ग्रेटर नोएडा. लग्जरी इंटीरियर... चमचमाती कारें... जिन्हें देखने के लिए टूट रही हजारों की भीड़। ये नजारा है ग्रेटर नोएडा में चल रहे ऑटो एक्सपो के मोटर शो का। यहां पर अलग-अलग कंपनियों के व्हीकल अलग-अलग पवेलियन में हैं, लेकिन पवेलियन 15 का नजारा दूसरों से जरा हटके है। ये मर्सिडीज का पवेलियन है, लेकिन यहां की खास बात सफाई करने वाले कर्मचारी है। दरअसल, ये आम कर्मचारी नहीं है, बल्कि इन्हें कंपनी अपनी साथ जर्मनी से लेकर आई है।
कार के साथ फ्लोर पर भी करते हैं झाड़ू-पोछा
मर्सिडीज अपने साथ चार लोगों का क्लीनिंग स्टाफ लेकर आई है। जिसमें तीन पुरुष और एक महिला कर्मचारी शामिल है। ये सुबह करीब 9:30 बजे तक अपने पवेलियन आ जाते हैं, जिसके बाद दिनभर मर्सिडीज की कारों के चमकाने के साथ, फ्लोर पर झाड़ू-पोछा करते दिखाई देते हैं। पुरुष कर्मचारियों में से एक का नाम थंप है। थंप किसी मॉडल की तरह नजर आता है। उसकी लंबाई करीब 6.5 फीट है। वो एक कान में ईयरफोन लगाकर झाड़ू-पोछे के काम को पूरा एन्जॉय करता है।
हमने थंप की सैलेरी का पता लगाया
मर्सिडीज के पवेलियन के पीछे की तरफ क्लीनिंग स्टाफ का एक केबिन बना है। हमें मौका मिला तब धीरे से वहां पहुंच गए और थंप से हाय-हेलो की। बातों-बातों में उसकी सैलेरी का भी जिक्र कर दिया। तब थंप ने सोच-समझकर अपनी सैलरी 150 यूरो यानी करीब 12 हजार भारतीय रुपए बताई। अब सवाल इस बात का था कि क्या कोई कंपनी अपने साथ सफाई कर्मचारी भी लेकर आ सकती है। इसे जानने के लिए हमने सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (SIAM) के देवाशीष मजूमदार, सीनियर डायरेक्ट्र ट्रेड फेयर से बात की।
देवाशीष से हमारा सवाल था कि क्या देश से बाहर की कंपनी अपनी साथ सफाई कर्मचारी लेकर आ सकती है। क्योंकि इससे हमारे देश के किसी व्यक्ति को मिलने वाला रोजगार छिन रहा है? इस बारे में उन्होंने कहा, "मर्सिडीज के साथ चलने वाला क्लीनिंग स्टाफ कई काम में एक्सपर्ट होता है। उन्हें गाड़ी की सफाई के साथ कई दूसरी चीजों की भी जानकारी होती है। क्योंकि कंपनी उन्हें पैसा देती है तो वो उनसे सफाई से जुड़े दूसरे काम भी करवा लेती है।"
इसी सवाल के बारे में सुगातो सेन (डिप्टी डायरेक्टर जनरल, सियाम) ने कहा, "इसके लिए ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन जब देश से बाहर की कंपनी अपने कर्मचारी को साथ लेकर आती है, तो उसे सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है। मर्सिडीज हमेशा अपना स्टाफ साथ लेकर चलती है। इसके लिए वो सारी परमिशन भी लेती है। उनका स्टाफ सिर्फ क्लीनिंग ही नहीं करता, बल्कि गाड़ी से जुड़ी कई चीजों के बारे में भी जानता है। वैसे, भी जब वे हमारे देश में आते हैं तब सभी तरह के खर्च पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी देना पड़ता है।"
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