तनु एस, बेंगलुरू. नॉ इस-कैंसलिंग हेडफोन्स हर किसी के लिए सही चुनाव नहीं हैं। कुछ लोगों के लिए हेडफोन्स पहनना कष्टदायक होता है। कुछ को यह महसूस होता है कि जिन आवाजों से बचने के लिए हेडफोन्स खरीदे थे, वो आवाजें इन्हें पहनने के बाद भी स्पष्ट सुनाई दे रही हैं। अगर आप भी नॉइस कैंसलिंग हेडफोन्स में इंवेस्ट करने वाले हैं तो पहले इनसे जुड़ी कुछ बातें जान लेना चाहिए।
शांति भंग : कुछ लोग इन्हें ज्यादा देर नहीं पहना पा रहे हैं, वजह है कान के पर्दे पर दबाव महसूस होना। इसे 'ईअरड्रम सक' कहते हैं। यह ऐसा है जैसा हाई-स्पीड एलिवेटर में अक्सर लोग महसूस करते हैं।
टेक्नोलॉजी नाकाफी : अगर कुछ लोगों के कान के पर्दे में दर्द हो रहा है तो इसे टेक्नोलॉजी की हार ही माना जाएगा। यह दर्द जब बढ़ता है तो सिर दर्द में भी बदल जाता है। कुछ हेडफोन्स में आप नाइस कैंसलिंग बंद कर सकते हैं कि समस्या दूर हो। इन हेडफोन्स के एअर प्रेशर के अंतर को मापने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। इंजीनियर्स का मानना है कि कई लोग जब नॉइस कैंसिलेशन को एक्टिव करते हैं तो उनके दिमाग में नाटकीय और अस्वाभाविक बदलाव होने लगते हैं।
हो रहे हैं उपाय : समस्या का समाधान शुरू हो गया है। कंपनियों ने प्रोडक्ट्स में नॉइस कैंसलिंग को एडजस्ट करने की सुविधा देना शुरू की है। 0 से 10 तक के स्केल पर यूजर अपनी सुविधानुसार सेट कर सकते हैं। 'बोस' के मॉडल सबसे आगे नज़र आते हैं।
खरीदते वक्त ये करें
- कानों को लेकर संवेदनशील हैं तो बिना ट्रायल हेडफोन्स नहीं खरीदें।
- एडजस्टेबल एक्टिव नॉइस कंट्रोल का फीचर जरूर लें।
- जरूरी नहीं ट्रायल में ही सारी दिक्कतें सामने आएं, इसलिए रिटर्न पॉलिसी जरूर पढ़ें।
- ओवर-ईअर की जगह ईअरबड्स के विकल्प पर जाएं और ज्यादा अंदर तक लगाकर ट्रायल लें।
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