इस साल के अंत तक भारत में करीबन 70 प्रतिशत यूजर्स अपनी लोकल भाषा में इंटरनेट का एक्सेस कर सकते हैं। यह देश में डिजिटल कंटेंट खपत के आधार पर होगा। यह एक्सेस लोकल और क्षेत्रीय भाषाओं में किया जा सकता है। यह जानकारी वैट कंसल्ट की एक रिपोर्ट में दी गई है।
इंटरनेट के उपयोग करने की आदत में काफी तेजी से बदलाव आया है
वैट कंसल्ट ने डिजिटल, डाइवर्स एंड मल्टीलिंगुअल इंडिया नामक एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों से इंटरनेट के उपयोग करने की आदत में काफी तेजी से बदलाव आया है। ज्यादातर यूजर्स अपनी भाषा में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। ज्यादातर भारतीय कम से कम दो भाषाओं की जानकारी रखते हैं।यह देखा गया है कि वे अपनी लोकल भाषा में सूचनाओं को पाने में काफी कंफर्टेबल महसूस करते हैं।
हाल में इंटरनेट एप्लीकेशंस भी लोकल भाषाओं में लांच हुए हैं
इसी तरह डिजिटल सोल्यूशंस की वेराइटी के साथ मोबाइल फोन और इंटरनेट एप्लीकेशंस भी हाल में लोकल भाषाओं में लांच हुए हैं। इसका मकसद यह है कि इस तरह के लोकल भाषा वाले ग्राहकों की मांग तक पहुंच बनाई जाए। रिपोर्ट के मुताबिक देश में सभी कैटेगरी जैसे म्युजिक, वीडियो और शॉर्ट एंड लांग फॉर्मेट कंटेंट में लोकल भाषा में ज्यादा खपत होती है। यूजर्स को ज्यादा समझने के लिए रिपोर्ट ने इसे कई कैटेगरी जैसे फंक्शनल यूजर्स, कैजुअल यूजर्स, छात्र व अन्य में बांटा है।
गैजेट्स, फैशन-स्पोर्टस सबसे ज्यादा इंग्लिश भाषा में देखे जाते हैं
रिपोर्ट के अलावा ज्यादातर भारतीय यूजर्स फूड, एंटरटेनमेंट और एजुकेशन जैसे कंटेंट को अपनी लोकल भाषा में देखना चाहते हैं। टेक्नोलॉजी में वीडियो कंटेंट, गैजेट्स, फैशन और स्पोर्टस सबसे ज्यादा पसंदीदा हैं जो इंग्लिश भाषा में देखे जाते हैं। 57 प्रतिशत जवाब देनेवालों ने कहा कि वे एक दिन में वीडियो को कई बार देखते हैं। ऑनलाइन वीडियो कंटेंट में यूट्यूब सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसके बाद हॉट स्टार और जियो टीवी है।
ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट में भाषा का ऑप्शन काफी कम है
रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक कंपनियों जैसे स्पोटिफाई, यूट्यूब म्युजिक और अन्य में काफी ट्रांजीशन देखा गया है। यूजर्स म्युजिक को सबसे ज्यादा अपनी लोकल भाषा में सुनना पसंद करते हैं। यह इमोशनल कंटेंट है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 40 प्रतिशत यूजर्स मीम्स, वीडियो, इमेजेस आदि को लोकल भाषा में पसंद करते हैं। एक चौथाई यूजर्स यह मानते हैं कि लोकल भाषा में जो सर्च से कंटेंट मिलता है वह गलत होता है। 43 प्रतिशत हाउस वाइफ मानती हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट में भाषा का ऑप्शन काफी कम है।
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