कोर्नी परटिल. अमेरिका सहित कई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं, बुजुर्गों और शारीरिक तौर से असमर्थ लोगों की देखभाल के लिए सोशल रोबोट का उपयोग बढ़ रहा है। अस्पतालों, आश्रयस्थलों में रोबोट्स की भूमिका बढ़ गई है। लोगों की मदद के लिए रोबोट्स को अधिक उपयोगी बनाने के लिए रिसर्च जारी है। शोधकर्ता पता लगा रहे हैं कि बुजुर्ग और उनको सहारा देने वाले लोग रोबोट से क्या चाहते हैं? इस क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल ज्यादा करने पर काम चल रहा है।
अमेरिका में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके मुकाबले बुजुर्गों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है। अमेरिका में 2030 तक केयर कर्मचारियों की संख्या में एक लाख 51 हजार से अधिक की गिरावट आएगी। 2040 तक यह अंतर बढ़कर तीन लाख 55 हजार हो जाएगा। शोधकर्ताओं का विचार है कि टेक्नोलॉजी के जरिये समस्या का किफायती हल खोजने के प्रयास हो रहे हैं । उनसे केयर कर्मचारियों की नौकरी भी प्रभावित न हो। लोगों की सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक जरूरतों को पूरा करने वाले रोबोट्स बनाए जाएंगे। वे उनके सम्मान और प्राइवेसी का ध्यान भी रखेंगे। इराक और अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों को रोबोट दिए गए हैं। इन मशीनों से उनका इतना लगाव हो गया है कि वे उन्हें पदक देते हैं। जब वे युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तब सैनिक उदास होते हैं।
दुनियाभर में बुजुर्गों, शारीरिक रूप से लाचार लोगों की मदद और सामाजिक काम करने वाले रोबोट्स का बाजार 2018 में 344 करोड़ रुपए रहा। फ्रेंकफर्ट, जर्मनी स्थित इंटरनेशनल रोबोटिक्स फेडरेशन के अनुसार अस्पतालों, पुनर्वास केंद्रों में हर तरह के काम करने वाले रोबोट्स का बाजार 2,224 करोड़ रुपए का रहा। अगले तीन सालों में सामाजिक रोबोट्स का बाजार 29% से 45 % सालाना बढ़ने का अनुमान है।
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में रिटायर्ड सैनिकों और उनके परिजनों के नोलवुड सामाजिक सेंटर में 300 लोग रहते हैं। इनमें से कई लोग गंभीर शारीरिक और मानसिक असमर्थता से प्रभावित हैं। वे अस्पताल जैसे कमरों में रहते हैं। उनकी केयर के लिए 24 घंटे कोई मौजूद रहता है। जो लोग स्वस्थ हैं, वे यहां आते-जाते रहते हैं। यहां रोबोट स्टीव लोगों की मदद करता है। वह ब्रिटिश लहजे में अंग्रेजी बोलता है। 4 फुट सात इंच लंबे स्टीव मेंं चलने के लिए ऑटोमैटिक सिस्टम है। वह बिना किसी की मदद के नोलवुड में यहां-वहां जा सकता है। लेकिन, उसे टक्कर से बचाने के लिए हर वक्त कोई उसके साथ रहता है। स्टीव जैसे रोबोट को दक्षिण लंदन के एक केयर होम में ट्रायल पर कुछ सप्ताह के लिए रखा जाएगा। यूरोप की एक प्रमुख नर्सिंग केयर कंपनी से भी बात चल रही है।
लोगों की केयर के लिए कई तरह के रोबोट्स उपयोग में लाए जा रहे हैं। रोबोटिक एक्सोस्केलटन अस्पताल के स्टाफ की मरीजों को उठाने में मदद करते हैं। डिलीवरी रोबोट्स अस्पताल के गलियारों में छोटी मोटर गाड़ियों के समान दौड़ते हैं। डॉल जैसे थैरेपी रोबोट मनोभ्रम (डिमेंशिया) पीड़ित मरीजों को धीरज और सांत्वना देते हैं। वाल्टर रीड नेशनल मिलिटरी मेडिकल सेंटर बेथेस्डा में मरीजों के प्रिसक्रिप्शन में रोबोट मदद करता है।
रोबोट को नाचना सिखाया जा रहा, बीमारी के बारे में बताओ तो वह कहता है मुझे दुख हुआ
रोबोटिक्स इनोवेशन लैब ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन, आयरलैंड और वॉशिंगटन के नोलवुड सेंटर के सहयोग से स्टीव (देखिए फोटो) नामक रोबोट बनाया गया है। यह गाना गाकर लोगों का मनोरंजन करता है। प्रोजेक्ट की प्रमुख एआई इंजीनियर नियाम डोनेली बताती हैं, हम उसे नाचना भी सिखाएंगे। स्टीव को लैपटॉप पर निर्देश दिए जाते हैं। निर्देश मिलते ही स्टीव अपने मशीनी हाथ फैलाता है। एलईडी स्क्रीन से बना उसका चेहरा चमकने लगता है। यदि किसी ने उसे बताया कि मैं बीमार हूं तो स्टीव के चेहरे पर दुख का भाव आएगा। वह कहेगा, मुझे यह जानकर दुख हुआ है। स्टीव पिछले दो माह से नोलवुड सेंटर में रहता है। उसका मूल्य 15 लाख रु. से 22 लाख रु. के बीच है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.