कुछ दिन पहले ही टेक कंपनी एपल और गूगल ने साथ मिलकर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप बनाने का ऐलान किया था। इसके जरिए कोरोना संक्रमितों की पहचान और उनके संपर्क में आने की कोशिश है। दोनों कंपनियों ने बताया था कि इस ब्लूटूथ बेस्ड कोरोना ट्रेसिंग ऐप को इनेबल करने के लिए एंड्ऱॉयड और आईओएस दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव करना होगा। लेकिन फ्रांस ने प्राइवेसी सुरक्षा कारणों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। फ्रांस का कहना है कि एपल-गूगल द्वारा बनाई जा रही है ब्लूटूथ बेस्ड कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप प्राइवेसी प्रोटेक्शन को कमजोर करेगी। दोनों कंपनियों ने कहा था कि ऐप स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव किए बिना काम नहीं करेगी। इसके बाद से ही फ्रांस सरकार लगातार एपल पर दबाव बना रही है कि आईफोन के लिए बनाई जा रही ऐप के लिए प्राइवेसी में किसी प्रकार का बदलाव न करें।
दोनों कंपनियों के साझेदारी करने के दो हफ्ते बाद फ्रांस सरकार ने यह मुद्दा उठाया। कंपनियों मिलकर कोरोना महामारी को रोकने के लिए डिजिटल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप पर काम कर रही है, जो यूजर के कॉन्टैक्ट को ट्रैक करेगी। इसमें दोनों कंपनियों के स्मार्टफोन मिलकर एक दूसरे के साथ काम करेंगे लेकिन इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि ऐप कौन सा डेटा स्वास्थ्य संगठनों से साथ साझा करेगी और कौन सा नहीं। डेटा शेयरिंग की इन्हीं पाबंदियों का मुद्दा फ्रांसीसी सरकार ने उठाया है क्योंकि इस लिमिट में फ्रांस छूट चाहता है।
फ्रांस के डिजिटल मिनिस्टर कैडरिक-ओ ने कहा कि हम एपल से इन्हीं तकनीकी अड़चन को हटाने के लिए कह रहे हैं ताकि हमें एक संप्रभु यूरोपीय स्वास्थ्य समाधान विकसित करने की अनुमति मिल सके जो हमारी स्वास्थ्य प्रणाली से जुड़ा हो। उन्होंने आगे कहा कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप हमारी प्राइवेसी गाइडलाइन के अनुरूप नहीं है, हालांकि इसे अभी भी सुधारा जा सकता है। इसमें काफी सख्त लिमिटेशन है खासतौर से जब ये आईफोन में काम करती है। जैसे यह उस समय काम नहीं करेगी जब फोन में कोई अन्य ऐप या गेम चल रहा हो या फोन की स्क्रीन लॉक हो।
एपल का ऑपरेटिंग सिस्टम कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप जो ब्लूटूथ की मदद से काम करेगा उसे डेटा डिवाइस के बाहर जाने से रोकेगा। इस पाबंदी को यूजर की प्राइवेसी ध्यान में रखकर लगाया गया है और यह पाबंदी फ्रांस सरकार द्वारा बनाई जा रही है ऐप के आड़े आ रही है। सरकार 11 मई तक ऐप लॉन्च करना चाहती है। यह ऐप यह पता लगाने का काम करेगा कि संक्रमित व्यक्ति किसके संपर्क में आया है ताकि उचित कदम उठाकर जल्द से जल्द शहर का लॉकडाउन खत्म किया जा सके।
कैसे काम करेगा एपल-गूगल का कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप
कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप दो या उससे ज्यादा लोगों के आपस में मिलने पर काम करता है, जो काफी समय तक एक दूसरे के साथ हों। यदि एक यूजर का संक्रमिक होने के चलते इलाज किया जा रहा हो, तो अन्य यूजर तक इसका अलर्ट पहुंच जाएगा, जिन्हें वे संक्रमित कर सकता हो। साथ ही सेल्फ आईसोलेट होने के लिए भी सलाह भी दे सकता है।
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