लंदन. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) अंतरिक्ष में खराब पड़े सैटेलाइट के मलबे को उठाने के लिए 2025 से अभियान शुरू करने जा रही है। यह दुनिया का पहला ‘स्पेस जंक कलेक्टर’ होगा, जिसे क्लियर स्पेस-1 नाम दिया है। यह प्रोजेक्ट स्विट्जरलैंड के स्टार्टअप द्वारा पूरा किया जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष में इकट्ठा मलबा भविष्य के मिशन के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
इसी को देखते हुए अंतरिक्ष को साफ करने की जरूरत है। मिशन पर करीब 943 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ब्रिटेन ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 100 करोड़ रुपए की मदद की है। अभी अंतरिक्ष में करीब दो हजार सैटेलाइट काम कर रहे हैं, जबकि तीन हजार से ज्यादा सैटेलाइट फेल हो चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में पृथ्वी के आसपास पिछले 60 साल में हजारों टन मलबा जमा हुआ है। इसमें पुराने रॉकेट के हिस्सों के साथ, 3,500 सैटेलाइट और 7.5 लाख छोटे-छोटे टुकड़े हैं। येे टुकड़े 20 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रहे हैं।
ईएसए के महानिदेशक जैन वॉर्नर का कहना है कि अंतरिक्ष को स्वच्छ रखने के लिए नए नियम की जरूरत है। जो भी देश सैटेलाइट लॉन्च करेगा उसको इस बात की भी जिम्मेदारी लेनी होगी कि जब सैटेलाइट उपयोग में न हो तो उसे संबंधित कक्षा से हटाना भी होगा। इसी में सभी की भलाई है और किसी भी हालत में अब इसे जारी नहीं रखा जा सकता है।
वातावरण में जलकर पृथ्वी की सतह पर गिरेगा मलबा
अंतरिक्ष में जमा मलबा हटाने के लिए ईएसए ने 2013 में वेस्पा नाम का एक मलबा पृथ्वी की कक्षा से 800 किमी दूर वेगा लॉन्चर की मदद से छोड़ा था। वेस्पा का वजन करीब 100 किग्रा है, जो एक छोटे सैटेलाइट के वजन के बराबर है। 2025 में क्लीयर स्पेस-1 प्रोब जब अंतरिक्ष की कक्षा में छोड़ा जाएगा, तब वो वेस्पा को अपने चार रोबोटिक आर्म्स से पकड़कर कक्षा से बाहर लाएगा। इसके बाद दोनों वातावरण में जल जाएंगे और धरती की सतह पर गिर जाएंगे। जब इस मलबे को रोबोटिक आर्म पकड़ेगा तो इसके टुकड़े-टुकड़े होने की संभावना भी कम रहेगी।
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