर या सायलेंसर के जरिए इंजन में पानी चले जाता है, जिससे पिस्टन में गैप आ सकता है, यानी नुकसान बड़ा हो सकता है।
नोट- एक्सपर्ट ने सलाह दी कि यदि आप ऐसे इलाके में रह रहे हैं, जहां हर बारिश में बाढ़ की स्थिति बना जाती है, तो जीरो डेप्थ इंश्योरेंस के साथ वॉटर डैमेज या इंजन प्रोटेक्शन और कंज्यूमेबल प्रोटेक्शन जरूर लें और टेंशन फ्री रहें।
नोट- सभी पॉइंट्स ऑटो एक्सपर्ट नीरज उपाध्याय और इंश्योरेंस एजेंट सुंदर चंद्र से बातचीत के आधार पर
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